भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी ‘आईएनएस अरिघात’ बनकर पूरी तरह तैयार हो चुकी है और किसी भी समय स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) का हिस्सा बन सकती है. इसके साथ ही भारत के पास अब दो एसएसबीएन न्यूक्लियर सबमरीन हो जाएंगी. वर्ष 2016 में भारत ने अपनी पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी ‘आईएनएस अरहिंत’ को जंगी बेड़े में शामिल किया था.
एसएफसी का हिस्सा होने के चलते आईएनएस अरिघात की कमिशनिंग के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है. लेकिन माना जा रहा है कि जल्द देश की दूसरी परमाणु पनडुब्बी, देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करने के लिए तैयार हो जाएगी. ये भारत की दूसरी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी है. हालांकि, अरिघात अपने क्लास की अरहिंत से कई मायनों में उन्नत किस्म की है.
जानकारी के मुताबिक, 29 अगस्त (गुरुवार) को आईएनएस अरिघात की कमीशनिंग हो सकती है. लेकिन इसे बेहद गुप्त रखा गया है. अरिहंत की लॉन्च को वर्ष 2009 में सार्वजनिक तौर से किया गया था. लेकिन 2016 में कमिशनिंग सेरेमनी की किसी को भनक तक नहीं पड़ने दी गई थी.
संस्कृत में अरिघात का अर्थ होता है ‘दुश्मनों का संहार’. आईएनएस अरिघात को अरिहंत की तरह ही विशाखापट्टनम स्थित शिपयार्ड में तैयार किया गया है. अरिघात को 750 किलोमीटर दूर तक मार करने वाली स्वदेशी के-15 बैलिस्टिक मिसाइल (न्यूक्लियर) मिसाइल से लैस किया गया है. अरिघात का वजन करीब छह हजार टन है. अरिघात की लंबाई करीब 110 मीटर और चौड़ाई 11 मीटर है.
भारतीय सेना की तीसरी परमाणु पनडुब्बी ‘आईएनएस अरिदमन’ (वजन 7000 टन) के निर्माण का कार्य भी तेजी से चल रहा है. अरिदमन को स्वदेशी के-4 मिसाइल से लैस किया जा रहा है जिसकी रेंज करीब 4000 किलोमीटर है.
इसके निर्माण के बाद भारत के जंगी बेड़े में 16 डीजल (एसएसके) कन्वेंशनल सबमरीन हो जाएगी और तीन परमाणु पनडुब्बी (एसएसबीएन). भारत के पास एक मात्र एसएसएन यानी न्यूक्लियर पावर पनडुब्बी को दस साल की लीज खत्म होने के बाद वर्ष 2022 में वापस रूस भेज दिया गया था.
वर्ष 2004 में भारत ने चार एसएसबीएन (‘शिप, सबर्मसिबल, बैलिस्टिक, न्यूक्लियर’) पनडुब्बी बनाने के लिए एडवांसड टेक्नोलॉजी वेसेल (एटीवी) लॉन्च किया था. इस प्रोजेक्ट की एक चौथी पनडुब्बी (कोड नेम एस-4) भी निर्माणाधीन है.