By Nalini Tewari
अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से होने वाली मुलाकात से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने माहौल बनाना शुरु कर दिया है. बार-बार ये राग अलापने वालेमैं होता तो रुस-यूक्रेन का युद्ध न होता, ट्रंप ने पुतिन को धमकाया है. मीटिंग से पहले ट्रंप ने कहा है कि अगर पुतिन नहीं माने तो रूस को बहुत बुरा परिणाम भुगतना होगा.
वहीं अमेरिका के पूर्व एनएसए और कभी ट्रंप के बेहद करीबी रहे जॉन बोल्टन ने अलास्का में होने वाली मीटिंग को पुतिन की जीत करार दिया है. बोल्टन ने कहा, पुतिन की रणनीति में ट्रंप फंस गए हैं.
पुतिन युद्धविराम पर नहीं माने तो…ट्रंप ने दी धमकी
अमेरिका के अलास्का में पुतिन-ट्रंप की बैठक की सारी तैयारियां की जा चुकी है. इस बैठक से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को कड़ी वॉर्निंग जारी की है. ट्रंप ने कहा, अगर इस बैठक में पुतिन युद्धविराम पर सहमति नहीं दिखाते हैं, तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
ट्रंप ने एक बार फिर कहा, “यह बाइडेन का काम है, मेरा नहीं. उन्होंने हमें इस स्थिति में डाला, अगर मैं राष्ट्रपति होता, तो यह युद्ध कभी नहीं होता. लेकिन जो है, सो है. मैं इसे ठीक करने आया हूं. अगर हम बहुत से लोगों की जान बचा सकें, तो यह बहुत बड़ी बात होगी.”
पहली बैठक सकारात्मक रही तो दूसरी बैठक में पुतिन-जेलेंस्की साथ आएंगे:ट्रंप
अपनी वाहवाही करते हुए ट्रंप ने कहा, “मैंने पिछले छह महीनों में पांच युद्ध रोके हैं. इसके अलावा, हमने ईरान की परमाणु क्षमता को नष्ट कर दिया है, उसे नष्ट कर दिया है… अगर पुतिन के साथ पहली बैठक ठीक रही, तो हम जल्दी से दूसरी बैठक करेंगे. मैं इसे लगभग तुरंत करना चाहूंगा. अगर वे मुझे वहां बुलाना चाहेंगे, तो हम राष्ट्रपति पुतिन, राष्ट्रपति जेलेंस्की और मेरे बीच तुरंत एक दूसरी बैठक करेंगे.”
ट्रंप ने कहा, “यह तो तय ही था, मैं राष्ट्रपति पुतिन से मिलने वाला था और उसके बाद मैं राष्ट्रपति जेलेंस्की से मिलूंगा. इस बात की बहुत अच्छी संभावना है कि हमारी दूसरी बैठक होगी. मुझे पुतिन ने पहली बैठक में संतोषजनक जवाब नहीं मिले, तो दूसरी बैठक नहीं होगी. अगर पुतिन युद्ध रोकने पर सहमत नहीं हुए, तो ‘बहुत कड़े नतीजे’ होंगे.”
अलास्का में बैठक चुनकर पहले ही जीत चुके हैं पुतिन : अमेरिका के पूर्व एनएसए
ट्रंप के पहले कार्यकाल में अमेरिकी एनएसए जॉन बोल्टन ने बड़ा बयान दिया है. बोल्टन ने कहा कि “अलास्का में पुतिन और ट्रंप की मुलाकात रूसी नेता के लिए एक बड़ी जीत है. पुतिन चाहते तो मॉस्को में बैठक कर सकते थे, लेकिन उन्होंने जानबूझकर अलास्का चुना, जो कभी रूस का था.”
बोल्टन ने कहा, “पुतिन का अमेरिका आना एक बड़ी जीत है. वह एक बहिष्कृत नेता हैं जिसने यूक्रेन पर बिना उकसावे के हमला किया. 15 अगस्त को पुतिन संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के बगल में खड़े होकर उस क्षेत्र में अपनी तस्वीर खिंचवाने का मौका मिलेगा जो कभी रूस का हिस्सा हुआ करता था.”
जॉन बोल्टन ने कहा, “रूस में किसी ने भी इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया है कि हमने 1867 में रूस से अलास्का खरीदा था. ट्रंप, पुतिन की रणनीति में फंस गए. मुझे लगता है कि बहुत से लोग इस पर नजर रखेंगे. लेकिन मुख्य बात यह देखना है कि क्या पुतिन, ट्रंप के साथ यह सोचकर उभरेंगे कि वे फिर से दोस्त बन गए हैं.”
जॉन बोल्टन पर भड़के ट्रंप, पूर्व करीबी सहयोगी को बताया बेवकूफ
जॉन बोल्टन के इस बयान पर ट्रंप भड़क गए हैं. ट्रंप ने कहा, “लगातार बर्खास्त किए गए हारे हुए लोगों और जॉन बोल्टन जैसे बेहद बेवकूफ लोगों के बयान को नहीं दिखाना चाहिए.” ट्रंप ने कहा, “भले ही मुलाकात अमेरिकी धरती पर हो रही हो, पुतिन पहले ही जीत चुके हैं. आखिर ये सब क्या है? मीडिया की कहानी पक्षपातपूर्ण है और अमेरिका “हर चीज में जीत रहा है”.
जेलेंस्की के बिना युद्धविराम संभव नहीं, यूरोपीय नेता खुलकर आए सामने
पुतिन और ट्रंप के बैठक से पहले यूरोपीय देशों जेलेंस्की का खुलकर समर्थन करने के लिए आगे आए हैं. यूरोपीय नेताओं के साथ एक वर्चुअल बैठक में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि “ट्रंप ने बहुत स्पष्ट कहा कि अमेरिका अलास्का में होने वाले आगामी अमेरिका-रूस शिखर सम्मेलन में युद्धविराम चाहता है.”
वहीं जर्मन चांसलर मर्ज़ ने कहा, कि “प्राथमिकता युद्धविराम सुनिश्चित करना है, अगर रूस सहमत नहीं होता है, तो यूक्रेन के सहयोगियों को उस पर दबाव बढ़ाना चाहिए.”
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने यूक्रेन को निरंतर समर्थन देने का वादा किया और पुतिन को बातचीत की मेज पर लाने के लिए ट्रंप का धन्यवाद किया.
वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पुतिन पर धोखेबाजी करने का आरोप लगाया कि “उनकी मंशा नहीं लगती है कि युद्धविराम हो.”
ट्रंप की धमकी पर रुस ने नहीं दी प्रतिक्रिया, चीन के जासूसी जहाज अलास्का के करीब मौजूद
डोनाल्ड ट्रंप की धमकी पर रूस की ओर से कोई तत्कालिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन ट्रंप के साथ मीटिंग से पहले पुतिन अपने मित्र देशों से लगातार संपर्क में हैं. पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात की है, ब्रिक्स के बाकी सहयोगियों से चर्चा के अलावा नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से भी पुतिन ने लंबी चर्चा की है.
इस बीच ऐसी खबरें भी आई हैं कि रूसी सेना लगातार यूक्रेनी सैनिकों को पीछे धकेल रही है और यूक्रेन के ज्यादा से ज्यादा हिस्सों पर अपना अधिकार जमा रही है.
वहीं अलास्का के करीब चीन के 5 जासूसी जहाज देखे गए हैं, जिनपर अमेरिकी सेना नजर रखे हुए है.