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ट्रंप का सफेद हाथी खरीदेगा सऊदी प्रिंस, भारत ठुकरा चुका है ऑफर

अपने पत्रकार की हत्या को भूल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब को बेच डाला है लड़ाकू विमान एफ 35. ये वही लड़ाकू विमान है, जिसे सफेद हाथी कहा जाता है. खुद अरबपति उद्योगपति एलन मस्क समेत डिफेंस एक्सपर्ट लड़ाकू विमान एफ 35 के रखरखाव और कीमत को लेकर सवाल खड़े कर चुके हैं. 

डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब को 48 एफ-35 फाइटर जेट बेचने की पुष्टि की है और कहा कि ये वही उन्नत मॉडल होंगे जो इजरायल को मिलते हैं. 

फरवरी में जब प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका का दौरा किया था, तो उस वक्त भी ट्रंप ने एकतरफा ऐलान कर दिया था कि भारत, एफ 35 स्टील्थ फाइटर जेट खरीद रहा है, लेकिन सच्चाई ये थी कि भारत ने इस लड़ाकू विमान को खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. 

वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी की साल 2018 में सऊदी एजेंटों द्वारा की गई हत्या के बाद क्राउन प्रिंस का पहला यूएस दौरा है. खगोशी की हत्या में प्रिंस का नाम आया था, लेकिन ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रिंस सलमान को क्लीन चिट दे दी है.

अमेरिका-सऊदी अरब में डिफेंस डील, अमेरिका ने बेच डाला एफ 35 

तकरीबन 7 साल बाद अमेरिकी धरती पहुंचे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और डोनाल्ड ट्रंप के बीच हथियारों की डील, इजरायल को मान्यता देने वाले अब्राहम अकॉर्ड समेत कई मुद्दों पर बातचीत हुई है. इस दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सऊदी अरब को इजरायल जैसे एफ-35 लड़ाकू विमान देने का ऐलान किया है.

एफ-35 अमेरिका का सबसे एडवांस्ड 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है. इसका निर्माण 2006 में शुरू हुआ था और 2015 से यह अमेरिकी वायुसेना की रीढ़ माना जाता है. लेकिन एफ 35 की कीमत और रखरखाव को लेकर जो कमियां हैं, उसके कारण इस लड़ाकू विमान की अहमियत कम हो जाती है.

एक्सपर्ट्स एफ 35 को सफेद हाथी बताते हैं, क्योंकि इसको लगातार उड़ने लायक बनाए रखने में भारी भरकम खर्च आता है. इसके रख-रखाव में ही अरबों डॉलर का खर्च आता है. अमेरिका खुद एफ-35 की यूनिट के मेंटिनेंस में आने वाले खर्च को कंट्रोल नहीं कर पा रहा है. इसके एक ऑपरेशनल घंटे का खर्च 35,000 डॉलर से ऊपर बताया जाता है. इसके अलावा सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में भी बहुत खर्चा है. 

एक एफ-35 की कीमत करीब 100 मिलियन डॉलर है और मेटिंनेस और मिसाइलों का खर्च अलग. इसके अलावा अमेरिका कई शर्तों के साथ एफ-35 बेचता है, जो इस्तेमाल के दौरान परेशानी खड़ा करने वाला होता है.

टैंक, न्यूक्लियर पर भी अमेरिका-सऊदी अरब में हुआ समझौता

अमेरिका और सऊदी अरब ने सिविल न्यूक्लियर एनर्जी और एफ-35 फाइटर जेट की बिक्री को लेकर समझौता दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया है.

व्हाइट हाउस के मुताबिक, दोनों देशों ने सिविल न्यूक्लियर एनर्जी पर एक ज्वाइंट डिक्लेरेशन को मंजूरी दी, जो मजबूत नॉन-प्रोलिफरेशन स्टैंडर्ड्स के हिसाब से दशकों से चली आ रही कई अरब डॉलर की न्यूक्लियर एनर्जी पार्टनरशिप के लिए कानूनी आधार तैयार करता है. इसके अलावा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़े रक्षा बिक्री पैकेज को मंजूरी दी है, जिसमें एडवांस्ट एफ-35 अमेरिकी फाइटर जेट की भविष्य की डिलीवरी शामिल है.

