बेंगलुरु के प्रसिद्ध रामेश्वरम कैफे में हुए धमाके को लेकर एनआईए एक्शन में है. कैफे में बम रखने वाला आतंकी तो गिरफ्त से बाहर है पर धमाके के 28 दिन बाद एनआईए ने मुजम्मिल शरीफ नाम के एक साजिशकर्ता को गिरफ्तार किया गया है. जांच एजेंसी का दावा है कि मुजम्मिल शरीफ की वो शख्स है, जिसने धमाके को अंजाम देने का सामान मुहैया करवाया था.
आरोपी मुजम्मिल को पकड़ने के लिए नेशनल इंवेस्टिगेेशन एजेंसी (एनआईए) ने कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में 18 जगहों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी. एनआईए की जांच के मुताबिक मुजम्मिल शरीफ ने ही 1 मार्च को बेंगलुरु के ब्रुकफील्ड के रामेश्वरम कैफे के धमाके के लिए मुसाविर हुसैन शाजिब और अब्दुल मतीन ताहा नाम के आतंकियों को सामान और लॉजिस्टिक मदद पहुंचाई थी. छापेमारी के दौरान मुजम्मिल के ठिकाने से कैश के अलावा कई डिजिटल डिवाइस जब्त किए गए हैं.
पहले से वांटेड है बम रखने वाला आतंकी
23 मार्च को एनआईए ने रामेश्वरम धमाके के दो संदिग्धों मुसाविर हुसैन शाजिब और अब्दुल मतीन ताहा की पहचान की थी. चौंकाने वाली बात ये है कि संदिग्धों में अब्दुल मतीन ताहा तमिलनाडु पुलिस इंस्पेक्टर के विल्सन की हत्या के मामले में वॉन्टेड था और चेन्नई में मुख्य संदिग्ध के साथ रहता था. के विल्सन की हत्या 8 जनवरी 2020 में हुई थी. आतंकियों का कनेक्शन होने की वजह से इंस्पेक्टर की हत्या की जांच एनआईए ही कर रही थी. वांटेड रहते हुए अब्दुल मतीन ताहा और मुसाविर ने धमाके को अंजाम दिया.
एनआईए के मुताबिक, मुसाविर हुसैन शाजिब कर्नाटक के शिमोगा का रहने वाला है. मुसाविर ही वो आतंकी है, जिसने कैप पहनकर रामेश्वरम कैफे में बम रखा था. दोनों ही आतंकी आईएसआईएस से जुड़े हैं और कट्टरपंथी सोच के हैं. एनआईए की पूछताछ में आईएसआईएस से जुड़े गिरफ्तार आतंकियों ने इस बात की पुष्टि की है कि शाजिब और ताहा दोनों आईएसआईएस मॉड्यूल का हिस्सा हैं. मुसाविर हुसैन शाजिब की तलाश में एनआईए लगातार छापेमारी कर रही है. एनआईए ने शाजिब की गिरफ्तारी पर दस लाख के ईनाम की घोषणा की है.
जिस कैप से मुंह छिपाया. उसी कैप ने खोली पोल
बेंगलुरु में हुए धमाके के बाद एक सीसीटीवी सामने आया था. जिसमें संदिग्ध ने कैप पहन रखी थी और चेहरे को मास्क से छिपाया हुए था. सीसीटीवी की इस फुटेज के अलावा जांच एजेंसियों के पास कुछ नहीं था. पर जांच के दौरान एनआईए ने आसपास के 1 हजार से ज्यादा कैमरों की जांच की. तो अलग अलग जगहों पर संदिग्ध को कभी टोपी तो कभी बिना टोपी के देखा गया. धमाके के बाद फरार होने के दौरान संदिग्ध ने कैफे के थोड़ी दूर बाद ही कैप फेंक दी थी. कैप एक बड़ा सबूत था. कैप के ब्रांड और सीसीटीवी की मदद से एनआईए उस मॉल तक पहुंच गई जहां से संदिग्ध मे कैप खरीदी थी, एनआईए ने चेन्नई के जिस मॉल से कैप खरीदी. कैप के सिर्फ 400 पीस बेचे गए थे. इस बीच आईएसआईएस के जो पहले से गिरफ्तार आतंकी थे, उन्होंने संदिग्ध की पहचान शाजिब के तौर पर कर दी थी. शाजिब के माता-पिता ने भी सीसीटीवी फुटेज देखा और पुष्टि की कि जो व्यक्ति देखा गया वह उनका बेटा शाजिब ही है. सूत्रों के मुताबिक, टोपी में मिले बाल और माता-पिता के डीएनए का मिलान भी किया जा चुका है.
जेल से रची गई थी धमाके की साजिश
संदिग्ध शाजिब को आखिरी बार आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में देखा गया था, अलग अलग जगहों पर एनआईए ने रेड की है. बरेली में एक मौलाना से भी एनआईए की टीम ने पूछताछ की है. वहीं जेल में बंद आतंकी टी. नजीर से भी पूछताछ की गई है. बताया जा रहा है कि टी नजीर ही वो शख्स है जो जेल में युवाओं का ब्रेनवॉश कर रहा है और कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहा है. टी नजीर ने ही कैफे ब्लास्ट के लिए आतंकवादियों को उकसाया था.
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