अमेरिका की तमाम कोशिशों के बाद भी जब भारत ने रूसी तेल खरीदना नहीं रोका तो वेस्टर्न मीडिया की ओर से प्रोपेगेंडा फैलाना शुरु किया गया है. वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत के साथ आए संबंधों में खटास की वजह बताई है. रूबियो ने कहा है कि सिर्फ रूस से तेल खरीदना ही भारत-अमेरिका के संबंधों में परेशानी की वजह नहीं है, भारत के साथ हमारे सहयोग के कई अन्य बिंदु भी हैं, जिससे प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप नाराज हैं.
भारत के रूस से तेल खरीदने से युद्ध में मिल रही मदद: रुबियो
अमेरिकी विदेश मंत्री (सचिव) मार्को रुबियो ने एक बयान में कहा कि “भारत, रूस से तेल खरीद रहा है, जिससे रूस को आर्थिक मदद मिल रही है और यूक्रेन में युद्ध जारी है. मार्को रुबियो ने कहा कि भारत के साथ परेशानी की ये सबसे बड़ी वजह है, लेकिन इसके अलावा भी कई और दूसरे कारण भी हैं, जिससे भारत-अमेरिका के संबंध बिगड़े हैं.”
मार्को रुबियो ने दावा किया कि “राष्ट्रपति ट्रंप, इस बात से बेहद नाराज हैं कि भारत, रूस से लगातार तेल की खरीद कर रहा है, जबकि भारत के पास तेल खरीदने के लिए कई अन्य विकल्प मौजूद हैं, लेकिन रूस से तेल खरीदकर भारत, रूस की यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में मदद कर रहा है.”
रुबियो ने कहा कि “भारत को अपनी अर्थव्यवस्था के लिए ऊर्जा की बहुत ज्यादा जरूरत है. ऐसे में भारत, रूस से तेल खरीद रहा है क्योंकि रूस का तेल प्रतिबंधों के चलते सस्ता है. कई मामलों में रूस वैश्विक तेल की कीमतों से कम पर भी तेल बेच रहा है.”
रूस से तेल खरीदना इकलौती वजह नहीं, भारत से कई मुद्दों पर असहमति:रूबियो
मार्को रुबियो ने कहा, “रूस से भारत के तेल खरीदना, निश्चित रूप से हमारे संबंधों में खटास का विषय है, लेकिन मतभेदों को ये एकमात्र बिंदु नहीं है. उनके साथ हमारे सहयोग के कई अन्य बिंदु भी हैं. रुबियो ने कहा, अमेरिका भारत के साथ व्यापार समझौते की कोशिश कर रहा है लेकिन अभी तक यह हो नहीं पाया है. इसकी सबसे प्रमुख वजह भारत का अपने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को खोलने का कड़ा विरोध है.”
आपको बता दें कि अमेरिका भारत के साथ ट्रेड डील करना चाहता है. पिछले कई महीनों से बातचीत चल रही है, लेकिन व्यापार डील में कई मुद्दों और बढ़े टैरिफ पर सामंजस्य नहीं बन पाया है.
ट्रंप की चिढ़ की सबसे बड़ी वजह संसद में पीएम मोदी का बयान
इसी सप्ताह पीएम मोदी ने भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर पर संसद में खुलकर बयान दिया था. पहली बार ट्रंप का नाम लिए बिना पीएम मोदी ने सीजफायर के दावों झूठा बताया था. प्रधानमंत्री मोदी ने साफ-साफ कहा था कि “दुनिया के किसी भी नेता ने ऑपरेशन सिंदूर रोकने को नहीं कहा.”
संसद में ट्रंप की पोल खुल गई कि 22 अप्रैल से 17 जून तक पीएम मोदी और ट्रंप में किसी भी तरह की कोई बात नहीं हुई. तो काहे का सीजफायर का क्रेडिट ले रहे हैं.
पीएम मोदी के इस बयान के कुछ ही घंटों बाद ट्रंप ने भारत पर टैरिफ के साथ-साथ रूस का साथ देने पर जुर्माने का भी ऐलान किया. अमेरिका भले ही रूसी तेल-रूसी तेल चिल्लाए लेकिन असली चोट ने सीजफायर को लेकर पीएम मोदी ने पहुंचाई है.
भारत के तगड़े जवाब के बाद टैरिफ को अमेरिका ने एक सप्ताह के लिए टाला
ट्रंप के टैरिफ के दबाव में जब भारत नहीं आया. भारत ने साफ-साफ कह दिया है कि राष्ट्रीय हितों से पीछे नहीं हटेंगे तो ट्रंप प्रशासन ने भारत के खिलाफ लागू होने वाला टैरिफ टाल दिया है. ताजा आदेश में ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि 1 अगस्त को लगने वाला टैरिफ एक सप्ताह बाद लागू होगा.
भारत-अमेरिका में इस कारण से ट्रेड डील अटकी है
अमेरिका भारत के कृषि बाजार, डेयरी और मक्का, सोयाबीन, सेब, बादाम जैसे उत्पादों तक पहुंच के लिए दबाव बना रहा है. अमेरिका की मांग है कि इन सेक्टर में टैरिफ कम किए जाएं. वहीं भारत का मानना है कि अगर उन्होंने कृषि और डेयरी सेक्टर अमेरिका के लिए खोला तो हमारे देश के छोटे किसान लाखों रुपये की सब्सिडी पाने वाले अमेरिकी किसानों से प्रतिद्वंदिता नहीं कर पाएंगे. सब्सिडी वाले अमेरिकी कृषि उत्पादों को मंजूरी देने से लाखों छोटे किसानों की आय को नुकसान होगा.
भारत ने अमेरिका को साफ कह दिया है कि डेयरी, चावल, गेहूं, मक्का और सोयाबीन जैसी आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों पर टैरिफ कम करना संभव नहीं है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर भारत, अमेरिका के इन उत्पादों पर हामी भरता है तो 70 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण लोगों को नुकसान हो सकता है.