थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हालिया संघर्ष की पटकथा एक हिंदू मंदिर से जुड़ी हुई है. भारत के पड़ोसी दो देशों में संघर्ष चरम पर पहुंच चुका है. हजारों लोगों को सीमा के आसपास से सुरक्षित जगहों पर भेजे जा चुके हैं. साउथ ईस्ट एशिया के दोनों देशों के बीच सीमा विवाद की जड़ है एक हिंदू मंदिर, जिसके चलते ही आसियान से जुड़े थाईलैंड और कंबोडिया एकदूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं.
ताजा सैन्य सीमा विवाद मई से शुरु हुआ, लेकिन इस साल फरवरी के महीने में कुछ कंबोडियाई महिलाएं मंदिर पहुंची थी, जहां उन्होंने थाईलैंड को चैलेंज करते हुए कंबोडियाई राष्ट्रगान गाया था.
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच मंदिर का पूरा विवाद क्या है
बौद्ध देश थाईलैंड और कंबोडिया के सीमा विवाद के पीछे यूनेस्को में शामिल शिव मंदिर है. दरअसल, थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर एक बड़ा मंदिर है, जिसे प्रिहा-विहार के नाम से जाना जाता है. भगवान शिव के इस मंदिर का निर्माण 9-12 शताब्दी के बीच कंबोडिया के खमेर साम्राज्य के राजाओं ने कराया था. अति प्राचीन होने के कारण ये मंदिर यूनेस्को की धरोहर लिस्ट में शामिल है.
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 817 किलोमीटर लंबी सीमा है जिसे फ्रांस ने तय किया था. फ्रांस ने ये सीमा इसलिए तय की थी क्योंकि 1863 से लेकर 1963 तक कंबोडिया पर फ्रांस का कब्जा था. फ्रांस ने थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा का निर्धारण किया, ताकि भविष्य में दोनों देशों के बीच ये पता रहे कि कौन से क्षेत्र किसके पास हैं.
साल 1907 के सीमा निर्धारण में प्रीहा विहार मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा बताया गया जो थाईलैंड को नामंजूर था. प्रीहा विहार मंदिर पर कंबोडिया के अधिकार का थाईलैंड ने भारी विरोध किया.
1959 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस पहुंचा शिव मंदिर मामला
शिव मंदिर को लेकर विवाद ज्यादा बढ़ा तो मामला आईसीजे के दहलीज पर पहुंच गया. तीन साल की सुनवाई के बाद साल 1962 के इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) के एक फैसला कंबोडिया के पक्ष में आया. आईसीजे ने कहा कि प्रिहा-विहार मंदिर कंबोडिया के अधिकार-क्षेत्र में है.
थाईलैंड ने कोर्ट का फैसला मान लिया लेकिन मंदिर के आसपास के इलाकों में अपनी सैन्य तैनाती कर दी. क्योंकि कोर्ट ने आसपास की विवादित 4.6 वर्ग किमी जमीन को लेकर कोई फैसला नहीं सुनाया. थाईलैंड ने तभी से आसपास के इलाकों पर कब्जा जमा रखा है. थाईलैंड इस क्षेत्र को अपना क्षेत्र बताता है.
कंबोडियाई नागरिकों को मंदिर में नहीं आने देते थाई सैनिक, मंदिर पर है कंबोडिया का अधिकार
विवाद साल 2008 में उस वक्त और बढ़ गया, जब यूनेस्को ने मंदिर को अपने हेरिटेज लिस्ट में अंकित कर लिया. कंबोडिया के नागरिक इस मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए जाना चाहते हैं. मंदिर के आसपास थाई सैनिकों की मौजूदगी के चलते ये संभव नहीं हो पाता है.
इसी बात को लेकर पिछले कई दशक से दोनों देश भिड़े हुए हैं और 800 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा पर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं.
साल 2011 क बाद एक बार फिर से कंबोडिया ने इंटरनेशनल कोर्ट में अपील की और मंदिर के आसपास वाली जमीन पर अधिकार को लेकर स्पष्टीकरण मांगा. नवंबर 2013 में इंटरनेशनल कोर्ट ने अपने फैसले में कह दिया कि मंदिर के आसपास वाली जमीन पर भी कंबोडिया का अधिकार होना चाहिए.
