रूस, तालिबान सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता देने वाला पहला देश बन गया है. वर्ष 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार को औपचारिक रूप से अभी तक किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी थी, लेकिन मॉस्को ने तालिबान सरकार को मान्यता दे दी है.
मॉस्को ने तालिबान को अपने प्रतिबंधित संगठनों की सूची से भी हटा दिया है. इस फैसले के बाद मॉस्को में अफगान दूतावास पर तालिबान का सफेद झंडा फहराया गया है.
रूसी राजदूत ने तालिबानी विदेश मंत्री से की मुलाकात, बताया फैसला
रूस ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए तालिबान सरकार को मान्यता दे दी है. रूसी विदेश मंत्रालय ने इस फैसले की घोषणा की है. रूसी सरकार ने तालिबान द्वारा नियुक्त नए अफगान राजदूत गुल हसन हसन को स्वीकार करते हुए यह घोषणा की. मॉस्को में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रे रुडेंको ने गुल हसन हसन से मुलाकात की और उनके साख-पत्र (क्रेडेंशियल्स) को स्वीकार किया.
रूसी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि उन्हें अफगानिस्तान के राजदूत गुल हसन हसन से राजनयिक मान्यता-पत्र प्राप्त हुआ है. अफगान सरकार को औपचारिक मान्यता देना “उत्पादक द्विपक्षीय सहयोग” को बढ़ावा देगा.
रूस ने कहा, “हम मानते हैं कि इस्लामी अमीरात अफगानिस्तान की सरकार को आधिकारिक मान्यता देना हमारे देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में रचनात्मक द्विपक्षीय सहयोग को प्रोत्साहन देगा.”
रूस के साथ हमारे संबंधों के इतिहास में सबसे बड़ी उपलब्धि:आमिर खान मुत्ताकी
रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव ने तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की. बैठक के दौरान रूस के राजदूत ने आधिकारिक तौर पर अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात (आईईए) को मान्यता देने के अपने सरकार के फैसले के बारे में बताया. बैठक में झिरनोव ने औपचारिक रूप से यह जानकारी दी कि रूसी सरकार ने अफगानिस्तान के “इस्लामी अमीरात” को मान्यता देने का निर्णय लिया है.
अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे एक ऐतिहासिक कदम बताया और तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह “दूसरे देशों के लिए एक अच्छा उदाहरण” है.
सर्गेई लावरोव की सलाह पर पुतिन ने लिया बड़ा फैसला
अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव ने बताया है कि कि तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता देने का निर्णय राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की सलाह पर लिया. झिरनोव ने अपने बयान में कहा, यह निर्णय रूस की “अफगानिस्तान के साथ पूर्ण संबंधों के विकास के लिए ईमानदार कोशिश” को दर्शाता है.
यूएन और ईयू ने नहीं दी है तालिबान सरकार को मान्यता
दुनिया के ज्यादातर देशों ने अब तक तालिबान को आधिकारिक सरकार के रूप में मान्यता नहीं दी है.संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ जैसे संगठनों ने अब तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है.
अगस्त 2021 में अमेरिका और नाटो बलों की वापसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता संभाली थी. तालिबान ने कई देशों के साथ उच्च-स्तरीय वार्ताएं की हैं और चीन तथा संयुक्त अरब अमीरात सहित कुछ देशों के साथ राजनयिक संबंध भी बनाए हैं. भारत से भी पिछले कुछ महीनों में तालिबान से अच्छे संबंध बने हैं.
अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद तालिबानी कब्जे के बावजूद रूस ऐसा देश था, जिसने काबुल में अपने दूतावास को खुला रखा और तालिबान नेतृत्व के साथ संपर्क में बना रहा. रूस सरकार ने कहा कि उसे व्यापार और आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं हैं.
रूस के इस कदम को सामरिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है. रूसी अधिकारियों ने अफगानिस्तान को स्थिर करने में मदद करने के लिए तालिबान से जुड़ने की आवश्यकता पर बल दिया है.