प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूक्रेन दौरे के 24 घंटे के अंदर ही रूस और यूक्रेन में एक बड़ी पहल हुई है. ऐसी पहल जिससे रूस और यूक्रेन में शांति और समझौते को लेकर रास्ते खुल सकते हैं. रुस और यूक्रेन के बीच 115-115 युद्धबंदियों की अदला-बदली हुई है. यूएई की मध्यस्थता से ये संभव हो पाया है.
पीएम मोदी ने भी इस बात पर जोर दिया है कि रूस और यूक्रेन को बातचीत की एक मेज पर आना चाहिए. पीएम मोदी के यूक्रेन दौरा खत्म होते ही रूस-यूक्रेन के बीच कैदियों की अदला-बदली हुई है. यूएई ने दावा किया है कि इस अदला-बदली की घोषणा की है.
कुर्स्क इलाके में बंदी बनाए गए सैनिकों की हुई अदला-बदली
6 अगस्त को यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क प्रांत में हमला कर 1200 वर्ग किलोमीटर इलाके पर कब्जा कर लिया था. इस दौरान यूक्रेन ने सीमा पर तैनात रूसी सैनिकों को बंदी बना लिया था. तभी से रूसी सैनिक यूक्रेनी सेना को खदेड़ने के लिए कुर्स्क में लड़ रहे हैं. इसी दौरान रूसी सेना ने भी यूक्रेनी सैनिकों को बंदी बना लिया था. कुछ सैनिकों ने सरेंडर भी किया था. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने बताया है कि जिन सैनिकों को रूस ने रिहा किया है उनमें नेशनल गार्ड, सशस्त्र सेना, नौसेना और बॉर्डर गार्डस सर्विस शामिल हैं.
रूस-यूक्रेन के कैदियों की अदला-बदला
हालांकि, ये पहली बार नहीं है रूस और यूक्रेन ने युद्धबंदियों की अदला-बदली की है. यूएई की मध्यस्थता से अबतक 1700 से ज्यादा कैदियों की अदला-बदली की जा चुकी है. जिनमें दोनों सेनाओं के जवान भी हैं. ऐसे वक्त में कैदियों का एक्सचेंज होना बेहद अहम इसलिए माना जा रहा है क्योंकि 6 अगस्त को यूक्रेन ने कुर्स्क क्षेत्र को रूस के कब्जे से छीन लिया है और यूक्रेनी सैनिक लगातार आक्रामक तरीके से न्यूक्लियर प्लांट की ओर आगे बढ़ रहे हैं. वहीं पीएम मोदी ने भी रूस और यूक्रेन को बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने की सलाह दी है लिहाजा अब कैदियों की अदला-बदली होना शांति की राह में बड़ा कदम माना जा रहा है.
रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान सातवीं बार कैदियों का एक्सचेंज किया जाएगा. दरअसल जहां यूक्रेन के साथ अमेरिका और पश्चिमी देश खड़े हैं वहीं यूएई मॉस्को के साथ है.
पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन से की शांति की अपील
पीएम मोदी ने यूक्रेन और रूस से युद्ध में बातचीत के जरिये शांति का रास्ता निकालने की अपील की है. ना सिर्फ रूस और यूक्रेन बल्कि अमेरिका समेत दुनिया के बड़े से बड़े देश चाहते हैं कि दोनों देशों में अब शांति हो. माना जा रहा है कि रूस और यूक्रेन में आने वाले समय में बातचीत हो सकती है, क्योंकि भारत की मध्यस्थता पर पुतिन और जेलेंस्की दोनों को ही भरोसा है.