यूक्रेन ने रूस पर जिस प्लानिंग और रणनीति के तहत अटैक किया है, उससे पूरी दुनिया आश्चर्य चकित है. सेब के बक्से में छिपाकर ले जाए गए ड्रोन्स ने रूस के अंदर घुसकर तबाही मचा दी है. यूक्रेन ने जिस तरह ट्रोजन-हॉर्स रणनीति के जरिए रूस में ट्रकों और ड्रोन के जरिए बड़ा हमला किया है, उससे भारत को भी बहुत सचेत रहने की आवश्यकता है.
भारत में भी नेपाल, भूटान और बांग्लादेश जैसे कई देशों से ट्रकों और गाड़ियों से व्यापार करने के लिए आती हैं. कुछ साल पहले तक पाकिस्तान से भी ट्रकों में सामान लाया जाता था. ये ट्रक अटारी-वाघा बॉर्डर और जम्मू-कश्मीर के रास्ते से भारत लाए जाते थे.
ग्रीस की पौराणिक कथा ट्रोजन हॉर्स से ली हमले की प्रेरणा
रूस को हवाई मार्ग से भेदना बेहद मुश्किल है. रूस के एयर डिफेंस सिस्टम बेहद घातक है, जो दुश्मनों के एक भी ड्रोन और मिसाइल को सीमा में दाखिल नहीं होने देते है. ऐसे में यूक्रेन ने कुछ अलग ही प्लानिंग कर ली, जिसकी रूस को भनक तक नहीं लगी. ग्रीस की विश्व-प्रसिद्ध पौराणिक कथा, ट्रोजन-हॉर्स से प्रेरणा लेते हुए यूक्रेन ने इन ड्रोन को रूस के भीतर पहुंचा दिया. यूक्रेनी इंटेलिजेंस एजेंसी ने सड़क के रास्ते बड़ी संख्या में सिविलयन ट्रकों को रूस के पांच अलग-अलग प्रांतों में पहुंचा दिया.
यूक्रेन ने ट्रकों मे फॉल्स सीलिंग बनाई, स्वार्म ड्रोन छिपाए
जिन ट्रकों के जरिए यूक्रेन ने रूस को हिला कर रख दिया. उन्हें यूक्रेनी इंटेलिजेंस एजेंसी ने खास तौर पर तैयार किया था. इन ट्रकों में फाल्स-सीलिंग तैयार की गई. इन फाल्स सीलिंग में यूक्रेन ने स्वार्म ड्रोन छिपाकर रख दिए थे. ये ड्रोन, बम और दूसरे एक्सप्लोजिव मटेरियल से लैस थे. यूक्रेन ने इन ट्रकों को रूस के चार स्ट्रेटेजिक एयरबेस के करीब ले जाकर खड़ा कर दिया. यूक्रेन, इस दौरान बॉर्डर पुलिस और एजेंसी को भी चकमा देने में नाकाम रहा.
सीन कुछ हॉलीवुड फिल्म की तरह रहा. रूसी एयरबेस के पास खड़े ट्रकों की सीलिंग रिमोट के जरिए खोली गई. सीलिंग के जरिए स्वार्म ड्रोन्स को बाहर निकाला गया, जिन्होंने रूसी एयरबेस पर खड़े स्ट्रेटेजिक बॉम्बर्स पर हमला कर दिया. ड्रोन अटैक में रूस के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम विमानों में आग लग गई. रूस के पांच अलग-अलग एयरबेस पर एक ही तरीके से हमले किए गए. एयरबेस के अलावा रूस के न्यूक्लियर सबमरीन पर भी यूक्रेन ने अटैक किया. हमले में रूस का बहुत नुकसान हुआ है. कुर्स्क और एक ब्रायेंस्क प्रांत में यूक्रेन ने बम लगाकर रूस के रेलवे ब्रिज को उड़ा दिया, जिसके कारण 02 बड़े ट्रेन हादसे हुए. हादसे का वीडियो भी सामने आया है.
रूस ने माना पांच मिलिट्री एयरफील्ड पर हुआ हमला, बताया कीव का आंतकी हमला
रूसी रक्षा मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि यूक्रेन के हमले में पांच मिलिट्री एयरफील्ड को नुकसान पहुंचा है. ये एयरफील्ड हैं मुरमांस्क, इरकुत्स्क इवानोवो, रेयजन और अमुर-क्षेत्र. रूस का दावा है कि इवनोवो, रेयजन और अमुर में सभी एफपीबी (फर्स्ट पर्सन व्यू) ड्रोन्स को इंटरसेप्ट कर लिया गया था. मुरमांस्क और इरकुत्स्क में कई एयरक्राफ्ट को नुकसान पहुंचा है. रूस ने कुछ संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया है.
यूक्रेन का पर्ल-हार्बर हमले जैसा दावा, मंडराया न्यूक्लियर युद्ध का खतरा
रविवार को यूक्रेन ने रूस के पांच अलग-अलग प्रांतों में बड़ी संख्या में एफपीवी-ड्रोन से अटैक किए थे. रूस के भीतर 600 किलोमीटर दूर तक यूक्रेन के इन स्वार्म-ड्रोन ने हमले किए. यूक्रेन ने ड्रोन फुटेज जारी कर रूस के न्यूक्लियर बॉम्बर्स सहित कुल 40 एयरक्राफ्ट को नुकसान पहुंचाने का दावा किया है. अगर यूक्रेन का दावा सही है तो द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ये किसी जंग में इतनी बड़ी संख्या में दुश्मन के मिलिट्री एयरक्राफ्ट तबाह करने माना जा सकता है. यही वजह है कि एक्सपर्ट इसे रूस पर यूक्रेन का पर्ल-हार्बर जैसा हमला मान रहे हैं.
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर (हवाई द्वीप) पर बड़ा हवाई हमला किया था. जापान के इस हमले के बाद ही अमेरिका ने नागासाकी और हिरोशिमा पर न्यूक्लियर अटैक किया था, जिसमें लाखों लोगों की जान चली गई थी. ऐसा ही खतरा यूक्रेन के अटैक के बाद मंडराने लगा है. यूरोप में हालात बेहद नाजुक है.
अमेरिका भी हैरान, यूक्रेन ने नहीं की बात
यूक्रेन ने जिस तरीके से रूस पर अटैक किया है. उससे अमेरिका भी चौंका हुआ है. दरअसल अमेरिका की कोशिश है कि रूस-यूक्रेन में शांति हो, लेकिन अमेरिका को नजरदांज करते हुए यूक्रेन ने बड़े हमले को अंजाम दिया. बताया जा रहा है कि अटैक से पहले जेलेंस्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति को इसकी खबर नहीं दी. हालांकि रविवार को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और मार्को रुबियो के बीच बातचीत हुई थी. 2 जून को इस्तांबुल में रूस-यूक्रेन के बीच शांति वार्ता होनी है, लेकिन इस हमले के बाद शांति कहीं दूर-दूर तक नहीं नजर आने वाली, उल्टा पूरा यूरोप डर के साए में है.