By Nalini Tewari
13 सितंबर को अशांत राज्य मणिपुर का दौरा कर सकते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. साल 2023 में कुकी और मैतेयी समुदाय में हिंसा भड़कने के बाद ये पहला मौका होगा जब पीएम मोदी हिंसाग्रस्त मणिपुर पहुंचेंगे.
इस बीच पीएम मोदी के संभावित दौरे से पहले मणिपुर में शांति की पहल की गई है. मणिपुर की लाइफ लाइन माने जाने वाले नेशनल हाइवे 2 को खोलने के लिए गृह मंत्रालय, मणिपुर सरकार और कुकी जो समूहों के बीच समझौता हुआ है. नेशनल हाईवे इंफाल को कांगपोकपी और चुराचांदपुर जैसे शहर और कस्बे से जोड़ने वाला हाइवे है. इस त्रिपक्षीय समझौते का लक्ष्य मणिपुर में जातीय संघर्ष को समाप्त करना है.
मणिपुर का दौरा कर सकते हैं पीएम मोदी
साल 2023 से लेकर आज तक मणिपुर हिंसा की आग में झुलस रहा है. हालांकि पिछले कुछ महीनों के बाद स्थिति पर काबू पाया जा चुका है, लेकिन हालात तनावपूर्ण ही बने हुए हैं. कुकी और मैतई जातीय हिंसा भड़कने के बाद से ही प्रधानमंत्री मोदी के मणिपुर दौरे की मांग की जा रही थी. विपक्ष लगातार कह रहा था कि आखिर पीएम मोदी मणिपुर क्यों नहीं जा रहे. साल 2023 में तो संसद का पूरा सत्र ही इस मांग को लेकर सुचारू पूर्वक नहीं चल पाया था.
लेकिन अब पीएम मोदी जल्द मणिपुर जा सकते हैं. हालांकि कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन कहा जा रहा है कि पीएम मोदी 12 या 13 सितंबर को मणिपुर पहुंचेंगे. माना जा रहा है कि वो हिंसाग्रस्त पीड़ितों से मुलाकात कर सकते हैं और उनका दर्द साझा कर सकते हैं.
पीएम मोदी के दौरे से पहले नेशनल हाईवे खोलने पर बनी सहमति
पीएम मोदी के दौरे से पहले मणिपुर को लेकर आया है बड़ा अपडेट. नए समझौते में, केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार और कुकी-जो समूहों ने मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखने, राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (एनएच-2) को मुक्त आवाजाही के लिए खोलने और उग्रवादी शिविरों के दूसरी जगह हटाए जाने पर सहमति व्यक्त की है.
गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि “कुकी-जो परिषद ने नेशनल हाइवे 2 को खोलने का फैसला किया है. यह निर्णय पिछले कुछ दिनों में गृह मंत्रालय के अधिकारियों और केजेडसी के एक प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई कई बैठकों के बाद लिया गया है.”
कुकी-जो परिषद ने एनएच-02 पर शांति बनाए रखने के लिए भारत सरकार द्वारा तैनात सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई है. गृह मंत्रालय ने कहा कि ज्वाइंट मॉनिटरिंग ग्रुप अब से इस पर कड़ी निगरानी रखेगा ताकि सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस का उल्लंघन न हो.
हिंसा के बाद बंद किया गया था नेशनल हाईवे
एनएच-2, मणिपुर को नागालैंड और शेष पूर्वोत्तर से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण सप्लाई मार्ग है. इसे मणिपुर की जीवन रेखा कहा जाता है. मणिपुर के चुराचांदपुर में कुकी समुदाय की बहुलता है. इस समुदाय ने राज्य में जातीय हिंसा के बाद हाइवे बंद कर दिया था. लेकिन अब समझौते के बाद इस हाईवे का खोला जाना एक बड़ी सफलता माना जा रहा है.
गृहमंत्रालय, मणिपुर सरकार और कुकी जो काउंसिल में त्रिपक्षीय समझौता, गृह मंत्रालय ने क्या दी जानकारी
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा, कि “बैठक का समापन त्रिपक्षीय संचालन निलंबन (एसओओ) समझौते पर हस्ताक्षर के साथ हुआ. ये एक वर्ष की अवधि के लिए समझौते पर हस्ताक्षर करने की तिथि से प्रभावी होंगे. बैठक में फिर से बातचीत की गई शर्तों और नियमों को शामिल किया गया है.”
“त्रिपक्षीय संचालन निलंबन (एसओओ) समझौते में आधारभूत नियमों पर फिर बातचीत की गई है. संशोधित आधारभूत नियमों ने दो प्रमुख सिद्धांतों की पुष्टि की है. इसमें मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता, और मणिपुर में स्थायी शांति और स्थिरता लाने के लिए बातचीत के माध्यम से समाधान की आवश्यकता शामिल है.”
क्षेत्र से उग्रवादियों के कैंप ट्रांसफर किए जाएंगे: गृह मंत्रालय
गृह मंत्रालय ने अपनी प्रेस रिलीज में कहा, “कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट ने संघर्ष की आशंका वाले क्षेत्रों से दूर सात निर्दिष्ट शिविरों को स्थानांतरित करने, निर्दिष्ट शिविरों की संख्या कम करने, हथियारों को निकटतम सीआरपीएफ और बीएसएफ शिविरों में स्थानांतरित करने, और सुरक्षा बलों द्वारा कैडरों का कठोर भौतिक सत्यापन करने पर भी सहमति व्यक्त की है.”
मंत्रालय ने चेतावनी देते हुए कहा है कि “एक संयुक्त निगरानी समूह अब बुनियादी नियमों के सख्त पालन की निगरानी करेगा. किसी भी उल्लंघन से सख्ती से निपटा जाएगा, जिसमें एसओओ समझौते की संभावित समीक्षा भी शामिल है.”
म्यांमार बॉर्डर से सटा होने के कारण संवेदनशील है मणिपुर
मणिपुर के म्यांमार सीमा पर पाकिस्तान और बांग्लादेश बॉर्डर की तर्ज पर तारबंदी (कटीली तार) लगाने का फैसला किया है. पिछले कुछ महीनों में ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई थीं कि मणिपुर के तनावपूर्ण हालात का फायदा म्यांमार के उग्रवादी संगठन उठाना चाह रहे हैं. जिसके बाद फरवरी महीने में भारतीय सेना के तत्कालीन डीजीएमओ राजीव घई ने मणिपुर बॉर्डर का दौरा किया था. म्यांमार सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी, असम राइफल्स के कंधों पर हैं. लेकिन लंबे समय तक राज्य में आफस्पा (आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट) लागू होने के कारण, भारतीय सेना की भी मजबूत तैनाती है.
पिछले महीने अगस्त में ही सेना ने मणिपुर के पहाड़ी और मैदानी इलाकों मे गोला बारूद और हथियारों के बल पर रची जा रही बड़ी साजिश का पर्दाफाश किया था. सेना और राज्यों की पुलिस के एक संयुक्त अभियान में भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और आईईडी के साथ 22 उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया था. ये संयुक्त अभियान मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में शुरु किया गया था. 2 अगस्त से 10 अगस्त के बीच चलाए गए इस अभियान के तहत अलग-अलग क्षेत्रों से उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया और भारी मात्रा में हथियार-विस्फोटक बरामद किए गए थे.