भारत के जेम्स बॉन्ड का अगला मिशन क्या है. क्या अजीत डोवल ने शुरु कर दी है रूस-यूक्रेन का युद्ध रोकने की मध्यस्थता. ये सवाल इसलिए क्योंकि रूसी राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद एनएसए अजीत डोवल फ्रांस पहुंचे हैं. फ्रांस में अजीत डोवल ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की है, साथ ही फ्रांस के रक्षा मंत्री से भी रक्षा समझौतों को लेकर द्विपक्षीय वार्ता हुई है.
डोवल और मैक्रों में मुलाकात हुई, क्या बात हुई?
एनएसए अजीत डोवल इन दिनों फ्रांस के दौरे पर हैं. फ्रांस के रक्षा मंत्री से मीटिंग के बाद डोवल ने फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से मीटिंग की है. इस दौरान एनएसए डोवल ने पीएम मोदी की ओर से मैक्रों को दिए गए बधाई संदेश को साझा किया तो मैक्रों ने भी वैश्विक शांति के लिए भारत की कोशिशों की सराहना की है. राष्ट्रपति मैक्रों ने अजीत डोवल से कहा है कि भारत विश्व में शांति के लिए जो कोशिश कर रहा है वो बेहतर हैं. कहीं ना कहीं मैक्रों की इशारा रूस-यूक्रेन युद्ध की ओर था. फ्रांस वो देश है जिसने रूस के खिलाफ यूक्रेन की मदद के लिए सैनिक भेजने का ऐलान किया था, जिसके बाद रूस और फ्रांस के बीच और तल्खी पैदा हो गई थी.
फ्रांस से भारत ले रहा है राफेल-एम, कहां तक पहुंची बात?
अजीत डोवल ने फ्रांस के रक्षा मंत्री लेकोर्नू से मुलाकात की है. लेकोर्नू पर रक्षा सहयोग को लेकर चर्चा हुई है. अजीत डोवल से मीटिंग के बाद फ्रांस के रक्षामंत्री ने एक्स पर लिखा कि, हमने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग राफेल (या रफाल) मरीन, स्कॉर्पीन पनडुब्बियां, अंतरिक्ष पर चर्चा की. इसके साथ ही यूक्रेन समेत अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर भी बात की.
दरअसल भारत फ्रांस से 26 राफेल मरीन की आखिरी कीमत भारत को ऑफर की थी. बताया जा रहा है कि फ्रांस ने कीमत में कटौती की है. हालांकि भारत साल 2016 के सौदे की कीमत की रखना चाहता है. राफेल मरीन को आईएनएस विक्रांत विमान वाहक पोत समेत कई स्ट्रैटेजिक लोकेशन पर तैनात किया जाना है.
इसी साल मई के महीने में फ्रांसीसी सरकार और रफाल (राफेल) बनाने वाली कंपनी दासो का एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल राजधानी दिल्ली पहुंचा था. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने रक्षा मंत्रालय की ‘कोस्ट नेगोशिएशन कमेटी’ (सीएनसी) से रफाल (एम) से जुड़े सौदे को लेकर अहम बातचीत की थी.
जानकारी के मुताबिक, फ्रांसीसी प्रतिनिधिमंडल और सीएनसी ने रफाल (एम) सौदे की कीमत, तकनीक और हथियारों को लेकर चर्चा की थी. रक्षा मंत्रालय की सीएनसी में भारतीय नौसेना के टॉप कमांडर भी शामिल रहेंगी. वहीं फ्रांसीसी प्रतिनिधिमंडल में दासो के अलावा हथियार मुहैया कराने वाली ‘थेल्स’ कंपनी के एग्जीक्यूटिव मौजूद थे.
माना जा रहा है कि वायुसेना के 36 रफाल लड़ाकू विमानों की तरह ही रफाल (एम) भी ‘इंटरगर्वमेंटल डील’ (आईजीआई) यानी दोनों देशों की सरकार के बीच समझौते के तहत ही खरीदे जाएंगे. इस सौदे की कुल कीमत करीब 5.5 बिलियन यूरो यानी करीब 50 हजार करोड़ होने का अनुमान है.