चीन और टर्की के बल पर पाकिस्तान आजकल बहुत उछल रहा है. भारत सीमा पर बार-बार सीजफायर तोड़ने और आतंकियों को पनाह देने वाले पाकिस्तान ने भारतीय सीमा से महज 20 किलोमीटर दूर एक एयरफील्ड तैयार किया है. लाहौर के करीब बन रही इस एयरफील्ड की सैटेलाइट तस्वीरें भी सामने आई हैं. ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या ये एयरफील्ड टर्की से लिए बायरेक्टर कॉम्बेट ड्रोन के लिए तैयार की गई है या कारण कुछ और है.
पाकिस्तान की नई साजिश या जंग की तैयारी ?
सवाल ये है कि पाकिस्तान ऐसा क्यों कर रहा है ? क्या पाकिस्तान भारत के खिलाफ कोई नई साजिश रच रहा है ? भारत से महज 20 किलोमीटर दूर पाकिस्तान ने ये एयरफील्ड तैयार किया है. ये एयरफील्ड, लाहौर के पास है जो भारत के अटारी-बाघा बॉर्डर (अमृतसर) से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर है. खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एयरफील्ड के निर्माण के बाद पाकिस्तान ने चीन से ली गईं होवित्जर तोप को तैनात किया है. होवित्जर के अलावा तुर्की से खरीदे गए खतरनाक कॉम्बैट ड्रोन, बायरेक्टर एकिंसी को भी तैनात करने वाला है. ये हाई ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंडयूरेंस (एचएएलई यानी हेल) ड्रोन आसमान में युद्ध लड़ने में माहिर है और क्रूज मिसाइलों से लैस है. माना जाता है कि ये दुनिया का पहला ऐसा ड्रोन है जो आसमान में क्रूज मिसाइल दाग सकता है. टर्की के इस ड्रोन ने ही यूक्रेन युद्ध में तबाही मचा रखी है. जिस वक्त पाकिस्तान ने ये ड्रोन खरीदा था तब उस पर नया पैच लगाया गया. पैच में कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया है. इस पैच पर ‘गेम ऑफ ड्रोन’ लिखा है जो लोकप्रिय टीवी सीरीज गेम ऑफ थ्रोन से लिया गया है. (https://youtu.be/6KNaN_DGmrY?si=sxOozm4hpaKDKw9R)
एयरफील्ड पर पाकिस्तानी चुप्पी ने उठाए सवाल
पाकिस्तान के इस एयरफील्ड को लेकर गुपचुप बातचीत की जा रही है, एयरफील्ड को बेहद सीक्रेट रखा गया है. एयरफील्ड का इस्तेमाल किस तरह से किया जाएगा, इस सवाल पर पाकिस्तानी एयरफोर्स चुपचाप है. क्या एयरफील्ड का इस्तेमाल नागरिक उड़ानों के लिए या फिर मिलिट्री के लिए है. इस बात को भी गुप्त रखा गया है. कहा ये भी जा रहा है कि यहां फ्लाइट ट्रेनिंग स्कूल बनाया जा रहा है, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान की मिलिट्री करेगी. अगर एयरफील्ड पर तुर्की ड्रोन तैनात किया जाएगा तो भारत के लिए चिंता की बात है. क्योंकि भारत के पास फिलहाल कोई कॉम्बैट ड्रोन नहीं है.
एयरफील्ड पर तोप क्यों
भारतीय सेना की एविएशन कोर के साथ-साथ आर्टलरी यानी तोपखाने में अब तोप के अलावा ड्रोन को भी हिस्सा बनाया गया है. ऐसे में माना जा सकता है कि पाकिस्तानी सेना भी अब तोप और ड्रोन को एक साथ तैनात कर रही है. या फिर एयरफील्ड पर जो गन दिखाई पड़ रही हैं वे एंटी-एयरक्राफ्ट गन भी हो सकती हैं.
बॉर्डर के करीब नहीं बनाया जा सकती एयरफील्ड
भारत और पाकिस्तान के बीच स्थापित सैन्य प्रोटोकॉल के मुताबिक, एलओसी से 11 किलोमीटर की दूरी तक फाइटर जेट उड़ान नहीं भर सकते हैं. हेलीकॉप्टर के लिए ये दूरी 4 किलोमीटर है. अगर कभी सीमा के करीब फ्लाइंग करनी होती है तो इसके लिए पहले दूसरे देश से जानकारी साझा की जाती है. ऐसे में माना जा सकता है कि इस एयरफील्ड पर फाइटर जेट या हेलीकॉप्टर को तैनात नहीं किया जाएगा. ड्रोन की तैनाती ही संभावित वजह दिखाई पड़ती है.
भारत के पास नहीं है कोई कॉम्बैट ड्रोन
हाल ही में भारतीय वायुसेना ने श्रीनगर एयरबेस पर इजरायल से लिए हेरोन मार्क-2 अनमैन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी) तैनात किए हैं. इन ड्रोन को आर्म्ड किया जा सकता है यानी इसमें मिसाइल लगाई जा सकती हैं. अमेरिका से भी भारत 31 एमक्यू-9 रीपर ड्रोन खरीदने की योजना बना रहा है. लेकिन खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के मामले के चलते इस डील में विलंब हो सकता है. भारतीय नौसेना वर्ष 2020 से एमक्यू-9 सी-गार्डियन (गार्जियन) ड्रोन इस्तेमाल करती है जिन्हें अमेरिका से लीज पर लिया गया है. इन सी-गार्जियन ड्रोन को भारतीय नौसेना हिन्द महासागर की निगहबानी के लिए इस्तेमाल करती है. इन ड्रोन को भी आर्म्ड किया जा सकता है.
जम्मू में तैनात है त्रिनेत्र स्क्वाड्रन
जम्मू एयरबेस पर भारतीय वायुसेना की हेरोन यूएवी की एक पूरी स्क्वाड्रन तैनात है जिसे त्रिनेत्र के नाम से जाना जाता है. इस बेस से पाकिस्तान से सटी पंजाब और जम्मू क्षेत्र की सीमा की निगरानी रखी जाती है (भारत का त्रिनेत्र है गेम चेंजर: वायुसेना दिवस स्पेशल).
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