सेना के टॉप मिलिट्री कमांडर्स के सम्मेलन में पहली बार एक सूबेदार-मेजर स्तर के अधिकारी को संबोधन को मौका दिया गया है. अभी तक इस सम्मेलन को थलसेना प्रमुख के अलावा रक्षा मंत्री और सीडीएस सहित सामरिक मामलों के जानकार संबोधित करते हैं.
भारतीय सेना के मुताबिक, मंगलवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित आर्मी कमांडर्स कांफ्रेंस (एसीसी) में सूबेदार मेजर गोपा कुमार ने संबोधित किया. एसीसी में थलसेना प्रमुख की अध्यक्षता में सभी सातों कमान के कमांडर इन चीफ और प्रिंसिपल स्टाफ ऑफिसर (पीएसओ) हिस्सा लेते हैं.
सूबेदार मेजर गोपा कुमार फिलहाल थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी के सेक्रेटेरिएट में तैनात हैं और सेना में ग्रासरूट यानी जमीनी-स्तर पर सैनिकों के साथ जुड़े रहते हुए ‘संपर्क अधिकारी’ के तौर पर कार्य करते हैं. ऐसे में अपने संबोधन और प्रस्तुति में सूबेदार मेजर ने बताया कि चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ की फील्ड फोर्मेशन में दौरे के दौरान जवानों से ‘फीडबैक और सुझावों’ को एकत्रित करते हैं. इन सुझावों को थलसेना प्रमुख के सचिवालय में चर्चा के बाद सेना में लागू किया जाता है.
थलसेना के कमांडरों के सम्मेलन का दो दिवसीय (28-29 अक्टूबर) दूसरा चरण नई दिल्ली में शुरु हुआ है. इस चरण में भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने सीमा सुरक्षा और भीतरी इलाकों को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया.
सम्मेलन का मुख्य आकर्षण ‘भारतीय सशस्त्र बलों के लिए विकसित भू-राजनीतिक परिदृश्य और अवसर’ विषय पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर का संबोधन था.
डॉ. जयशंकर ने भारत को प्रभावित करने वाली “जटिल वैश्विक और भू-राजनीतिक गतिशीलता को रेखांकित किया.” उन्होंने सशस्त्र बलों से “देश की अपेक्षाओं और वर्तमान विश्व व्यवस्था के विरोधाभासों और चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक तैयारियों पर प्रकाश डाला.”
जयशंकर ने भारतीय सेना को “सतर्क रहने के लिए सराहना की और वरिष्ठ अधिकारियों से तेजी से विकसित हो रहे भू-राजनीतिक खतरों और अवसरों के लिए तैयार रहने का आग्रह किया.” साथ ही “भारत की रणनीतिक स्थिति को आकार देने में तकनीकी प्रगति और चल रहे वैश्विक संघर्षों से सीखे गए सबक के महत्व पर जोर दिया.”