मुंबई हमला करने वाले आतंकियों को पाकिस्तान का सबसे बड़ा सैन्य सम्मान निशान ए हैदर दिलाना चाहता था तहव्वुर हुसैन राणा. जिस पाकिस्तान ने तहव्वुर से नाता तोड़कर बचने की कोशिश की है, उस पाकिस्तान की पोल खुद अमेरिका ने खोल दी है.
अमेरिकी न्याय विभाग ने दावा किया है कि “तहव्वुर ने लश्कर आतंकी डेविड कोलमैन हेडली के साथ बातचीत करते हुए कहा था कि मुंबई में अटैक करने वाले आतंकियों को पाकिस्तानी सैन्य सम्मान निशान ए हैदर मिलना चाहिए.”
हमले में मारे गए आतंकियों को शहीद सैनिक मानता था तहव्वुर
अमेरिका और भारतीय जांच एजेंसियों के पास तहव्वुर के खिलाफ ऐसे तमाम सबूत हैं, जो उसे फांसी के तख्त तक पहुंचा सकते हैं. 166 लोगों की मौत पर जश्न मना रहा था आतंकी तहव्वुर राणा. राणा और हेडली के बीच तो बातचीत इंटरसेप्ट की गई थीं, उससे पता चलता है तहव्वुर राणा भारत और भारतीयों से कितनी नफरत करता है. कट्टर आतंकी राणा, हेडली से ये कहा था कि भारतीय इसी के हकदार हैं और हमले किए जाएंगे. हद तो तब हो गई जब बातचीत में तहव्वुर राणा ने शहीद पाकिस्तानी सैनिकों को दिए जाने वाले सर्वोच्च सैन्य सम्मान निशान-ए-हैदर दिए जाने की बात कही. अमेरिकी न्याय विभाग और एनआईए ने एक दूसरे से राणा के खिलाफ सबूत साझा किए हैं.
आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मिलकर करेंगे काम:अमेरिका
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा, “मुंबई हमले बेहद जघन्य था. अमेरिका इनके लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाने के भारत के प्रयासों का लंबे समय से समर्थन करता रहा है. कि अमेरिका ने 64 वर्षीय राणा को मुंबई आतंकवादी हमलों के षड्यंत्र में उसकी भूमिका के कारण न्याय का सामना करने के लिए भारत प्रत्यर्पित किया. अमेरिका ने मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने के भारत के प्रयासों का लगातार समर्थन किया है. राणा अब भारत के कब्जे में है और हमलों में उसकी भूमिका के लिए उसे मुकदमे का सामना करना पड़ेगा और जैसा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है, अमेरिका और भारत आतंकवाद के वैश्विक संकट से निपटने के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे.”
एनआईए के शिकंजे में राणा, क्या है एनआईए का बयानय़
एनआईए की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि, “राष्ट्रीय जांच एजेंसी को बड़ी सफलता हाथ लगी है. 2008 के 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित कर लिया गया है. कई वर्षों की कानूनी लड़ाई और दोनों देशों के बीच लगातार प्रयासों के बाद यह प्रत्यर्पण संभव हो पाया.”
राणा से राज खुलवाना टेढ़ी खीर, मिली है मिलिट्री और खुफिया ट्रेनिंग
तहव्वुर राणा को अमेरिका में भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत हिरासत में लिया गया था. कई कोशिशों और कानूनी दांवपेंचों के बाद कूटनीतिक चैनल के माध्यम से तहव्वुर का प्रत्यर्पण संभव हो पाया है. कोर्ट ने तहव्वुर राणा को 18 दिनों की एनआईए रिमांड पर भेजा है. माना जा रहा है, तहव्वुर राणा से पाकिस्तान, आईएसआई, लश्कर और आतंकी हमले की साजिश जैसे राज खुलवाना बेहद मुश्किल काम है क्योंकि राणा खुद पाकिस्तान आर्मी में काम कर चुका है. आईएसआई का करीबी रहा है, ऐसे में उसे एजेंसियों को बरगलाना और कन्फ्यूज करना बेहद अच्छे से आता है. लेकिन अमेरिकी एजेंसियों के साथ-साथ भारतीय एजेंसियों के पास भी राणा के डायरेक्ट सबूत हैं, चैट्स हैं, बातचीत है जिसे झुठलाना राणा के लिए मुश्किल होगा.