28 जुलाई को कनाडा में आयोजित होने वाले जनमत संग्रह से पहले भारत ने खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के संगठन सिख फॉर जस्टिस को अगले पांच साल के लिए बैन कर दिया है. भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए गृह मंत्रालय ने सिख फॉर जस्टिस पर ये प्रतिबंध लगाया है.
अमेरिका, कनाडा और इंग्लैंड जैसे देशों में सक्रिय सिख फॉर जस्टिस सोशल मीडिया पर खालिस्तान का प्रचार-प्रसार कर भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहता है. यही वजह है कि पन्नू के आतंकी सगंठन फिर से बैन लगाया गया है. इससे पहले वर्ष 2019 में भी पांच साल के लिए सिख फॉर जस्टिस पर रोक लगाई गई थी.
पिछले हफ्ते ही टीएफए ने इस बात का खुलासा किया था कि करीब एक साल बाद पन्नू एक बार फिर से एक्टिव हो गया है और कनाडा के कैलगरी में खालिस्तान के पक्ष में एक बड़ा जनमत संग्रह कराने की साजिश रच रहा है.
आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की अगुवाई में कनाडा के कैलगरी में 28 जुलाई को ‘खालिस्तान जनमत संग्रह’ कराने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए खालिस्तानी आतंकियों ने सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है. टीएफए की खास पड़ताल में पता चला है कि पन्नू ने इस प्रोपेगेंडा के लिए कनाडा सहित अमेरिका, इटली, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और पाकिस्तान तक जाल फैलाया है.
टीएफए की पड़ताल में पता चला है कि इस प्रोपेगेंडा के लिए 324 सोशल मीडिया अकाउंट एक्टिव किए गए हैं. ये सभी मीडिया अकाउंट 23 मोबाइल नंबरों के जरिए चलाए जा रहे हैं. इन नंबरों में छह अमेरिका के हैं. चार नंबर कनाडा के हैं, आठ इंग्लैंड के हैं, तीन इटली के हैं और दो ऑस्ट्रेलिया के हैं.
जो छह अमेरिकी नंबर सबसे ज्यादा 28 जुलाई के रेफरेंडम को एम्प्लीफाई कर रहे हैं उनमें एक नंबर खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के कैलिफोर्निया के सैन जोंस पते पर रजिस्टर है. पन्नू के इसी नंबर +1-9178****14 को व्हाट्सअप से लेकर फेसबुक, लिंकडिन, टेलीग्राम, स्काईप, सिग्नल और विबर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल किया जा रहा है.
साफ है कि पन्नू एक बार फिर से भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हो गया है. पिछले साल जून में अमेरिका द्वारा पन्नू की हत्या की साजिश मामले के खुलासे के बाद से पन्नू अंडरग्राउंड हो गया था. अमेरिका का आरोप है कि भारत के एक (पूर्व)अधिकारी ने पन्नू को मारने के लिए चेक गणराज्य में रह रहे निखिल गुप्ता नाम के भारतीय मूल के नागरिक को सुपारी दी थी. निखिल ने अमेरिका में एक हिट-मैन को भाड़े पर खरीदने की कोशिश की थी, जो अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों का एक अंडरकवर एजेंट था.
हाल ही में चेक गणराज्य ने निखिल गुप्ता को अमेरिका को प्रत्यर्पित किया है, जिसके बाद न्यूयॉर्क कोर्ट में उस पर मुकदमा शुरू हो गया है.
खालिस्तानी गतिविधियों की पड़ताल में पता चला है कि पन्नू के अलावा तीन ऐसे अमेरिकी नंबर हैं जिनसे 28 जुलाई के फर्जी जनमत संग्रह को एम्प्लीफाई किया जा रहा है.
जानकारी के मुताबिक, 28 जुलाई को जनमत संग्रह के साथ-साथ आतंकी संगठन कैलगरी में खालिस्तान आंदोलन में मारे गए सिख नेताओं को भी याद करने की तैयारी कर रहे हैं. जनमत के जरिए खालिस्तानी संगठन कनाडा में पब्लिक का समर्थन जुटाने की फिराक में है.
पन्नू और कनाडा में सक्रिय आतंकी संगठन भारत के पंजाब प्रांत को खालिस्तान के तौर पर अलग देश की मांग कर रहे हैं. लेकिन भारत ने खालिस्तानी आतंकियों की किसी भी देश-विरोधी गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए कमर कस रखी है.
सोशल मीडिया पर जो नाम खालिस्तानी जनमत संग्रह के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं उनमें ट्विटर (एक्स) पर 01सिखनैरेटिव, 1सिखनैरेटिव, दल खालसा, दल खालसा यूके, सिख फॉर जस्टिस, डिफेंस पीके इत्यादि शामिल हैं. इंस्टाग्राम पर खालिस्तान जिंदाबाद_1984_1987, पंजाब फार्म पीएफपीएसए, वी नेवर फोरगेट 1984, द थिंकिंग माइंड जैसी अकाउंट आईडी से पोस्ट साझा की जा रही हैं.
भारत की सुरक्षा एजेंसियां भी इन भारत विरोधी सोशल मीडिया अकाउंट्स को लेकर सजग है. ऐसे में इन 324 अकाउंट्स में से काफी को भारत में बैन कर दिया गया है.
कनाडा के कैलगरी में खालिस्तानी आतंकी इसलिए जनमत संग्रह कराने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि यहां करीब 50 हजार सिख समुदाय के लोग रहते हैं. अलबर्टा प्रांत का कैलगरी, कनाडा के उन चार बड़े शहरों में शामिल है जहां सबसे ज्यादा सिख मूल के नागरिक रहते हैं.
ये भी जानकारी सामने आई है कि जिस इटली के सिम कार्ड से खालिस्तान का प्रचार किया जा रहा है, वो दरअसल, एक पाकिस्तानी नागरिक ‘मोहम्मद इस्लाम’ के नाम पर रजिस्टर है.
सोशल मीडिया अकाउंट्स के अलावा चार ऐसी वेबसाइट हैं जिनसे खालिस्तानी जनमत के लिए जबरदस्त तरीके से प्रोपेगेंडा किया जा रहा है. ये चार वेबसाइट हैं—यसटूखालिस्तान डॉट ओआरजी, सिख फॉर जस्टिस डॉट ओआरजी, रेफरेंडम2020 डॉट ओआरजी और अज़ाएडमिक डॉट कॉम.
जानकारी ये भी मिली है कि जिन 23 नंबरों से 28 जुलाई के रेफरेंडम के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है इन्हें अलग-अलग देशों में यूज किया जा रहा है जो खालिस्तानी मूवमेंट के वैश्विक स्वरूप को दर्शाता है. साथ ही ये भी दिखाता है कि इस आंदोलन को चलाने वाले संचालक (पन्नू इत्यादि) अपने अंतर्राष्ट्रीय बेस से मजबूत संबंध बनाकर रखना चाहते हैं.