टाटा ग्रुप के साथ मिलकर हिंदुस्तान में ही बनाया जाएगा रफाल (राफेल). घातक लड़ाकू विमान बनाने वाली एविएशन कंपनी दासो ने टाटा के साथ की है बड़ी डील. ऑपरेशन सिंदूर में रफाल फाइटर जेट को लेकर चल रहे विवाद को दरकिनार करते हुए फ्रांसीसी कंपनी दासो (दसॉल्ट) ने बड़ी घोषणा की है. डील के मुताबिक दासो और टाटा कंपनी, भारत में ही रफाल फाइटर जेट के फ्यूसलाज का निर्माण करेंगी.
भारत में बनाया जाएगा रफाल का मेन बॉडी पार्ट
डसॉल्ट एविएशन और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड ने भारत में राफेल लड़ाकू विमान के बॉडी पार्ट के निर्माण के लिए 4 प्रोडक्शन ट्रांसफर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं. दासो और टाटा के बीच ये डील गुरुवार (5 जून) को की गई है. दासो कंपनी के इतिहास में ये पहली बार है कि रफाल के फ्यूसलाज यानी मेन बॉडी पार्ट, फ्रांस के बाहर निर्माण किए जाएंगे. रफाल की बॉडी पार्ट के लिए टाटा ने दासो के साथ
कुल चार करार किए हैं.
टाटा और दासो कंपनी ने डील पर क्या कहा?
करार के बाद, टाटा और दासो कंपनी ने ऐलान किया कि हैदराबाद प्लांट में भारत के साथ-साथ विदेशों में इस्तेमाल होने वाले रफाल फाइटर जेट के फ्यूसलाज बनाए जाएंगे. टाटा और दासो कंपनी ने साझा बयान में बताया कि गुरुवार को हुए करार से भारत में एयरोस्पेस निर्माण की क्षमताएं तो मजबूत होगीं ही, साथ ही ग्लोबल सप्लाई चेन को भी मदद मिलेगी. पहले कोरोना महामारी और फिर रुस-यूक्रेन युद्ध के चलते ग्लोबल सप्लाई चेन में काफी बाधाएं सामने आई हैं. टाटा और दासो के करार से भारतीय वायुसेना के लिए एमआरएफए यानी मीडियम रेंज फाइटर एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं.
माना जा रहा है कि इस प्रोडक्शन प्लांट से 2028 तक राफेल का पहला फ्यूसलाज असेंबली लाइन से बाहर आ जाएगा. जब फैक्ट्री पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगी तो यहां हर दो महीने में दो फ्यूसलाज तैयार किए जाएंगे.
नौसेना के लिए 26 रफाल एम की डील
28 अप्रैल को ही भारत ने दासो कंपनी के साथ ही नौसेना के लिए रफाल फाइटर जेट के 26 मरीन वर्जन का करार किया है. इन रफाल (एम) विमानों की खेप भी 2028 तक ही भारतीय नौसेना को मिल पाएगी. ऐसे में माना जा रहा है कि इन 26 रफाल (एम) में से कुछ फाइटर जेट की मेन बॉडी, मेक इन इंडिया हो सकती है.भारतीय वायुसेना भी पिछले छह सालों से 36 रफाल फाइटर जेट ऑपरेट कर रही है.
ऑपरेशन सिंदूर में रही है रफाल की अहम भूमिका
हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, सुखोई फाइटर जेट के साथ रफाल लड़ाकू विमानों ने भी जैश और लश्कर की कमर तोड़ दी थी. पहले पाकिस्तान में जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा के मुख्यालयों को तबाह किया और फिर पाकिस्तानी वायुसेना के एयरबेस को भी नुकसान पहुंचाया था.
रफाल की ताकत देखते हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद ही इंडोनेशिया ने भी रफाल खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है. इंडोनेशिया ने भी दासो कंपनी से 42 रफाल फाइटर जेट खरीदने की बड़ी डील की है.
रफाल को लेकर कंट्रोवर्सी, खरीद से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक विपक्ष ने उठाए सवाल
पाकिस्तान और कांग्रेस पार्टी ने हालांकि, रफाल की क्षमताओं पर सवाल उठाए थे कि 6-7 मई को हुए ऑपरेशन में फ्रांसीसी एयरक्राफ्ट ‘डाउन’ हुए थे. यूपीए के काल में वायुसेना को 126 फाइटर जेट (रफाल) की जरूरत थी. लेकिन मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद सीधे 36 रफाल लड़ाकू विमान खरीद लिए थे. विमान के खरीद को लेकर भी विपक्ष ने सरकार को घेरा था, लेकिन आलोचनाओं को नजरंदाज करते हुए मोदी सरकार ने रफाल डील को आगे बढ़ाया था.
स्वदेशी एलसीए तेजस प्रोजेक्ट में आ रही देरी के चलते भी वायुसेना के सामने लगातार घटती स्क्वाड्रन एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में वायुसेना ने एमआरएफए प्रोजेक्ट के जरिए सरकार (रक्षा मंत्रालय) से 114 नए लड़ाकू विमानों की मांग की है, जिन्हे मेक इन इंडिया के तहत देश में ही बनाया जाएगा.
डिफेंस में मेक फॉर वर्ल्ड के लिए तैयार हिंदुस्तान, अपाचे हेलीकॉप्टर, ब्रह्मोस मिसाइल, स्पेन के विमान का भारत में प्रोडक्शन
अमेरिका के सबसे घातक अटैक हेलिकॉप्टर अपाचे का ढांचा भी भारत में ही बनाया जाता है. भारतीय कंपनी टाटा एडवांस्ड सिस्टम लिमिटेड बोइंग एरोस्पेस के साथ मिलकर इसका निर्माण करती है. यह फैसिलिटी भी हैदराबाद में स्थापित है. इस फैसिलिटी ने अब तक 250 से ज्यादा ढांचे डिलीवर किए हैं. इसके अलावा ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मनों पर वार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल भी भारत में बनाई जाती है, जिसे रूस के साथ मिलकर तैयार किया जाता है. स्पेन का मिलिट्री ट्रांसपोर्ट भी गुजरात के वड़ोदरा में बनाया जा रहा है. टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्पलेक्स में स्पेन की एयरबस कंपनी के साथ मिलकर सी-295 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का निर्माण किया जा रहा है. आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पिछले एक दशक में भारत के रक्षा निर्यात में 30 गुना वृद्धि हुई है.