सम्राट अशोक ने जिस कलिंग की धरती से हिंसा का मार्ग त्याग कर अहिंसा को अपना धर्म बनाया था, वहीं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर दुनिया का आह्वान किया है कि ‘भविष्य युद्ध में नहीं बुद्ध में है’.
गुरूवार को प्रधानमंत्री मोदी ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में 18वें ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे. इसी दौरान पीएम मोदी ने ओडिशा के एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल धौली का जिक्र किया जिसे शांति का प्रतीक माना जाता है.
कलिंग की धरती पर प्रवासी भारतीय सम्मेलन
पीएम ने कहा कि कि प्राचीन काल में सम्राट अशोक ने धौली में ही शांति का मार्ग चुना था, जबकि दुनिया तलवार की ताकत से साम्राज्यों का विस्तार कर रही थी.
मोदी ने कहा कि “यह विरासत भारत को दुनिया को यह बताने के लिए प्रेरित करती है कि भविष्य बुद्ध में है, युद्ध में नहीं.” ऐसी ओडिशा की धरती पर पीएम ने सम्मेलन में जुटे प्रवासी भारतीयों का स्वागत किया.
पीएम मोदी का भविष्य युद्ध में नहीं बयान ऐसे समय में आया है जब, रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन साल पूरे होने को है और इजरायल-हमास जंग को एक साल से ज्यादा हो चुका है. इसके अलावा पूरे मिडिल-ईस्ट में ही युद्ध के बादल छाए हुए हैं. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन-ताइवान विवाद के चलते बेहद नाजुक परिस्थितियां बनी हुई हैं.
क्यों मनाया जाता है प्रवासी दिवस
वर्ष 1915 में आज ही के दिन (9 जनवरी को) महात्मा गांधीजी लंबे समय तक विदेश में प्रवास के बाद भारत लौटे थे. इसीलिए वर्ष 2003 से हर साल भारत में आज ही के दिन ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ मनाया जाता है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सैकड़ों वर्ष पूर्व, ओडिशा के व्यापारियों और सौदागरों ने बाली, सुमात्रा और जावा जैसे स्थानों पर लंबी समुद्री यात्राएं की थीं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भी ओडिशा में ‘बाली यात्रा’ उसी की याद में मनाई जाती है. प्रधानमंत्री ने कहा कि वे हमेशा प्रवासी भारतीयों को भारत का राजदूत माना है.
भारतीय प्रवासियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए तथा वैश्विक मंच पर उन्हें गर्व से सिर ऊंचा करने का अवसर प्रदान करने के लिए उन्हें धन्यवाद देते हुए मोदी ने कहा कि “पिछले दशक में उन्होंने अनेक वैश्विक प्रमुखों से भेंट की, जिनमें से सभी ने भारतीय प्रवासियों की उनके सामाजिक मूल्यों तथा अपने-अपने समाजों में योगदान के लिए प्रशंसा की.” (https://x.com/narendramodi/status/1877321510844838314)
कौन रहा प्रवासी सम्मेलन में मौजूद
प्रवासी सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बड़ी संख्या में विदेश में रह रहे भारतीय मूल के नागरिक भुवनेश्वर पहुंचे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा सम्मेलन में ओडिशा के राज्यपाल डॉक्टर हरि बाबू, मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी और विदेश मंत्री एस जयशंकर सहित कई वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री मौजूद थे.
सम्मेलन (8-10 जनवरी) के आखिरी दिन यानी शुक्रवार को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू प्रवासी भारतीयों को संबोधित करेंगी.
गिरमिटिया डेटाबेस किया जाए तैयार
पीएम मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए ‘गिरमिटिया’ समुदाय का एक डेटाबेस बनाने का आह्वान किया ताकि वे जहां से वे आए थे और जहां बसे थे उसकी पूरी जानकारी इकट्ठा की जा सके.
प्रधानमंत्री ने गिरमिटिया विरासत का अध्ययन और शोध करने के महत्व का उल्लेख किया और इस उद्देश्य के लिए एक विश्वविद्यालय पीठ की स्थापना का प्रस्ताव रखा.
पीएम ने नियमित रूप से विश्व गिरमिटिया सम्मेलन आयोजित करने का भी आग्रह किया और अपनी टीम को इन संभावनाओं का पता लगाने और इन पहलों को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य करने के निर्देश दिए.
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रवासियों के जीवन का दस्तावेजीकरण, उन्होंने चुनौतियों को अवसरों में कैसे बदला, इसे फिल्मों और वृत्त चित्रों के माध्यम से दिखाया जा सकता है.
महात्मा गांधी थे ‘पहले गिरमिटिया’
दरअसल, ब्रिटिश काल में हजारों-लाखों की तादाद में भारतीय नागरिकों को मजदूरों के तौर पर अफ्रीका, मॉरीशस, फिजी, त्रिनिदाद, फिजी, गुयाना और सूरीनाम जैसे देशों में ले जाया गया था. आज इन देशों में उन मजदूरों के वंशज बड़ी संख्या में मौजूद हैं और देश की सत्ता के शीर्ष तक जा पहुंचे हैं.
एक एग्रीमेंट के तहत अंग्रेज, भारतीय मजदूरों को काम के लिए विदेश ले जाते थे. इन मजदूरों को ही गिरमिटिया के नाम से जाना जाता है. महात्मा गांधी को ‘पहले गिरमिटिया’ का दर्जा दिया जाता है.
विश्वबंधु बन गया है भारत
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब विश्व बंधु के रूप में पहचाना जाता है और प्रवासी भारतीयों से अपने प्रयासों को बढ़ाकर इस वैश्विक संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ करने का आग्रह किया. उन्होंने अपने-अपने देशों में, विशेष रूप से स्थानीय निवासियों के लिए पुरस्कार समारोह आयोजित करने का सुझाव दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि ये पुरस्कार साहित्य, कला और शिल्प, फिल्म तथा रंगमंच जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख व्यक्तियों को दिए जा सकते हैं.