भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डराया नहीं जा सकता, धमकाया नहीं जा सकता, देशहित के लिए उनकी नीति को दबाव से बदला नहीं जा सकता. प्रधानमंत्री मोदी के लिए ये तारीफों के पुल दुनिया के शक्तिशाली राष्ट्राध्यक्ष, रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने बांधे हैं. व्लादिमीर पुतिन ने ‘रशिया कॉलिंग फोरम’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी की जमकर तारीफ की है. पुतिन ने इस कार्यक्रम में रूस और भारत संबंधों के साथ-साथ पीएम मोदी को लेकर कई गारंटी भी ली.
मोदी की नीति, रूस-भारत के संबंधों की ‘गारंटी’
प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन की दोस्ती जगजाहिर है. जब भी पुतिन और मोदी मिले हैं, पूरी दुनिया ने दोनों की केमेस्ट्री देखी है. पुतिन ने ताजा बयान में पीएम मोदी की और उनकी नीतियों की तारीफ की है. पुतिन ने कहा कि पीएम मोदी की पॉलिसी भारत और रूस के संबंधों को और मजबूत करने की गारंटी है. पीएम मोदी की नीतियों की वजह से रूस और भारत में रिश्ते मजबूत हैं. मैं ये सोच भी नहीं सकता हूं, कि मोदी को भारत के हित के खिलाफ कोई भी फैसला लेने के लिए डराया-धमकाया या मजबूर किया जा सकता है. मैं जानता हूं कि उन पर कई दबाव हैं पर कई बार भारत और भारतीय लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए मोदी के कड़े रुख को देखकर भी चौंक जाता हूं.
पीएम मोदी के काम के कायल हैं राष्ट्रपति पुतिन
ये कोई पहली बार नहीं है जब पुतिन ने पीएम मोदी की तारीफ की है. पुतिन कुछ दिनों पहले ही पीएम मोदी और मेक इन इंडिया को लेकर प्रशंसा की थी. पुतिन ने कहा था, ‘नरेंद्र मोदी एक बहुत बुद्धिमान व्यक्ति हैं, उनके नेतृत्व में भारत विकास के मामले में काफी प्रगति कर रहा है. पीएम मोदी ने कुछ साल पहले मेक इन इंडिया को प्राथमिकता दी. मेक इन इंडिया की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ा. अगर हम भी मेक इन इंडिया को मानें तो इसमें कोई नुकसान नहीं है. मेक इन इंडिया हमारी योजना नहीं है, लेकिन रूस के दोस्त की है. नरेंद्र मोदी रूस के पक्के दोस्त हैं
ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे !
भारत की रूस से दोस्ती उस वक्त से है जब रशिया सोवियत संघ हुआ करता था. रूस ने भारत को मजबूत बनाने में हमेशा से मदद की. सोवियत संघ और भारत की दोस्ती साल 1971 में और गहरी हो गई, जब भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ. जंग के वक्त सोवियत संघ भारत के साथ मजबूती से खड़ा था, जबकि पाकिस्तान को अमेरिका ने मदद की थी. 1971 की लड़ाई में सोवियत संघ ने हथियारों और राजनयिक दोनों फ्रंट पर भारत का साथ दिया. रूस ने भारत को देश की परमाणु और अंतरिक्ष क्षमताओं को शुरू से बनाने में भी मदद की. जबकि पश्चिमी देश हमेशा से भारत के विरोध में रहे. साल 1960 में भी रूस के मिग-21 लड़ाकू विमानों के साथ भारत में सैन्य क्षमताएं बढ़ी. टैंक, तोप, एंटी एयरक्राफ्ट गन, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, आईएनएस विक्रमादित्य एयरक्राफ्ट कैरियर, परमाणु पनडुब्बी आईएनएस चक्र, गाइडेड मिसाइल विध्वंसक, एके-203 असॉल्ट राइफल और एस-400 मिसाइल सिस्टम भी रूस के साथ भारत के रक्षा सहयोग को दिखाता है. यही वजह है कि जब यूक्रेन और रूस में युद्ध छिड़ा तो भारत ने रूस की कभी निंदा नहीं की. और यूएन में निंदा प्रस्ताव पर कोई वोट नहीं किया. हालांकि रूस का साथ देने की वजह से भारत को पश्चिमी देशों की आलोचना झेलनी पड़ी. भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए बातचीत और कूटनीति का आह्वान किया और पीएम मोदी ने इशारों इशारों में पुतिन के सामने ये भी कह दिया था कि “ये युग युद्ध का नहीं है.”