अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डिपार्टमेंट ऑफ वॉर (पेंटागन) को न्यूक्लियर टेस्ट करने का आदेश दिया है. ट्रंप ने ये आदेश ऐसे वक्त में दिया जब वो साउथ कोरिया के दौरे पर थे और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करने वाले थे.
ट्रंप ने चीन और रूस का नाम लेते हुए सोशल मीडिया पर न्यूक्लियर टेस्टिंग को जरूरी बताया और कहा, रूस और चीन जैसे देश अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं, इसलिए अमेरिका को भी बराबरी के आधार पर ऐसा करना चाहिए.
33 साल बाद न्यूक्लियर टेस्ट करेगा अमेरिका
ट्रुथ सोशल पर अपनी पोस्ट में न्यूक्लियर टेस्ट की घोषणा करते हुए ट्रंप ने लिखा, “संयुक्त राज्य अमेरिका के पास किसी भी देश से अधिक परमाणु हथियार हैं. यह उपलब्धि मेरे पहले कार्यकाल में हासिल की गई थी.”
ट्रंप ने अपनी पोस्ट में ये भी कहा कि, “उन्हें इन हथियारों की भारी विनाशकारी शक्ति के कारण परीक्षण करने से घृणा है, लेकिन उन्होंने दावा किया कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा.”
हमने टेस्ट नहीं किया तो अगले 5 वर्ष में रूस-चीन बराबरी कर लेंगे: ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, “रूस दूसरा है, और चीन दूर तीसरे स्थान पर है, लेकिन अगले पांच वर्षों में वह बराबरी पर आ जाएगा. जब अन्य देश अपने परमाणु कार्यक्रमों का परीक्षण कर रहे हैं, तो अमेरिका को भी बराबरी के आधार पर अपने हथियारों का परीक्षण शुरू करना चाहिए. इसी कारण उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ वॉर को तुरंत प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है.”
रूस ने बनाई न्यूक्लियर पावर वाली क्रूज मिसाइल, ट्रंप भड़के
21 अक्टूबर को रूस ने दुनिया की पहली न्यूक्लियर पावर्ड यानी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली क्रूज मिसाइल बुरेवस्तनिक-9एम739 का सफल परीक्षण किया है. रूस ने दावा किया है कि ये मिसाइल बहुत लंबी दूरी तक जा सकती है और परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम है.
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि सारे टेस्ट पूरे किए जा चुके हैं और ऐसी मिसाइल दुनिया के किसी भी देश के पास नहीं है.
रूसी सेना प्रमुख ने भी टेस्ट के सफल होने की बात कहते हुए बताया कि टेस्ट में मिसाइल ने 15 घंटे तक उड़ान भरी और 14000 किलोमीटर की दूरी तय की.
ट्रंप ने इस मिसाइल परीक्षण को गलत बताते हुए दुनिया के लिए खतरा बताया था.
नेवादा में अमेरिकी शुरु करेगा टेस्ट, दुनिया की बढ़ी चिंता
अमेरिका ने आखिरी बार पूरा परमाणु परीक्षण 1992 में किया था. उसके बाद से अमेरिका ने असली विस्फोट की जगह कंप्यूटर सिमुलेशन और सीमित सब-क्रिटिकल परीक्षणों के जरिए अपने हथियारों की जांच जारी रखी. चीन और रूस ने भी 1990 के दशक के बाद से कोई बड़ा परीक्षण नहीं किया है.
अगर अमेरिका नए परमाणु परीक्षण शुरू करेगा तो रूस-चीन-नॉर्थ कोरिया यहां तक ईरान भी हथियारों की होड़ में आ जाएगा. साल 1992 के बाद अमेरिका ने ही परमाणु परीक्षण पर रोक लगाई थी, लेकिन वैश्विक मंच पर शांति की बातें और दावे करने वाले ट्रंप के इस बयान से हड़कंप मच चुका है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिका नेवादा टेस्ट साइट पर इसे फिर से शुरू कर सकता है.

