कश्मीर में जनमत संग्रह की मांग भारत द्वारा ठुकराने और बेइज्जती के बावजूद पाकिस्तान बाज नहीं आ रहा. पाकिस्तान की संसद में कश्मीर को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया है, जिसमें भारत से कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की मांग की गई है.
पाकिस्तान की हिमाकत देखिए, अपने घर के मुद्दे सुलझते नहीं, आए दिन पाकिस्तानी सेना के जवान हों या फिर पुलिस के, आतंकियों का हाथ मारे जा रहे हैं. खैबर पख्तूनख्वा इलाका अशांत है, तालिबानियों ने हालत खराब की है, पर संसद में सत्र होता है तो कश्मीर पर प्रस्ताव पारित किया जाता है.
पाकिस्तान की संसद में लाए गए प्रस्ताव में भारत से कश्मीर के मुद्दे पर ना सिर्फ जनमत संग्रह कराने की मांग की गई, बल्कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत कश्मीरियों को उनके लोकतांत्रिक हक का प्रयोग करने की मांग की गई.
दरअसल, हाल में पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएसी) में अस्थायी सदस्यता मिली है. बस इसलिए पाकिस्तान के पांव आजकल जमीन पर नहीं है और ऊंट-पटांग हरकते करने पर उतारू है.
पाकिस्तान के संसद में कश्मीर पर प्रस्ताव पारित
पाकिस्तान में कश्मीर मामलों के मंत्री अमीर मुहम्मद ने संसद में कश्मीर से जुड़ा प्रस्ताव पेश किया, जिसमें कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए पाकिस्तान के अटूट नैतिक, राजनीतिक और कूटनीतिक समर्थन देने की बात कही गई. पाकिस्तान ने तो हद ही कर दी है.
मंगलवार को पारित किए गए प्रस्ताव में कश्मीरियों की शहादत को श्रद्धांजलि दी गई. भारत से कश्मीरियों के मानवाधिकार की स्थिति में सुधार करने का आह्वान किया गया गया. हिरासत में लिए गए कश्मीरी नेताओं की रिहाई और सभी दमनकारी कानूनों को रद्द करने की मांग की गई.
अनुच्छेद 370 हटाने की निंदा की गई, यूएन की दुहाई दी
इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि, “जम्मू और कश्मीर विवाद को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीरी जनता की आकांक्षाओं के अनुसार हल करना दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है.
पाकिस्तानी संसद में आए प्रस्ताव में कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन और 5 अगस्त 2019 की कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की गई है. साथ ही भारत के अनुच्छेद-370 को निरस्त करने वाले कदम को ‘अवैध’ करार दिया गया. कश्मीर मामलों के मंत्री अमीर मुहम्मद ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को इस विवाद को हल करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए और पाकिस्तान के लोग अपने कश्मीरी भाई-बहनों के साथ खड़े हैं.”
भारत खारिज कर चुका है जनमत संग्रह की मांग
ये कोई पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान जनमत संग्रह की मांग कर रहा हो. भारत पहले भी पाकिस्तान की मांग खारिज कर चुका है, क्योंकि जनमत संग्रह क्यों करवाया जाए. कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा.
जम्मू-कश्मीर में अब शांति लौटी है, आतंकी वारदातों पर लगाम लगी है, पाकिस्तानी आतंकियों का खात्मा हो रहा है, हर साजिश नाकाम हो रही है तो पाकिस्तानी हुकूमत के पेट में दर्द हो रहा है.
संयुक्त राष्ट्र (यूएनएससी) में मिली अस्थाई सीट के बल पर कूद रहा है पाकिस्तान, लेकिन ये नहीं जानता कि संयुक्त राष्ट्र में हर बार भारत के जवाब के बाद पाकिस्तान बगलें झांकता ही दिखा है.