रूस के तीन दिवसीय (8-10 दिसंबर) दौरे के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रूसी समकक्ष आंद्रेई बेलौसोव से खास मुलाकात करेंगे. इस दौरान दोनों देशों के रक्षा मंत्री भारत-रूस ‘इंटर-गवर्नमेंटल कमीशन ऑन मिलिट्री एंड मिलिट्री टेक्निकल कॉपरेशन’ की 21वीं बैठक में हिस्सा लेंगे.
माना जा रहा है रूसी रक्षा मंत्री से मुलाकात के दौरान राजनाथ सिंह, रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी में हो रही देरी का मामला भी उठा सकते हैं. रूस ने हालांकि, अगले साल यानी 2025 तक एस-400 की बाकी दो बैटरी (यूनिट) भी डिलीवरी करने का भरोसा दिया है.
भारत ने वर्ष 2018 में रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम की पांच (05) यूनिट का सौदा किया था. तीन यूनिट भारत को मिल चुकी हैं लेकिन यूक्रेन जंग के चलते बाकी दो यूनिट की डिलीवरी अटकी हुई है. इस बीच खबर है कि रूस ने उत्तर कोरिया को भी एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी की है.
दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच यूक्रेन जंग के जल्द सुलझाने पर भी बात हो सकती है. राजनाथ सिंह के रूस दौरे की जानकारी देते हुए रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि बैठक के दौरान “पारस्परिक हितों के मौजूदा क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी.”
सैन्य सहयोग पर चर्चा के दौरान राजनाथ सिंह अपने रूसी समकक्ष से सुखोई फाइटर जेट के इंजन के साझा निर्माण पर भी बात कर सकते हैं. राजनाथ सिंह से पहले हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के सीएमडी ने भी मॉस्को का दौरा किया था. साथ ही शनिवार को मॉस्को में भारत के राजदूत विनय कुमार ने भी रूस के उप-रक्षा मंत्री से एक अहम मुलाकात की.
रक्षा मंत्री की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात को लेकर स्थिति अभी साफ नहीं है. हालांकि, अगले साल के शुरूआत में पुतिन का भारत दौरा तय है.
राजनाथ सिंह के रूस दौरे का हालांकि मुख्य आकर्षण ‘आईएनएस तुशिल’ की कमीशनिंग सेरेमनी होने जा रही है. करीब 125 मीटर लंबा और 3.9 टन भारी मल्टी रोल स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस तुशिल को सोमवार (9 दिसंबर) को भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल किया जाएगा. राजनाथ सिंह की मौजूदगी में रूस के कलिनिनग्राड में तुशिल की कमीशनिंग सेरेमनी आयोजित की जाएगी.
भारत ने वर्ष 2016 में रूस के जेएससी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट कंपनी के साथ दो स्टील्थ फ्रिगेट (‘तुशिल’ और ‘तामल’) बनान का करार किया था. आईएनएस तुशिल उन दो युद्धपोतों में से एक है जिसका निर्माण देश से बाहर (रूस में) हुआ है. तुशिल के साथ ही तामल का निर्माण भी कलिनिनग्राड शिपयार्ड में चल रहा है.
तुशिल, क्रिवाक-3 क्लास फ्रिगेट का अपग्रेडेड वर्जन है जिसे प्रोजेक्ट 1135.6 के तहत बनाया गया है. इस क्लास के तीन तलवार क्लास जंगी जहाज का निर्माण रूस के सेंट पीटर्सबर्ग के बाल्टीस्काई शिपयार्ड में हुआ था और भारतीय नौसेना का हिस्सा हैं.
इस क्लास के तीन फॉलो-अप तेग क्लास युद्धपोतों का निर्माण कलिनिनग्राड के यांतर शिपयार्ड में हुआ था. तुशिल, इस क्लास का छठा जहाज होगा और तामल सातवां.
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता, कमांडर विवेक मधवाल के मुताबिक, तूशिल में करीब 26 प्रतिशत स्वदेशी मैटेरियल है और इसमें 33 मेड इन इंडिया उपकरण हैं. तुशिल के लिए जिन भारतीय कंपनियों ने मदद की है, उनमें ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), नोवा (टाटा) इंटीग्रेटेड सिस्टम, सहित कई स्वदेशी ओईएम शामिल हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि तुशिल को ब्रह्मोस मिसाइल से भी लैस किया जाएगा.
तुशिल, एक संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ होता है रक्षा करने वाला यानी ‘प्रोटेक्टर शील्ड’. तुशिल का क्रेस्ट ‘अभेद्य कवचम’ प्रस्तुत करता है तो उसका आदर्श-वाक्य है ‘निर्भय, अभेद्य और बलशील’.
आईएनएस तुशिल, भारतीय नौसेना की मुंबई स्थित पश्चिमी कमान की वेस्टर्न फ्लीट (‘स्वार्ड आर्म’) का हिस्सा होगा. तकनीक के तौर पर तूशिल को दुनिया के सबसे एडवांस फ्रिगेट में गिना जा रहा है.
पिछले एक दशक में ये पहली बार है कि रूस में बना कोई जंगी जहाज नौसेना में शामिल होगा. वर्ष 2013 में भारत ने रूस से आईएनएस विक्रमादित्य एयरक्राफ्ट कैरियर खरीदा था.
पिछले एक दशक में भारत स्वदेशी जंगी जहाज के निर्माण में जुटा है. यही वजह है कि इस वक्त इंडियन नेवी के जो 63 निर्माणाधीन युद्धपोत हैं, उनमें से मात्र दो ही विदेश में बन रहे हैं.
अपने मॉस्को दौरे के दौरान रक्षा मंत्री द्वितीय विश्वयुद्ध के सोवियत सैनिकों की याद में तैयार किए गए टॉम्ब ऑफ द अननोन सोल्जर पर जाकर भी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. साथ ही रूस में रहने वाले भारतीय समुदाय से भी मुलाकात करेंगे.