Alert Breaking News Geopolitics India-Pakistan Indian-Subcontinent Reports

एक अंधा एक कोढ़ी! सार्क को जिंदा करने की जुगत

सार्क यानी दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन को एक बार फिर फिर खड़ा करना चाहते हैं पाकिस्तान और बांग्लादेश. पाकिस्तान के आतंकवाद को बढ़ावा देने के कारण भारत के विरोध के बाद सार्क निष्क्रिय है.

2016 में हुए उरी हमले के बाद से सार्क की कोई बैठक नहीं की गई है, पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार सार्क को सक्रिय करने में जुट गए हैं. 
इस बाबत हाल ही में शहबाज शरीफ और मोहम्मद यूनुस ने मुलाकात की और अब पाकिस्तान के राजदूत से नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली ने मुलाकात की है.

पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल के बीच ऐसी बैठकें ऐसे वक्त में हो रही हैं, जब भारत का ध्यान दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया को जोड़ने वाले संगठन बिम्सटेक (बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन) पर है.

हाल ही में जब मिस्र की राजधानी काहिरा में यूनुस ने शहबाज शरीफ से मुलाकात की थी तो साफ तौर से कहा था कि हमें सार्क की बैठक आयोजित करनी चाहिए, फिर चाहे वो ‘फोटो-सेशन’ के लिए ही हो, क्योंकि उससे ‘बेहद मजबूत संदेश जाएगा’. साफ है कि यूनुस और शहबाज के बीच भारत के खिलाफ खिचड़ी पक रही है. (https://x.com/shakeel_ahmed9/status/1869701579332587737)

पाकिस्तानी राजदूत से मुलाकात, नेपाली पीएम ने क्या कहा
नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली ने जोर देकर कहा कि नेपाल, सार्क अध्यक्ष के रूप में, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) को सक्रिय करने के प्रयास कर रहा है, और सार्क के सदस्य देशों को इसमें रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए. सार्क जैसे क्षेत्रीय संगठनों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए, भले ही किसी भी दो देशों के बीच कोई समस्या हो. नेपाल अपने संबंधों का विस्तार कर रहा है और मित्रवत और पड़ोसी देशों के साथ सहयोग कर रहा है.

सार्क नहीं बिम्सटेक पर है भारत का ध्यान
सार्क (दक्षेस) साल 2016 से सक्रिय नहीं हैं. साल 2014 में काठमांडू में आखिरी शिखर सम्मेलन के बाद से सार्क का द्विवार्षिक शिखर सम्मेलन नहीं हुआ है. साल 2016 का सार्क शिखर सम्मेलन इस्लामाबाद में होना था लेकिन जम्मू कश्मीर के उरी में भारतीय सेना के शिविर पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने विरोध जताते हुए पाकिस्तान में होने वाले शिखर सम्मेलन से दूरी बना ली थी. 

भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी सार्क सम्मेलन में जाने से मना कर दिया था. जिसके बाद सार्क ठंडे बस्ते में चला गया. अब भारत का फोकस बिम्सटेक पर है.

बिम्सटेक बंगाल की खाड़ी के आस-पास के देशों को क्षेत्रीय संगठन है, जिसमें बांग्लादेश, भारत, भूटान, नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं. इसका लक्ष्य इन देशों में आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना है. (BIMSTEC करेगा पाकिस्तान को अलग थलग)

सार्क का एक सदस्य दूसरे सदस्य पर अटैक करता है: एस जयशंकर
इस साल अक्टूबर में एससीओ की बैठक में भाग लेने के लिए पाकिस्तान जाने से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सार्क के निष्क्रियता का कारण बताया था. एस जयशंकर ने पाकिस्तान को सुनाते हुए कहा था कि, आतंकवाद एक ऐसा मुद्दा है, जिसके साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता. अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम सार्क को आगे नहीं बढ़ा सकते.”

विदेश मंत्री ने कहा था कि “पिछले 5-6 सालों में हमने क्षेत्रीय विकास देखा है. बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार और श्रीलंका के साथ भारत रिश्तों को देखेंगे, तो  रेलवे लाइनों की बहाली की जा रही हैं, फिर से सड़कें बनाई जा रही हैं, बिजली ग्रिड का निर्माण हो रहा है. लेकिन अगर कोई हमारा पड़ोसी (पाकिस्तान) आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है तो उस पर रोक लगानी चाहिए.”

सार्क को लेकर भारत क्या सोचता है वो एस जयशंकर के बयान से साफ है. अब बांग्लादेश और पाकिस्तान, नेपाल के साथ मिलकर सार्क को वापस खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. मोहम्मद यूनुस करीबी सहयोगी महफूज आलम ने भी सार्क की वकालत की है. महफूज आलम वो सलाहकार है, जिनके हिज्ब-तहरीर से संबंध हैं. हाल ही में आलम ने भारत के कुछ हिस्सों पर कब्जे की धमकी दी थी पर विदेश मंत्रालय ने कड़ा विरोध जताया था.

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.