कोर्ट के इस फैसले के बाद शिव मंदिर को लेकर हल्की-फुल्की झड़प छोड़ दी जाए तो कई वर्षों से कंबोडिया और थाईलैंड के बीच शांति थी.
सैनिकों के साथ कंबोडियाई महिलाएं पूजा करने पहुंची, तो शुरु हुआ ताजा सैन्य संघर्ष
इस साल फरवरी महीने से ही दोनों देशों के बीच टकराव के हालात बने हुए हैं. फरवरी के महीने में कुछ कंबोडियाई महिलाएं सैनिकों के साथ विवादित क्षेत्र में बने शिव मंदिर पर पूजा के लिए पहुंची थीं. यहां उन्होंने कंबोडिया का राष्ट्रीय गान भी गाया. इस पर थाईलैंड सेना ने विरोध भी दर्ज कराया और धीरे-धीरे दोनों देशों के बीच सीमा पर झड़पें फिर शुरु हो गईं
लेकिन 28 मई को जब सैन्य झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक की गोली लगने से मौत हो गई तो सैन्य तनाव के साथ-साथ राजनयिक तनाव भी शुरु हो गया. ये घटना एमराल्ड ट्रायंगल नाम के क्षेत्र में हुई थी.
विवाद शांत करने निकलीं थाईलैंड की महिला पीएम, फोन लीक ने काम बिगाड़ा, दुश्मन को बता दिया था अंकल
विवाद उस वक्त और बढ़ गया जब सीमा विवाद सुलझाने निकलीं थाईलैंड की युवा महिला प्रधानमंत्री शिनावात्रा और कंबोडियाई स्पीकर के कॉल के 17 मिनट का ऑडियो लीक हो गया.
शिनावात्रा ने सीमा विवाद सुलझाने के लिए कंबोडिया के एक पूर्व प्रधानमंत्री से फोन पर बात करते हुए अपनी ही सेना को झड़प के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया था. शिनावात्रा ने कंबोडियाई नेता हुन सेन से यहां तक कह डाला कि जो वो चाहेंगे वो होगा.
ये ऑडियो लीक होने से थाईलैंड में बवाल मच गया. लोग अपनी पीएम के खिलाफ सड़कों पर उतर आए. राष्ट्रवादियों ने पीएम से इस्तीफा मांग लिया. मामला कोर्ट पहुंचा तो थाईलैंड की कोर्ट ने इसी महीने 1 जुलाई को पीएम शिनावात्रा को सस्पेंड कर दिया गया.
विवाद सुलझाने के लिए आसियान की ओर से नहीं हुई कोई ठोस पहल
थाईलैंड, इंटरनेशनल कोर्ट को मान्यता नहीं देता है, लेकिन इस साल जून के महीने में के ज्वाइंट बॉर्डर कमेटी के तहत दोनों देशों ने सीमा पर बातचीत शुरु की थी. यूएनएससी ने पूरे मामले को आसियान को सौंपा था, जिसमें इंडोनेशिया की पहल पर दोनों देश निगरानी टीम पर सहमत हुए थे. लेकिन ताजा विवाद में आसियान ने चुप्पी साध रखी है. आसियान का मौजूदा अध्यक्ष मलेशिया है. भारत भी आसियान का मजबूत स्तंभ है.
कंबोडिया ने लिखी यूएनएससी को चिट्ठी, थाईलैंड बोला, हमें आत्मरक्षा का अधिकार
ताजा संघर्ष के बीच कंबोडिया के पीएम ने यूएनएससी के अध्यक्ष असीम इफ्तिखार अहमद को चिट्ठी लिखी है. कंबोडिया ने थाईलैंड के हमले रोकने के लिए तत्काल बैठक बुलाने की मांग की है. यूएनएससी की मौजूदा अस्थाई अध्यक्ष पाकिस्तान है.अध्यक्ष होने के नाते पाकिस्तान के पास ही यूएनएससी की बैठक बुलाने की शक्ति है.
वहीं थाईलैंड की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि “अगर कंबोडिया अपने सशस्त्र हमलों को जारी रखता है, तो थाईलैंड आत्मरक्षा उपायों को तेज करने के लिए तैयार है.”