दुनिया की सबसे ऊंची रणभूमि में सैनिकों का मनोबल बढ़ाने गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सियाचिन ‘हमारे देश के साहस, धैर्य और दृढ़ संकल्प की राजधानी है’. सैनिकों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि बर्फीले सियाचिन ग्लेशियर में हमारे सैनिकों की ‘बहादुरी और दृढ़ इच्छाशक्ति से भविष्य की पीढ़ियां सदैव प्रेरित व गौरवान्वित होंगी’.
व्यस्त चुनावी दौरे के बीच सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सिचायिन ग्लेशियर पहुंचे. सियाचिन ग्लेशियर का हवाई सर्वेक्षण के बाद रक्षा मंत्री 15,100 फीट की ऊंचाई पर मौजूद कुमार नाम की अग्रिम चौकी पर उतरे. वहां पहुंचकर उन्हें सियाचिन ग्लेशियर में ऑपरेशन्ल तैयारियों और मौजूदा सुरक्षा स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई. उन्होंने कमांडरों के साथ परिचालन चुनौतियों से जुड़े पहलुओं पर चर्चा भी की.इस दौरान थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और सेना की उत्तरी कमान और लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कोर के कमांडर भी मौजूद थे. रक्षा मंत्री ने दुनिया के सबसे ऊंची बैटलफील्ड सियाचिन की सुरक्षा की समीक्षा भी की. राजनाथ सिंह ने वहां तैनात सैनिकों से मुलाकात की और अपने हाथों से मिठाई खिलाई. चुनौतीपूर्ण मौसम व कठिन इलाके में राष्ट्र की रक्षा करने के लिए रक्षा मंत्री ने सियाचिन ग्लेशियर में तैनात वीर सैनिकों की सराहना की.
कुमार पोस्ट से रक्षा मंत्री सियाचिन बेस कैंप पहुंचे और वहां तैनात सैनिकों को संबोधित किया. सैनिकों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि “समूचा राष्ट्र सशस्त्र बलों के कर्मियों का हमेशा ऋणी रहेगा क्योंकि उनके बलिदान के कारण प्रत्येक नागरिक सुरक्षित महसूस करता है.” उन्होंने कहा, ”हम शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं क्योंकि हमें आश्वासन है कि हमारे बहादुर सैनिक सीमाओं पर दृढ़ता से खड़े हैं. आने वाले समय में जब राष्ट्रीय सुरक्षा का इतिहास लिखा जाएगा, तब बर्फीले ठंडे ग्लेशियर में हमारे सैनिकों की बहादुरी और इच्छाशक्ति के कार्यों को गर्व के साथ याद किया जाएगा. यह हमेशा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा.”
रक्षा मंत्री ने कहा कि “सियाचिन कोई साधारण भूमि नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है.” उन्होंने कहा कि जैसे दिल्ली भारत की राष्ट्रीय राजधानी है, मुंबई वित्तीय राजधानी है और बेंगलुरु प्रौद्योगिकी राजधानी है, “सियाचिन भी हमारे देश के साहस, धैर्य और दृढ़ संकल्प की राजधानी है.”
इसी महीने की 13 तारीख को देश ने ‘ऑपरेशन मेघदूत’ की सफलता की 40वीं वर्षगांठ मनाई है. राजनाथ सिंह ने 13 अप्रैल, 1984 को पाकिस्तान के खिलाफ सियाचिन में भारतीय सेना द्वारा शुरू किए गए इस ऑपरेशन को देश के सैन्य इतिहास का सुनहरा अध्याय बताया. उन्होंने कहा, ‘ऑपरेशन मेघदूत’ की सफलता हम सबके लिए गर्व की बात है. इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने मातृभूमि की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुरों को सियाचिन युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.
गौरतलब है कि राजनाथ सिंह ने 24 मार्च को लेह का दौरा किया था और सैनिकों के साथ होली मनाई थी. उनका सियाचिन जाने का कार्यक्रम था, लेकिन मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था. लेह से रक्षा मंत्री ने सियाचिन में तैनात सैनिकों के साथ फोन पर बात की थी और उन्हें कहा था कि वह जल्द ही दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र का दौरा करेंगे और उनके साथ बातचीत करेंगे. सोमवार की यात्रा से राजनाथ सिंह ने अपने व्यस्त कार्यक्रम के बीच अपना वादा पूरा किया.
[Watch special episode of ‘Final Assault By Neeraj Rajput’ on Siachen Pioneers: https://youtu.be/eeCcjFOICzw?si=7OBqRlAZbrn7d8nV]