कुर्स्क में यूक्रेन के हाथों पिछड़ने के बाद रूस को अब अपने परमाणु संयंत्रों पर खतरे का डर सताने लगा है. रूस ने कुर्स्क न्यूक्लियर प्लांट पर यूक्रेन के संभावित हमले को देखते हुए यूएन और इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (आईएईए) से मामले में दखल देने की अपील की है.
रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने बयान जारी कर कहा कि ऐसी रिपोर्ट मिली है कि यूक्रेन की सेना कुर्स्क न्यूक्लियर प्लांट पर कब्जा करने की तैयारी कर रही है. जखारोवा के मुताबिक, अगर ऐसा हुआ यूरोप में मानवीय आपदा आ सकती है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र और आईएईए जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को कीव (यूक्रेन) की सरकार को ऐसे किसी भी उकसावे वाली कार्रवाई रोकने की सख्त जरूरत है.
दरअसल, 6 अगस्त को यूक्रेनी सेना ने रूस के कुर्स्क प्रांत में घुसकर एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था. यूक्रेनी सेना के इस आक्रमण से रूसी सेना भौचक्की रह गई. रूसी सीमा के करीब 10 किलोमीटर अंदर तक घुसी यूक्रेनी सेना ने रूस के सुडझा गैस प्लांट पर कब्जा कर लिया है. इसी प्लांट से यूरोप को गैस की आपूर्ति होती है. यूक्रेनी सेना का अगला निशाना कुर्स्क न्यूक्लियर प्लांट है.
यूक्रेनी सेना के इस सरप्राइज अटैक से रूस परेशान है. यही वजह है कि रूसी विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन को आईएईए के प्रमुख राफिल ग्रोसी के 2022 के चार्टर को याद कराया. उस दौरान रूसी सेना यूक्रेन के जपोरिजिया न्यूक्लियर प्लांट पर कब्जे की लड़ाई लड़ रही थी. फिलहाल, ये प्लांट रूसी कब्जे में है.
माना जा रहा है कि कुर्स्क न्यूक्लियर प्लांट पर कब्जा कर यूक्रेन, रूस से जपोरिजिया प्लांट को लेकर सौदा करने की तैयारी कर रहा है. इसी कड़ी में रविवार को कुर्स्स प्लांट के करीब ड्रोन अटैक की रिपोर्ट भी सामने आई थी.
जखारोवा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कीव की नियो-नाजी सत्ता के खतरे को पहचानने की जरूरत है जिससे पूरे यूरोप महाद्वीप को खतरा पैदा हो रहा है. जखारोवा ने कहा कि ऐसे समय में हमें दृढ़ता और मजबूती से कुर्स्क क्षेत्र को डराने-धमकाने वाली कोशिशों को विफल करना है.