तिब्बत विद्रोह की 65वीं वर्षगांठ से पहले चीन के कब्जे वाले तिब्बत क्षेत्र में एक नया आंदोलन शुरु हो गया है. ये आंदोलन डिगे काउंटी के वोंगपो तोक शहर में चीन की शी जिनपिंग सरकार द्वारा बांध बनाने के नाम पर तिब्बत के ऐतिहासिक और धार्मिक मठ को तोड़ने को लेकर शुरु हुआ है.
दरअसल, पिछले महीने करीब 1000 तिब्बती मूल के नागरिकों ने पूर्वी तिब्बत के डिगे प्रशासन के मुख्यालय (सिचुआन प्रांत) के सामने एक प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन के दौरान चीनी अधिकारियों ने हिंसात्मक तरीके से सभी प्रदर्शनकारियों को वहां से खदेड़ दिया और करीब 100 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक सभी 1000 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. काले कपड़े पहने चीनी अधिकारियों द्वारा जबरदस्ती प्रदर्शनकारियों से बदसलूकी का एक वीडियो भी सामने आया था. इनमें वोंटो मोनेस्ट्री (मठ) के धार्मिक गुरु भी शामिल थे जिन्हें अज्ञात जेल में बंद किया गया है.
जानकारी के मुताबिक, चीनी प्रशासन ने गिरफ्तार किए गए प्रदर्शनकारियों में से 40 को इस शर्त पर छोड़ा गया है कि वे फिर से आंदोलन में हिस्सा नहीं लेंगे और ना ही धरना कर रहे लोगों की तस्वीरें या वीडियो किसी से शेयर करेंगे. इसके बाद से ही चीनी प्रशासन सोशल मीडिया और तिब्बती मूल के लोगों पर कड़ी नजर रखे हुए है.
कई साल बाद चीन की कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ तिब्बत मूल के लोगों का कोेई आंदोलन सामने आया है. इसका बडा़ कारण चीन की शी जिनपिंग सरकाप द्वारा कड़ी सुरक्षा और तिब्बत में जबरदस्त निगरानी रखना है. वर्ष 2021 में एक तिब्बती युवक की संदिग्ध मौत के मामले में जरुर एक आंदोलन हुआ था लेकिन वो महज एक हफ्ते में ही समाप्त करा दिया गया था. लेकिन वोंटो मठ से जुड़ा हुआ मौजूदा आंदोलन जल्द समाप्त होता नहीं दिखाई पड़ रहा है. क्योंकि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इस आंदोलन को समर्थन मिल रहा है.
दरअसल, तिब्बत में अथाह खनिज-पदार्थ और प्राकृतिक संपदा के दोहन के लिए चीन जबरदस्त तरीके से डैम, सड़क और दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहा है. इसी कड़ी में डिगे में 13900 मेगावाट का कामटोक (खम डिगे) डैम का निर्माण किया जा रहा है. ये 13 मंजिला बांध ड्रिचू (यांगत्से) नदी पर बनाया जा रहा है. स्थानीय तिब्बती नागरिकों का दावा है कि इस बांध के बनने से ना केवल डिगे में रहने वोंगपो शहर के 10 हजार लोग विस्थापित हो जाएंगे बल्कि 09 तिब्बती मठों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगेगा. इनमें से एक 13 वीं शताब्दी का वोंटो मठ है जो तिब्बतियों के लिए बेहद ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है.
तिब्बत पर कब्जा करने के बाद से चीन यहां से निकलकर भारत सहित 18 देशों में जाने वाले सभी नदियों पर बड़ी संख्या में डैम बनाए हैं. क्योंकि चीन पानी को एक सामरिक हथियार के तौर पर देखता है. यही वजह है कि सिंधु से लेकर यांगत्से और ब्रह्मपुत्र (त्सांगपो) नदियों पर बांध बना रहा है ताकि जब भी जरूरत हो तो पानी के बहाव को रोका जा सके या फिर छोड़ दिया ताकि दूसरे देशों में बाढ़ जैसी स्थिति बन जाए. कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो इन डैम की संख्या हजारों में है. लेकिन जलवायु पर पड़ने वाले असर के साथ ही स्थानीय लोगों के विस्थापन से अब तिब्बत के लोग त्रस्त आ गए हैं. खास तौर से उनके मठों पर इन डैम के जरिए उत्पन्न होने वाले खतरे से. यही वजह है कि स्थानीय तिब्बती लोग गुस्से में हैं.
तिब्बत में रहने वाले अपने साथियों की दुर्दशा को देखते हुए भारत सहित दूसरी जगहों पर रहने वाले तिब्बती मूल के लोग भी चीन की सीसीपी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं (https://x.com/info_tibet/status/1763295842142744810?s=20). ऐसे में ये आंदोलन तिब्बत विद्रोह की वर्षगांठ से ठीक पहले हो रहा है तो चीनी प्रशासन इसे कुचलने की कोशिश में जुटा है.
हर साल 10 मार्च को तिब्बत विद्रोह की वर्षगांठ मनाई जाती है. 1959 में इसी दिन तिब्बत की राजधानी ल्हासा में तिब्बती मूल के लोगों ने चीन की सरकार के खिलाफ विद्रोह किया था. चीनी सेना द्वारा बर्बरता-पूर्वक विद्रोह को दबाने की कोशिश की गई थी. इसी दौरान तिब्बतियों के सबसे बड़े धर्मगुरु दलाई लामा ल्हासा छोड़कर भारत भाग आए थे. इस साल तिब्बत विद्रोह के 65 साल पूरे हो रहे हैं. इस दौरान राजधानी दिल्ली और धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) सहित दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों में चीन की दमनकारी और साम्राज्यवादी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा. अमेरिका सहित कई देशों में चीन के दूतावास के सामने तिब्बती नागरिक अपना विरोध जताएंगे.
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