एफ 35 की डील से मिडिल ईस्ट में बदलेंगे समीकरण, एक्सपर्ट्स ने डील को बताया गलत

अमेरिका का सबसे महंगे और हाईटेक लड़ाकू विमान को मिडिल ईस्ट में सिर्फ इजरायल इस्तेमाल करता है. सऊदी अरब वो दूसरा देश होगा जिसके पास इस डील के बाद एफ 35 विमान आ जाएंगे. कई अमेरिकी एजेंसियों और एक्सपर्ट्स ने इस डील पर चिंता जताई हैं, क्योंकि सऊदी अरब और चीन का बेहद करीबी है और एक्सपर्ट्स को लगता है कि चीन के साथ गहरे रिश्तों के चलते सीक्रेट टेक्नोलॉजी चीन के हाथ लग सकती है, जो अमेरिका के लिए भविष्य में खतरा बन सकती है.

वहीं इजरायल का कहना है कि अगर सऊदी अरब को एफ-35 दिए जाते हैं, तो बदले में वह अब्राहम अकॉर्ड्स में शामिल होकर औपचारिक रूप से इजरायल से रिश्ते सामान्य करे. 

क्राउन प्रिंस ने बढ़ाया निवेश, अब्राहम अकॉर्ड में शामिल होने के लिए रखी शर्त

वहीं बैठक के दौरान प्रिंस सलमान ने बताया कि सऊदी अमेरिका में अपने निवेश को 600 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 1 ट्रिलियन डॉलर करेगा. प्रिस की इस बात से ट्रंप गदगद हो गए और कहा, मुझे ये पसंद है.

प्रिंस सलमान ने ट्रंप से मुलाकात के दौरान कि सऊदी अरब अब्राहम अकॉर्ड में शामिल होने के लिए तैयार है, लेकिन एक बड़ी शर्त के साथ. शर्त ये कि फिलिस्तीन के लिए स्पष्ट और भरोसेमंद दो-राष्ट्र समाधान का रोडमैप तैयार किया जाए.

प्रिंस सलमान ने अपने बयान में कहा, इस मुद्दे पर उनकी और ट्रंप की चर्चा काफी सकारात्मक रही. दोनों देश मिलकर ऐसा माहौल बनाने की कोशिश करेंगे जिसमें इस दिशा में आगे बढ़ना आसान हो सके.

भारत को ट्रंप बेचना चाहते थे एफ 35, भारत ने नहीं दिखाई दिलचस्पी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूएस यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एफ-35 फाइटर जेट का ऑफर दिया था. ऑफर क्या ट्रंप ने तो घोषणा कर दी थी, भारत, अमेरिका से विमान खरीद रहा है. लेकिन भारत ने स्टील्थ लड़ाकू विमान एफ 35 को खरीदने पर विचार नहीं किया. 

भारतीय वायुसेना की घटती स्क्वाड्रन के बावजूद एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने एफ 35 पर पूछे गए एक सवाल के दौरान दो टूक कह दिया था कि किसी भी फाइटर जेट को लेकर उसकी सभी खूबियों का परखा जाना जरूरी है. अमेरिकी स्टील्थ फाइटर जेट एफ-35 के बारे में अभी कोई विचार नहीं किया है. क्योंकि उसका प्रस्ताव अभी तक वायुसेना के समक्ष नहीं आया है.

त्रिवेंद्रम में कई दिनों तक खड़ा रहा था एफ 35, हुई थी फजीहत

ब्रिटिश रॉयल नेवी का लड़ाकू विमान एफ-35 तकरीबन एक महीने तक त्रिवेंद्रम पर खड़ा रहा था. विमान में तकनीकी खराबी आने के बाद 14 जून को त्रिवेंद्रम में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी. दुनियाभर में एफ 35 बी को खूब ट्रोल किया गया था. क्योंकि ये ब्रिटेन के सबसे उन्नत स्टील्थ बेड़े का हिस्सा है.

अमेरिका इस विमान को लेकर दावा करता रहा है कि विमान को दुनिया का कोई रडार नहीं पकड़ पाता है, लेकिन भारतीय वायुसेना ने आईएसीसीएस यानी इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम ने अरब सागर में उड़ाने भरते हुए एफ-35 को पकड़ लिया था. 

अमेरिका, ब्रिटेन और नाटो देशों को एफ 35 में आई खराबी को लेकर इसलिए भी झेंपना पड़ा था क्योंकि भारतीय वायुसेना ने एफ-35 को डिटेक्ट करने का दावा कर डाला. 

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