करीब 28 महीने बाद रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस बात का खुलासा किया है कि यूक्रेन युद्ध के शुरुआती हफ्तों में कीव की घेराबंदी दबाव डालने के लिए की गई थी. यानी यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करना रूसी सेना का मकसद नहीं था. खास बात ये है कि जो बात पुतिन ने अब कही है, इस पर विस्तार से नीरज राजपूत द्वारा लिखी पुस्तक ‘ऑपरेशन जेड लाइव’ (प्रभात प्रकाशन) में करीब एक साल पहले ही लिख दिया गया था.
रुसी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को हाल में संबोधित करते हुए पुतिन ने कहा कि उनकी सेना का मकसद कभी भी कीव पर धावा बोलना नहीं था. यही वजह है कि रूसी सेना ने कीव के आसपास घेराबंदी की थी ताकि यूक्रेनी सरकार को बातचीत के लिए दबाव डाला जाए. पुतिन के मुताबिक, इस दौरान तुर्की और कुछ पश्चिमी देशों की पहल पर रुस और यूक्रेन के बीच वार्ता भी हुई थी. लेकिन पश्चिमी देशों ने मांग की कि सर पर बंदूक रखकर यूक्रेन वार्ता के लिए तैयार नहीं हो सकता है. ऐसे में मार्च महीने के आखिर में (मार्च 2022) में रूसी सेना ने कीव की घेराबंदी खत्म कर वापस अपनी सीमा में लौट आई.
पुतिन का आरोप है कि जैसे ही रूसी सेना वापस लौटी, अगले दिन से ही यूक्रेन ने बूचा शहर में हुए नरसंहार को लेकर रुस पर सारा इल्जाम मढ़ दिया. रुसी सेना के वापस होते ही यूक्रेन ने शांति वार्ता में हो रहे समझौते को कूड़ेदान में डाल दिया. अप्रैल (2022) में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूसी सेना की वापसी को लेकर बड़ा ऐलान कर दिया. बाइडेन ने कहा कि रूसी सेना की वापसी अमेरिकी की मदद से यूक्रेनी सेना की जवाबी कार्रवाई का नतीजा है.
‘ऑपरेशन जेड लाइव’ में लेखक ने विस्तार से लिखा है कि ’24 फरवरी 2022 को जब रुस की सेना ने अपने टैंक और तोप के साथ युद्धाभ्यास की आड़ में यूक्रेन की राजधानी कीव की घेराबंदी की थी तो क्या पुतिन को लगा था कि क्रीमिया (2024) की तरह यूक्रेनी सेना इस बार भी महाशक्ति के सामने आत्मसमर्पण कर देगी और यूक्रेन का राष्ट्रपति जेलेंस्की यूक्रेन छोड़कर यूरोप भाग जाएगा.” पुस्तक में लिखा है कि “क्या पुतिन की सेना सिर्फ ‘शो ऑफ पावर’ का प्रदर्शन करने के लिए कीव के बाहरी इलाकों में पहुंची थी. क्योंकि जब यूक्रेन की सेना ने रुस की सेना का मुकाबला करना शुरु किया तो रुस के ऑप-लॉजिस्टिक का कोई बैक-अप प्लान नहीं था. वे एक लंबी लड़ाई के लिए तैयार नहीं थे. यही वजह है कि रूसी सैनिक अपने टैंक, आईसीवी (इन्फेंट्री कॉम्बेट व्हीकल) और आर्मी ट्रक बिना तेल-पानी के यूक्रेन में छोड़कर भाग खड़े हुए (पेज 62).”
पुस्तक में पुतिन और उसके सिपहसालारों द्वारा यूक्रेन को ‘मिस्जज’ करने के बारे में लिखा गया है. मॉस्को में आम लोगों के बीच ‘गॉसिप’ के बारे में लिखा है कि पुतिन ने यूक्रेन की राजधानी “कीव और उसके आसपास के इलाकों में सक्रिय अपने 100 जासूसों (एजेंट्स) को युद्ध की घोषणा के कुछ दिन बाद बर्खास्त कर दिया था. क्योंकि ये जासूस कीव और दूसरे इलाकों में यूक्रेन की सेना की ताकत और रुस के हमले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के बारे में ठीक-ठाक आकलन नहीं कर पाए थे.”
पुतिन का हालिया बयान स्विट्जरलैंड में आयोजित यूक्रेन पीस समिट (15-16 जून) से ठीक पहले आया है. हालांकि, रुस ने इस शिखर सम्मेलन में ये कहा हिस्सा नहीं लिया है कि न तो उसे विश्वास में लिया गया और न ही आमंत्रित किया गया था. ऐसे में रुस-यूक्रेन विवाद जल्द खत्म होता नहीं दिखाई पड़ रहा है. इसी हफ्ते इटली में जी-7 समिट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेलेंस्की से मुलाकात के दौरान (रुस से) शत्रुता को ‘बातचीत और डिप्लोमेसी’ के जरिए सुलझाने की सलाह दी थी.
[Mr Neeraj Rajput, who is Author of ‘Operation Z Live’ (Prabhat Prakashan) is Editor in Chief of TFA Media too.]
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