जंग के मैदान में दुश्मन की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखने वाले बैटलफील्ड सर्विलांस सिस्टम (बीएसएस), ‘संजय’ को बॉर्डर पर तैनात करने के लिए रवाना कर दिया गया है. शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संजय को साउथ ब्लॉक से रवाना किया.
भारतीय सेना और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित स्वदेशी ‘संजय’ के बारे में सबसे पहले टीएफए ने सबसे पहले जानकारी दी थी. इस साल गणतंत्र दिवस परेड में संजय को कर्तव्य पथ पर भी देखा जाएगा. बीएसएस प्रोजेक्ट पर 2402 करोड़ रूपये खर्च हुए हैं.
महाभारत के संजय की तरह दूर से करेगा निगरानी
महाभारत के सारथी संजय की तरह ये सर्विलांस सिस्टम भी बैटलफील्ड से बेहद दूर रहकर भी कमांडर को दुश्मन की हर आहट की सही सही जानकारी दे सकता है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस साल अक्टूबर तक संजय को सेना की सभी ब्रिगेड, डिवीजन और कोर में तैनात कर दिया जाएगा.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, संजय एक स्वचालित प्रणाली है जो सभी जमीनी और हवाई युद्धक्षेत्र सेंसर से जानकारी को एकीकृत करता है. बीएसएस में रडार लगे हैं ताकि दुश्मन के टैंक और मिलिट्री व्हीकल्स की आहट की चेतावनी भी कमांडर्स तक पहुंच सके.
कई सौ किलोमीटर दूर रहकर भी कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में दुश्मन देश के सैनिकों की मूवमेंट और सैन्य काफिले की जानकारी भी बीएसएस के जरिए पता की जा सकती है. क्योंकि, इसमें महाभारत के संजय की आंखों का काम करता है ड्रोन, जो ऊंचाई से जंग के मैदान की लाइव फीड मुहैया कराता है.
ड्रोन, रडार और सैटेलाइट कम्युनिकेशन से लैस
ड्रोन की लाइव फीड को बीएसएस पर लगी एक बड़ी स्क्रीन पर देखा जा सकता है. ऐसे में दुश्मन के साथ-साथ अपने सैनिकों के एक्शन को भी दूर बैठकर देखा जा सकता है.
जानकारी के मुताबिक, बीएसएस को सेटेलाइट से भी जोड़ा गया है ताकि अंतरिक्ष से भी रणभूमि की निगरानी की जा सके.
दरअसल, जंग के मैदान की परिस्थितियों का रियल-टाइम में आंकलन कर सीनियर कमांडर बेहतर रणनीति बना सकते हैं. कई बार जंग के मैदान की टेरेन इत्यादि की भी सही सही जानकारी पता लगाना बेहद जरूरी होता है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, बीएसएस अत्याधुनिक सेंसर और अत्याधुनिक एनालिटिक्स से लैस है. यह लंबी भूमि सीमाओं की निगरानी करेगा, घुसपैठ को रोकेगा, सटीकता के साथ स्थितियों का आकलन करेगा और खुफिया, निगरानी और टोही में अहम भूमिका निभाएगा.
रियल टाइम में कमांडर्स को बैटलफील्ड की मिलेगी सही जानकारी
यह कमांडरों को नेटवर्क केंद्रित वातावरण में पारंपरिक और उप-पारंपरिक दोनों तरह के ऑपरेशन में काम करने में सक्षम बनाएगा. इसका समावेश भारतीय सेना में डेटा और नेटवर्क केंद्रितता की दिशा में एक बड़ी छलांग होगी.
यह युद्धक्षेत्र की पारदर्शिता को बढ़ाएगा और एक केंद्रीकृत वेब एप्लिकेशन के माध्यम से भविष्य के युद्ध-क्षेत्र में बदलाव करेगा जो कमांड और सेना मुख्यालय और भारतीय सेना निर्णय प्रणाली को जानकारी प्रदान करेगा.