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एस्टोनिया की एयर-स्पेस का उल्लंघन नहीं, रूस के MiG-31 से नाटो में हड़कंप

रूस ने बाल्टिक देश एस्टोनिया की एयर-स्पेस में घुसपैठ की खबरों को एक सिरे से खारिज कर दी है. रूस के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, मिग-31 फाइटर जेट्स ने कैलिलनग्राड जाने के दौरान अंतर्राष्ट्रीय वायु-सीमा नियमों का पालन किया और बाल्टिक सागर के न्यूट्रल हवाई मार्ग का इस्तेमाल किया था. 

इस घटना के बाद से हालांकि, पूरे यूरोप में हड़कंप मच गया है, क्योंकि रूस के मिग-31 लड़ाकू विमान, हाइपरसोनिक मिसाइल (किंझल) ले जाने में सक्षम हैं. एस्टोनिया का आरोप है कि पिछले एक साल में रूसी फाइटर जेट के उल्लंघन की ये चौथी घटना है. 

रूसी रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि मिग-31 लड़ाकू विमानों ने बाल्टिक समंदर में वैंडू आईलैंड से करीब तीन किलोमीटर दूरी पर उड़ान भरी थी. रूसी फाइटर जेट ने एस्टोनिया की एयरस्पेस का कतई उल्लंघन नहीं किया.\

कैलिनिनग्राड के लिए भरी थी रुसी फाइटर जेट्स ने उड़ान

दरअसल, शुक्रवार को रूस के तीन (03) मिग-31 फाइटर जेट्स ने करेलिया एयरबेस से कैलिनिनग्राड क्षेत्र के लिए उड़ान भरी थी. रूस का कैलिनिनग्राड, रशियन फेडरेशन की धरती से दूर, बाल्टिक समंदर के किनारे पौलेंड और लिथुआनिया की सीमा से सटा एक छोटा सा प्रांत है. यहां तक पहुंचने के लिए रूसी एयरक्राफ्ट को एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया जैसे बाल्टिक देशों की सीमा के करीब से गुजरना होता है. इसी को लेकर एस्टोनिया तमतमाया हुआ है. क्योंकि एस्टोनिया का पहले से रूस से सीमा-विवाद चल रहा है.

ट्रंप, यूक्रेन और नाटो ने किया रुस की उकसावे की कार्रवाई का विरोध

शुक्रवार को एस्टोनिया की आपत्ति के बाद, नाटो ने भी रूस की इस हरकत को लेकर नाराजगी जताई. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी बाल्टिक समंदर में चल रही तनातनी को लेकर टिप्पणी की.

रूस के मिग-31 लड़ाकू विमानों की ये घटना, पिछले हफ्ते पौलेंड में रूसी ड्रोन की घुसपैठ के बाद सामने आई है. इसके बाद इंग्लैंड और स्वीडन जैसे नाटो देशों ने अपने फाइटर जेट पौलेंड में तैनात करने का ऐलान कर दिया था.

एस्टोनिया ने रूस के राजदूत को इस उल्लंघन के लिए तलब किया तो नाटो ने रूसी फाइटर जेट को इंटरसेप्ट करने का दम भरा. नाटो ने कहा कि रूस की ऐसी किसी भी उकसावे वाली कार्रवाई का विरोध किया जाएगा. यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वोन डेर लेयन ने कहा कि रूस के इस उकसावे के बाद नाटो को यूरोप के पूर्वी क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को मजबूत करना होगा.

यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई कर रूस, ट्रांस-अटलांटिक की सुरक्षा को खतरा पैदा कर रहा है. यूक्रेन ने इस संकट की घड़ी में रूस का साथ देने का भरोसा दिया और रूस पर प्रतिबंध कड़े करने का आह्वान किया.

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