अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीच में बैठकर आर्मेनिया-अजरबैजान के बीच सुलह कराने का फोटो ऑप्स का मौका नहीं छोड़ा. अब इसी सुलह को लेकर ईरान ने खोली है अमेरिका की पोल, बताया सुलह के पीछे क्या है अमेरिका का लक्ष्य.
ईरान ने सबसे बड़ी जियोपॉलिटिकल साजिश बताते हुए अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच हुए शांति समझौते में प्रस्तावित जेगेजूर कॉरिडोर का विरोध किया है.
ट्रंप के भाड़े के सैनिकों का प्रवेश द्वार नहीं कब्रिस्तान बनेगा: ईरान
ईरान ने कहा है कि वह अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच अमेरिका की मध्यस्थता में हुए शांति समझौते के तहत काकेशस में प्रस्तावित कॉरिडोर को रोकेगा.
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के सलाहकार अकबर वेलयाती कॉरिडोर को अमेरिका की बड़ी साजिश बताया, जिसके लागू होने से दक्षिण काकेशस की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी. ईरान ने अमेरिका की इस योजना को आर्मेनिया की क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करने के मकसद से एक “राजनीतिक विश्वासघात” बताया है.
वेलायती ने शांति समझौते में शामिल परिवहन गलियारे का जिक्र करते हुए कहा, “यह मार्ग ट्रंप के भाड़े के सैनिकों के लिए प्रवेश द्वार नहीं बनेगा, यह उनका कब्रिस्तान बन जाएगा.
किस कॉरिडोर को लेकर भड़का ईरान, दी अमेरिका को धमकी
दरअसल शुक्रवार को जब ट्रंप ने अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच शांति समझौता करवाया, तो उसका अहम आधार थी एक योजना. समझौते की शर्तों में आर्मेनिया से होकर गुजरने वाले एक मार्ग के लिए खास अमेरिकी विकास अधिकार शामिल हैं जो अजरबैजान को नखचिवन से जोड़ेगा. ये एक अजरबैजानी परिक्षेत्र है और बाकू के सहयोगी तुर्किए की सीमा से लगा हुआ है. बाकू लंबे समय से इस कॉरिडोर की मांग करता रहा है. इस कॉरिडोर का नाम ट्रंप रूट फॉर इंटरनेशनल पीस एंड प्रॉस्पेरिटी (टीआरआईपीपी) रखा गया है. अमेरिका और तुर्की काकेशस क्षेत्र में लंबे समय से एक ट्रेड कॉरिडोर बनाना चाहते हैं.
कॉरिडोर का ईरान क्यों कर रहा है विरोध, प्वाइंट में समझिए
- इस कॉरिडोर के जरिए अमेरिका और तुर्किए ईरान को बाईपास कर सकते हैं. कॉरिडोर बनने से यह रास्ता बाईपास हो जाएगा, जिससे ईरान का दक्षिणी काकेशस में रणनीतिक और आर्थिक प्रभाव कम हो जाएगा.
- इस कॉरिडोर के चलते ईरान का आर्मेनिया से सीधा संपर्क टूट सकता है, जो उसका महत्वपूर्ण सहयोगी है. इस कॉरिडोर के चलते ईरान की क्षेत्रीय पहुंच कमजोर होगी, क्योंकि ये अजरबैजान और नखचिवान के बीच व्यापार और आवागमन के लिए ईरान का क्षेत्र एक महत्वपूर्ण मार्ग है.
- ईरान का मानना है कि भविष्य में कॉरिडोर में अमेरिका और नाटो की सैन्य मौजूदगी के कारण ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है.
अमेरिकी मध्यस्थता में हुए समझौते पर रूस को है संशय
ईरान के सहयोगी रूस को भी इस समझौते को लेकर संशय है. मॉस्को की ओर से कहा गया है कि वो कॉरिडोर को लेकर हुई शर्तों का विश्लेषण करेगा. रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा, इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए कि ईरान के साथ आर्मेनिया की सीमा की सुरक्षा रूसी सुरक्षाबल करते हैं.
आपको बता दें कि वर्ष 2020 में आर्मेनिया का पड़ोसी देश अजरबैजान से विवादित नागोर्नो-काराबाख को लेकर युद्ध हुआ था. उस वक्त रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने दोनों देशों के बीच सुलह करवाई थी. रूस की कोशिशों के बाद दोनों देशों में सुलह हुई थी. रूस, आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच त्रिपक्षीय समझौते हैं, जिनसे अभी तक कोई भी पीछे नहीं हटा है.
अजरबैजान, रूस और आर्मेनिया के बीच कुछ वर्षों पहले तक अच्छे संबंध थे. लेकिन कुछ महीनों पहले जब यूक्रेन के साथ युद्ध के दौरान रूसी सेना ने अजरबैजान के एक नागरिक प्लेन को गिरा दिया, उसके बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते पटरी से उतर गए. हालांकि रूस ने गलती मान ली थी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने खुद माफी मांगी थी, लेकिन बात नहीं बनी.
वहीं रूस, आर्मेनिया का कट्टर समर्थक था, लेकिन जब यूक्रेन के साथ युद्ध शुरु हुआ तो आर्मेनिया का झुकाव पश्चिम की ओर ज्यादा दिखा, जिससे रूस और आर्मेनिया के रिश्तों में दरार पैदा हो गई.