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स्वदेशी मिसाइलों ने बचाए 2.64 लाख करोड़, पार्लियामेंट रिपोर्ट में DRDO की सराहना

रक्षा मामलों के लिए बनी संसद की स्थायी समिति ने डीआरडीओ की जमकर की तारीफ की है. कमेटी के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी हथियारों और सैन्य प्रणालियों से देश का 2.64 लाख करोड़ रुपये बचाए हैं.  

संसदीय कमेटी ने डीआरडीओ को खास तौर से स्वदेशी हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी और स्वदेशी मिसाइलों के लिए सराहा है. मौजूदा संसद के सत्र में स्टैंडिंग कमेटी ऑन डिफेंस (2025-26) की 15वीं रिपोर्ट को पटल पर रखा गया है. ये रिपोर्ट खास तौर से रक्षा बजट, बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ), भारतीय तटरक्षक बल और डीआरडीओ की कार्यप्रणाली से जुड़ी है.

कमेटी ने डीआरडीओ को शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए अपनी रिपोर्ट में लिखा कि “पिछले और मौजूदा वर्ष में नेक्स्ट जनरेशन हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी और मिसाइलों के विकास में महत्वपूर्ण पड़ाव हासिल किया है.” रिपोर्ट में ये भी लिखा गया है कि समिति को ये भी बताया गया है कि पिछले पांच वर्षों में स्वदेशी अनुसंधान के माध्यम से डीआरडीओ ने 2,64,156 करोड़ रुपये की बचत की है.

हाइपरसोनिक मिसाइल से लेकर क्यूआरसैम और एमआरसैम जैसी मिसाइल की डीआरडीओ ने ईजाद

हाल में डीआरडीओ ने हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी का सफल परीक्षण किया था. इसके अलावा, हाल के वर्षों में डीआरडीओ ने क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (क्यूआरसैम), मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (एमआरसैम), रूद्रम, निर्भर और प्रहार जैसी दर्जन भर स्वदेशी मिसाइलों को ईजाद किया है, जिससे देश की एयर डिफेंस मजबूत हुई है.

डीआरडीओ इनदिनों प्रोजेक्ट कुशा और सुदर्शन चक्र जैसी, स्वदेशी हवाई सुरक्षा प्रणालियों पर तेजी से काम में जुटा है. यही वजह है कि संसदीय कमेटी ने स्वदेशी रक्षा अनुसंधान और विकास क्षमताओं को मजबूत करने के लिए डीआरडीओ में अपना विश्वास जताया है.

साथ में राजधानी दिल्ली के आसमान के लिए स्वदेशी सुरक्षा कवच बनाने की तैयारी चल रही है. इस प्रोजेक्ट को भी डीआरडीओ तैयार कर रहा है. पहले दिल्ली के लिए अमेरिकी एयर डिफेंस सिस्टम एनएएसएएमएस यानी नेशनल एडवांस्ड सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम खरीदने पर चर्चा चल रही थी.

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