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चिनाब ब्रिज की सुरक्षा CRPF के हवाले, अमरनाथ यात्रा भी है चुनौती

पहलगाम हमले के बाद, जम्मू कश्मीर में सुरक्षा के मद्देनजर सीआरपीएफ को एक बड़ी जिम्मेदार मिलने जा रही है. दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल, चिनाब ब्रिज की सुरक्षा अब केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के हवाले होगी. शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद जम्मू कश्मीर में चिनाब ब्रिज का उद्घाटन करने जा रहे हैं. 

राजधानी दिल्ली में सीआरपीएफ मुख्यालय से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों ने जानकारी दी है कि उधमपुर-बारामुला रेलवे ट्रैक पर बने चिनाब ब्रिज और अंजीखड़ केबल ब्रिज की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय अर्धसैनिक बल को दी गई है. रेलवे रूट की सिक्योरिटी हालांकि, रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) के कंधों पर ही रहेगी. चिनाब ब्रिज, दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है जिसकी ऊंचाई 359 मीटर है. 

यात्रा के काफिले में होंगे जैमर

अगले महीने शुरु होने वाली अमरनाथ यात्रा के लिए सीआरपीएफ ने व्यापक इंतजाम किए हैं. 3 जुलाई से शुरु होने वाली अमरनाथ यात्रा के हर काफिले के साथ जैमर साथ चलेंगे ताकि आईईडी या फिर रिमोट के जरिए किए जाने वाली ब्लास्ट जैसी किसी भी घटना पर प्रभावी रोक लगाई जा सके. 

सीआरपीएफ अधिकारियों ने एक अनौपचारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इस साल अर्धसैनिक बलों की 580 से ज्यादा कंपनियां अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में तैनात की गई हैं. इनमें बहुतायत सीआरपीएफ की हैं और बाकी बीएसएफ, एसएसबी और आईटीबीपी की हैं. साथ ही जम्मू कश्मीर पुलिस भी यात्रा को सुरक्षा-घेरा प्रदान करेगी. 

डिजिटल आई-कार्ड से लेकर, गाडियों पर RFID होगी अनिर्वाय

यात्रा की सुरक्षा में लगे जवानों को सैटेलाइट फोन से भी लैस किया जाएगा ताकि दूर-दराज के इलाकों में भी संपर्क बना रहे. सभी यात्रियों के डिजिटल आई-कार्ड और काफिले की गाड़ियों में आरएफआईडी लगाई जाएंगी. यहां तक कि पोनी राइडर का भी डिजिटल पहचान पत्र बनाया जाएगा.

पहलगाम हमले (22 अप्रैल) के बाद जम्मू कश्मीर में पवित्र यात्रा की सुरक्षा के लिए एक बड़ा सिक्योरिटी प्लान तैयार किया गया है जिसमें जिसमें सीआरपीएफ, जम्मू कश्मीर पुलिस और भारतीय सेना शामिल हैं.

अमरनाथ यात्रा के दौरान रूट (पहलगाम और बालटाल) का सिक्योरिटी ऑडिट तो किया गया है, डिजिटल मैपिंग भी कराई गई है. सीआरपीएफ डीजी ने खुद पहलगाम जाकर सिक्योरिटी रिव्यू किया है।

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