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बलिदान ने जगाई देशभक्ति की अलख, सूबेदार भाई की बात गौर से सुनो

किसी में दम है तो बोल दे कि भारतीय सेना, हिंदू है या मुसलमान. हम अपनी मातृभूमि को झुकने नहीं देंगे. हम बदला लेंगे या फिर मर जाएंगे.

—सूबेदार रफीकुल ,बलिदान देने वाले सैनिक के भाई

पहलगाम नरसंहार के बाद उधमपुर में आतंकियों से लोहा लेते हुए बंगाल के पैरा-एसएफ कमांडो झंटू अली शेख ने अपना बलिदान दिया है. उनका पार्थिव शरीर जब गृहक्षेत्र पहुंचा तो झंटू शेख के सूबेदार भाई रफीकुल ने जो कुछ कहा, वो पूरी सेना, हर हिंदुस्तानी, हिंदू-मुसलमान के नाम पर सियासत करने वाले नेताओं को भी गर्व से भर देगा.

सेना में सूबेदार की रैंक पर काम करने वाले रफीकुल ने कहा कि उन्हें अपने भाई के वीरगति पाने पर गर्व है, वो बेटे और बेटी दोनों को ही मातृभूमि की रक्षा के लिए भेजेंगे.  

हम सैनिक हैं, सैनिकों का कोई धर्म नहीं होता: शहीद झंटू शेख के भाई

शहीद झंटू अली शेख के भाई रफीकुल ने कब्रिस्तान में मौजूद जनता को जोश में भर देने वाला भाषण दिया. खुद सेना में सूबेदार के पोस्ट पर तैनात रफीकुल ने कहा, “हम सैनिक हैं, सैनिकों का कोई धर्म नहीं होता और न जाति होती है. भारतीय सेना का कोई धर्म नहीं है. हम एक ही कटोरे में खाते-पीते हैं. सेना में कोई भेदभाव नहीं होता. किसी में अगर दम है तो बोल दे कि भारतीय सेना हिंदू या मुस्लिम है. भारतीय सेना एक ऐसी जगह है जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध एक ही थाली में खाते हैं. और सभी को एक ही बर्तन में खाना बांटा जाता है. अगर किसी को भाईचारा देखना है तो फौज में जाकर देखो. तब पता चलेगा भाईचारा क्या होता है.”

सेना से प्यार करो, पहलगाम में हिंदुओं को मारा गया, तो आतंकियों से लड़ने के लिए मेरा भाई गया, उसने हिंदू-मुसलमान नहीं देखा

रफीकुल ने युवाओं को सेना में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए  कहा, “अपने देश और उसकी सेना से प्यार करो. अगर तुम्हें कुछ हुआ तो तुम्हारे साथी सैनिक बचाने के लिए हमेशा मौजूद रहेंगे. आपने सुना होगा कि कश्मीर में आतंकवादियों ने हिंदुओं को चुन चुनकर मारा. उन्हीं हिंदू भाइयों का बदला लेने के लिए मेरे भाई को सूचना मिली थी कि वादियों में दुश्मन छिपा हुआ है. भाई छोटी सी टुकड़ी लेकर हिंदू भाइयों की मौत का बदला लेने के लिए निकल पड़ा. इस दौरान जो भी हुआ वह सब ईश्वर को मंजूर था.”

इंडियन आर्मी पूरे देश को लेकर बनी है, किसी क्षेत्र या जाति को प्राथमिकता नहीं मिलती: शहीद के भाई

रफीकुल ने कहा, “मैं अपने भाई के बेटे और बेटी को सेना में भेजने का प्रयास करूंगा. मेरे लिए पहले देश है और फिर परिवार. मेरा कर्तव्य पहले देश के प्रति है. मैं देश सेवा को ही पहली प्राथमिकता दूंगा. रफीकुल ने एक बार फिर से भारतीय सेना के मूल्यों पर जोर देते हुए लोगों को बताया कि इंडियन आर्मी किसी विशेष क्षेत्र या लोगों से नहीं बल्कि पूरे देश के लोगों से मिलकर बनी है. हमें अपनी सेना पर गर्व है.”

वीरगति को प्रात झंटू शेख को जानिए

झंटू अली शेख इंडियन आर्मी के 6 पैरा स्पेशल फोर्स में हवलदार के पद पर थे. उन्होंने आगरा में पैरा कमांडो की ट्रेनिंग पूरी की थी. उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर में सेना की व्हाइट नाइट कोर में थी. पहलगाम हमले के बाद सेना को इनपुट मिला था कि जंगलों में कुछ आतंकवादी छिपे हैं. सुरक्षा बलों ने  इस खुफिया सूचना के आधार पर सर्च ऑपरेशन चलाया, जिसमें आतंकियों के साथ मुठभेड़ में झंटू अली शेख को गोली लगी और वो शहीद हो गए. बंगाल के रहने वाले झंटू शेख को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोग पहुंचे. इस दौरान उनके भाई का दिया भाषण वायरल है और लोग इस बात की तारीफ कर रहे हैं कि देश भक्त हो तो कोई झंटू शेख और उसके भाई रफीकुल के जैसा हो. 

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