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ऑपरेशन सिंदूर ने निभाई कारगिल की परंपरा: थलसेना प्रमुख

कारगिल विजय दिवस के मौके पर ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करने सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने हर हिंदुस्तानी का सीना गर्व से भर दिया. आर्मी चीफ ने कहा कि 1999 में भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय में जीत हासिल की. उस समय घुसपैठियों को खदेड़ा था. इस वक्त भी ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मनों को मात दी. ऑपरेशन सिंदूर एक निर्णायक जीत है.ऑपरेशन सिंदूर संकल्प, संदेश और जवाब भी है. सरकार से मिली स्वतंत्रता से पाकिस्तान पर सटीक अटैक हुआ और पाकिस्तान को संदेश दिया, आतंकवाद को तबाह करेंगे.”

आतंकवाद का सहारा लेने वाले नहीं बचेंगे: आर्मी चीफ

आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर की तुलना कारगिल के ऑपरेशन विजय से करते हुए कहा, “हमने ऑपरेशन विजय की तरह आतंकी ठिकाने को निशाना बनाया, निर्णायक जीत हासिल की. आज हम तोलोलिंग, टाइगर हिल और प्वाइंट 4875 की ऊंचाइयों के नीचे खड़े हैं, और हम केवल उस युद्ध को नहीं याद कर रहे. हम उस भावना को स्मरण कर रहे हैं जो उन रणबांकुरों ने दिखायी थी. इस मौके पर थल सेना प्रमुख ने पाकिस्तान को वॉर्निंग देते हुए कहा, आतंकवाद को सहारा देने वाले अब नहीं बचेंगे.”

जो खामोश खड़े थे बर्फीली चौकियों पर, उनकी दुआ से ही महफूज है ये वतन: आर्मी चीफ

लद्दाख के द्रास में कारगिल विजय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे आर्मी चीफ जनरल द्विवेदी ने रणबांकुरों को श्रद्धांजलि देते हुए, उनके बलिदान को याद दिया. आर्मी चीफ ने अपने संबोधन में कहा, “द्रास की इस पुण्य रणभूमि पर खड़े होकर, जहां हमारी वीर सेना ने राष्ट्र की रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया. उन अमर शहीदों को स्मरण करते हुए और पाकिस्तान के नापाक इरादों पर मिली ऐतिहासिक विजय की 26वीं वर्षगांठ को समर्पित, इस पावन अवसर पर सम्मिलित होकर मैं स्वयं को अत्यंत गर्वित और भावुक महसूस कर रहा हूं.”

“यह लगातार चौथी बार है जब मैं कारगिल युद्ध स्मारक पर कारगिल विजय दिवस के इस पावन आयोजन में सम्मिलित हो रहा हूं. दो बार नॉर्दन आर्मी कमांडर के तौर पर और थलसेनाध्यक्ष के रूप में.”

सेना प्रमुख ने कहा, “इस पावन अवसर पर करगिल युद्ध के वीरों के माता-पिता, वीर नारियों और सभी परिवारजनों का दिल से आभार व्यक्त करता हूं. आपने राष्ट्र को अपने वीर दिए, आपका हौसला, धैर्य और त्याग हम सबके लिए प्रेरणा है. आज पूरा देश आपके अद्वितीय योगदान और अटूट राष्ट्रभक्ति को श्रद्धापूर्वक नमन करता है. पिछले वर्ष 2024 में हमने रजत जयंती के रूप में इस विजय गाथा का स्मरण किया.”

रणबांकुरों के अदम्य साहस ने हर कठिनाई को मात दी: सेना प्रमुख

सेना प्रमुख ने कहा, कि “हम तोलोलिंग, टाइगर हिल और प्वाइंट 4875 की ऊंचाइयों के नीचे खड़े हैं, और हम केवल उस युद्ध को नहीं याद कर रहे. हम उस भावना को स्मरण कर रहे हैं जो उन रणबांकुरों ने दिखायी थी. हमें याद है वह दृढ़ संकल्प जो उनकी आंखों में था, वह अदम्य साहस जिससे उन्होंने हर कठिनाई को मात दी. हमें स्मरण है वह नारा, वह चेतावनी, वह प्रण जो हर योद्धा के मुख से निकला. हम श्रद्धापूर्वक नमन करते हैं उन बहादुर नायकों को, जिन्होंने मृत्यु को गले लगाया ताकि हम गरिमा के साथ चैन की जिंदगी जी सकें.”

भारत की एकता और अखंडता पर कोई आंच नहीं आने देंगे:सेना प्रमुख

आर्मी चीफ ने कहा कि साल 1999 में, “भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के अंतर्गत कारगिल की ऊंचाइयों पर एर अद्वितीय विजय प्राप्त की थी. उस युद्ध में, भारतीय सेना ने इन ऊंची पहाड़ियों पर बैठे पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों को खदेड़कर हमारी सीमा से बाहर कर दिया था और तिरंगे को इन बर्फीली चोटियों पर फहराया था. यह वह क्षण था जब भारत ने स्पष्ट कर दिया कि उसकी सीमाओं के भीतर किसी भी नापाक इरादे को सफलता नहीं मिलेगी, भारत की एकता और अखंडता पर कोई आंच नहीं आने दी जाएगी.”

ऑपरेशन सिंदूर हमारा संकल्प भी, संदेश भी और उत्तर भी: सेना प्रमुख

आर्मी चीफ ने अपने संबोधन में कहा कि “इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी भारतीय सेना ने उसी अदम्य साहस, और दृढ़ संकल्प के साथ पाकिस्तान समर्थित आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया और पाकिस्तान की अन्य आक्रामक कार्रवाइयों को प्रभावशाली ढंग से विफल करते हुए एक निर्णायक जीत हासिल की. हमने शांति को अवसर दिया, पर कायरता का उत्तर केवल पराक्रम से दिया ऑपरेशन सिंदूर हमारा संकल्प है, संदेश भी और उत्तर भी.”

सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी बोले, “पहलगाम में हुआ कायरतापूर्ण आतंकी हमला पूरे देश के लिए एक गहरी चोट था. लेकिन इस बार भारत ने सिर्फ शोक नहीं जताया, बल्कि ठान लिया कि अब जवाब निर्णायक होगा. देशवासियों का अटूट विश्वास और सरकार द्वारा दी गई रणनीतिक स्वतंत्रता से भारतीय सेना ने एक सुनियोजित, सटीक और निर्णायक जवाब दिया. भारतीय सेना ने 06/07 मई की रात को पाकिस्तान और पीओजेके में 9 हाई वैल्यू आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया, बिना किसी मासूम नागरिक को हानि पहुंचाए। यह केवल जवाब नहीं था, यह स्पष्ट संदेश था कि ‘आतंकवाद को सहारा देने वाले अब नहीं बचेंगे.”

सेना, वायुसेना और नौसेना डटकर एकसाथ खड़े रहे: आर्मी चीफ

आर्मी चीफ ने कहा कि “7 से 9 मई को पाकिस्तान की ओर से की गई सैन्य कार्रवाइयों का, भारतीय सेना ने नपा-तुला और सटीक जवाब दिया. हमारी आर्मी एयर डिफेंस एक  अजेय दीवार बनकर सामने खड़ी रही. जिसे कोई ड्रोन या मिसाइल भेद नहीं सका. यह सेना, वायुसेना, नौसेना और अन्य सरकारी विभाग मिलकर एक साथ खड़े रहे, जो भी शक्तियां भारत की संप्रभुता, अखंडता या जनता को क्षति पहुंचाने की योजना बना रही हैं, उन्हें करारा जवाब दिया गया है, और आगे भी दिया जाएगा.”

विकसित भारत का सपना साकारे करें: आर्मी चीफ

सेना प्रमुख ने कहा, “हम पूरी तरह से तैयार हैं कि भारत की 100वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ तक विकसित का सपना साकार करें और इस राष्ट्र निर्माण में हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं, हमारी विशाल सेना परिवार, जो लगभग 1.3 करोड़ लोगों का समुदाय है. जिसमें सेवारत सैनिक, उनके परिवार,वेटरन्स,और वीरगति को प्राप्त सैनिकों के परिजन शामिल हैं। लद्दाख इसका उदाहरण है, जहां हजारों सैनिक तैनात हैं, अनेक वेटरन्स यहां रहते हैं. सेना केवल रक्षा नहीं कर रही, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में राष्ट्र निर्माण में भी अग्रणी भूमिका निभा रही है.”

“लद्दाख में ही कई सड़कें, पुल और नेटवर्क तैयार किए जा रहे हैं जो सेना और स्थानीय नागरिक दोनों के लिए बेसिक सुविधाएं सुनिश्चित करते हैं. वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के अंतर्गत चयनित किए गए गांवों में भारतीय सेना द्वारा प्राथमिकता से विकास कार्य चल रहे हैं.”

“बॉर्डर टेररिज्म को बढ़ावा देने के लिए बैटलफील्ड, आध्यात्मिक, इकोलॉजी, हेरिटेज और एडवंचर टूरिज्म जैसे क्षेत्रों में कार्य किया जा रहा है, जिससे युवाओं को रोजगार मिल रहा है.”

स्थानीय युवाओं को आत्मनिर्भर बना रही सेना: आर्मी चीफ

“सेना स्थानीय युवाओं को टूर गाइड, पर्वतारोही और एडवंचर स्पोर्ट्स में ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बना रही है. स्मार्ट बॉर्डर के तहत लद्दाख और अन्य दूसरे स्थित इलाकों में मोबाइल नेटवर्क पहुंचाने के लिए सेना के कम्यूनिकेशन टॉवर्स का उपयोग हो रहा है. प्राकृतिक आपदा के समय राहत और बचाव कार्यों में सेना अहम भूमिका निभा रही है.”

“भले ही आज आपने वर्दी न पहनी हो, लेकिन आपका जज्बा और राष्ट्र के प्रति समर्पण आज भी उतना ही अमूल्य है. आप न केवल हमारी सेना की गौरवशाली विरासत के वाहक हैं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी हैं.”

“मैं युवा कैडेट्स और छात्रों को यह बताना चाहूंगा कि आज का दिन केवल एक ऐतिहासिक यादगार नहीं, यह राष्ट्र-निर्माण का आह्वान है. अपने देश की सेवा – ईमानदारी, शुद्धता और राष्ट्रभक्ति के साथ करें, चाहे वह सेना, विज्ञान, शिक्षा, चिकित्सा या उद्यमिता कोई भी रूप हो.”

“कारगिल विजय दिवस हमारे लिए केवल स्मृति नहीं, यह वचन है; भारत की संप्रभुता, अखंडता और सम्मान की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक लड़ने का.”

हम शांतिप्रिय हैं, पर कमजोर नहीं,

हम संकल्पित, सजग और अडिग हैं.

हमारे शहीद हमारी प्रेरणा हैं.

हम अपने वीरों की विरासत को आगे बढ़ाएंगे.

“आइए आज हम एक साथ संकल्प लें कि हम भारत को सुरक्षित, सशक्त और विकसित बनाएंगे.”

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