चुनाव के दौर में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी के इस बयान से बाजार गर्म हो गया है कि पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट एयर-स्ट्राइक ‘राजनीतिक इच्छाशक्ति’ का नतीजा थी. वायुसेनाध्यक्ष के मुताबिक, लड़ाकू विमानों की संख्या कम होने से सैन्य तैयारियों पर असर पड़ता ही है, “भविष्य के युद्ध मीडिया की नजरों के सामने लड़े जाएंगे.”
बुधवार को वायुसेना प्रमुख सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज (सीएपीएस) द्वारा आयोजित एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. इस सेमिनार का थीम था ‘एयरो-स्पेस पावर इन फ्यूचर कॉन्फ्लिक्ट’. इस दौरान एयर चीफ मार्शल ने कहा कि बालाकोट जैसे ऑपरेशन ने दिखा दिया है कि “अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो एयरो-स्पेस पावर को नो वॉर, नो पीस स्थिति में न्यूक्लियर हैंगओवर और बिना युद्ध में तब्दील किए बियोंड द एनेमी लाइन में भी इस्तेमाल किया जाता है.”
वायुसेनाध्यक्ष के मुताबिक, “तेजी से ऑपरेशन करने, कम समय में जवाबी कार्रवाई, लॉन्ग रीच, सटीक फायर पावर, दुश्मन को शॉक देना, हर डोमेन में ओपरेट करने और नेटवर्क सेंट्रिक ऑपरेशन्स के जरिए आज भारतीय वायुसेना देश की मजबूत सैन्य ताकत के तौर पर उभरी है.”
एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि “इस वक्त दुनियाभर में चल रहे संघर्ष (युद्ध) सभी देश और उनके वायु-सेनाओं के लिए सबक हैं. उन्हें समझने से एयर पावर को मॉर्डन बेटल-स्पेस में इस्तेमाल करने में मदद मिलती है.”
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि “भविष्य के युद्ध में काइनेटिक और नॉन-काइनेटिक फोर्सेज का मिला-जुला रूप होगा.” उन्होंने कहा कि “रणभूमि में पारदर्शिता रखना, मल्टी-डोमेन ऑपेरशन्स, उच्च दर्जे की सटीकता, ज्यादा घातक युद्ध और मीडिया की नजरों के सामने ही युद्ध लड़े जाएंगे.” लेकिन एयर चीफ मार्शल ने “एआई, बिग डाटा, ब्लॉक चेन और क्वांटम कम्युनिकेशन के कन्वर्जेंस से मौजूदा हथियार और तकनीक भी बेकार साबित हो सकती हैं. ऐसे में खतरों और चुनौतियों के बीच नई तकनीक को अपनाते रहना चाहिए.” उन्होंने पायलट द्वारा संचालित एयरक्राफ्ट पर जोर देते हुए कहा कि सिर्फ ड्रोन और अनमैन्ड एरियल व्हीकल पर निर्भर रहना उचित नहीं है.