आतंकियों और उनके आकाओं की सुराग तलाशने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए लगातार जम्मू-कश्मीर में डेरा डाले हुए है. इस बीच कुलगाम में एक नदी से मिला है आतंकियों के मददगार इम्तियाज अहमद का शव.
इम्तियाज अहमद वो संदिग्ध था, जिसने जंगल में आतंकियों को रसद पहुंचाया था और लॉजिस्टिक्स की भी मदद की थी. इम्तियाज अहमद ने ये बात स्वीकार की थी कि उसने कुलगाम के तंगीमर्ग जंगल में छिपे आतंकवादियों को भोजन और रसद मुहैया करवाया था.
इम्तियाज अहमद ने ये भी माना था कि वो आतंकियों के लिए ओवर ग्राउंड वर्कर के तौर पर काम कर रहा था. लेकिन आतंकी ठिकाने पर जांच कर्ताओं को ले जाने के दौरान इम्जियाज की मौत हो गई.
आतंकियों के मददगार की मौत, नदी में कूदकर दी जान
कुलगाम में सुरक्षाबलों को आतंकी ठिकाने पर ले जाते वक्त आतंकियों के मददगार इम्तियाज ने नदी में छलांग लगा दी. रविवार को इम्तियाज का शव बरामद किया गया है.
बताया जा रहा है कि इम्तियाज ने जांच एजेंसियों के सामने ये बाद कबूल की थी, कि उसने आतंकियों को शरण दी थी, सुरक्षित जगह पर रुकवाया था और फिर जंगल में आतंकियों को ना सिर्फ खाना-पानी, बल्कि लॉजिस्टिक्स भी पहुंचाए थे. सुरक्षा बलों ने इम्तियाज अहमद मगरे नाम के 22 वर्षीय मृतक को पहलगाम हमले के बाद पूछताछ के लिए 2 दिन पहले 3 मई को हिरासत में लिया था.
आतंकी ठिकाने पर ले जा रहा था इम्तियाज, कैमरे में कैद हुई घटना
बताया जा रहा है कि इम्तियाज अहमद मगरे सुरक्षा बलों को उस स्थान पर ले जाने के लिए तैयार हो गया था, जहां आतंकी छिपे हुए थे.
रविवार की सुबह जब इम्तियाज पुलिस और सेना की संयुक्त टीम को लेकर घटनास्थल की ओर जा रहा था, तभी उसने भागने की कोशिश की और विश्वा नदी में कूद गया. नदी का बहाव बहुत ज्यादा था, उसे बचाया नहीं जा सका और वह डूब गया. यह पूरा घटनाक्रम कैमरे में कैद हो गया, जिसमें ये कैद हुई कि इम्तियाज अपनी मर्जी से नदी में कूदा.
संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत को लेकर मचा हंगामा
पहलगाम आतंकी हमले के बाद इम्तियाज अहमद ने खुद ये बात स्वीकार की थी कि वो आतंकियों का मददगार है और ओवरग्राउंड वर्कर के तौर पर काम कर रहा था. इम्तियाज की मौत के बाद सुरक्षाबलों पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के लोकसभा सदस्य आगा रूहुल्लाह मेहदी और जम्मू-कश्मीर की मंत्री सकीना इट्टू ने न्यायिक जांच की मांग की है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर महबूबा मुफ्ती ने लिखा,“कुलगाम में एक नदी से एक और शव बरामद किया गया है, जिससे कुछ गड़बड़ होने के आरोप लगाए गए हैं.
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि इम्तियाज को सेना ने 2 दिन पहले ही उठाया था और अब उसका शव संदिग्ध परिस्थितियों में नदी में मिला है.दुर्व्यवहार के आरोप – चाहे वह बांदीपोरा मुठभेड़ हो या कुलगाम की यह ताजा घटना – बेहद परेशान करने वाले हैं और हम इसकी पूरी निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं.”
ड्रोन कैमरे में कैद कि इम्तियाज मे खुद लगाई छलांग
सूत्रों के मुताबिक सुरक्षाबलों ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण माना है और किसी भी तरह के संदेह करने को गलत बताया है. इम्तियाज के शव को बरामद करने के कुछ घंटे बाद सामने आए ड्रोन फुटेज में अदबल धारा में कूदते और बहते हुए दिखाया गया है.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने दावा किया कि इम्तियाज, जिसने आतंकवादियों के लिए एक ओवरग्राउंड वर्कर होने की बात “कबूल” कर ली थी, और सुरक्षा बलों को जंगल के एक इलाके में आतंकियों के ठिकाने पर ले जाते समय भागने की कोशिश की और खुद ही नदी में कूदकर जान दे दी.
कौन होते हैं ओवरग्राउंड वर्कर, जिनके भरोसे पर हैं आतंकी
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त करने के बाद से ओजीडब्ल्यू यानी ओवरग्राउंड वर्कर पर नकेल कसी गई है. दरअसल ये वो लोग होते हैं, जो कट्टर होने के साथ-साथ देश विरोधी गतिविधियों को करने में आतंकियों की मदद करते हैं.
स्थानीय लोगों में से ही आतंकी ब्रेनवॉश करके युवाओं को ओवरग्राउंड वर्कर के तौर पर काम करवाते हैं. ये लोग किसी भी आतंकी हमले से पहले घटनास्थल की एक-एक जानकारी आतंकियों को देते हैं साथ ही आतंकियों के खाने-पीने और हमले के बाद छिपने की जगह मुहैया कराते हैं.
पिछले कुछ महीनों में हुई आतंकी वारदातों में स्थानीय वर्कर का हाथ सामने आया था. पहलगाम हमले में भी जांच एजेंसियों को स्थानीय लोगों पर शक है, चाहे वो पिट्ठू वाले हों, दुकानदार हों, फोटोग्राफर हों या फिर बैसरन घाटी के टूरिस्ट हों.