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मालदीव में टर्की के Bayraktar ड्रोन

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भारत से तनातनी के बाद मालदीव अपनी सैन्य शक्ति बढ़ा रहा है. चीन से दोस्ती के बाद मालदीव अब पाकिस्तान के दोस्त टर्की (तुर्किए) से भी पींगे बढ़ा रहा है. मालदीव ने तुर्किए से खतरनाक सैन्य ड्रोन लिए हैं. ऐसा पहली बार है जब मालदीव में सैन्य ड्रोन पहुंचे हैं. 

टर्की की बायरेक्टर कंपनी के साथ समझौते के बाद टीबी 2 ड्रोन और आवश्यक उपकरण मालदीव पहुंचाए गए हैं. मालदीव के मुताबिक इन ड्रोन का इस्तेमाल देश की समुद्री-सीमा की निगरानी के लिए किया जाएगा. ड्रोन फिलहाल नूनू माफारू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हैं. बायरेक्टर ड्रोन की संख्या को लेकर मालदीव के रक्षा मंत्रालय ने चुप्पी साध रखी है. पर माना जा रहा है कि अगले सप्ताह से मालदीव इन ड्रोन का संचालन कर सकता है. नवंबर में सत्ता संभालने के बाद तुर्किये ही वो पहला देश था, जिसका मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने दौरा किया था.

एर्दोगान के दामाद से मालदीव ने लिए ड्रोन  

एक के बाद एक भारत विरोधी देशों के साथ अपने रिश्‍ते मजबूत कर रहा है मालदीव. चीन के साथ सैन्य समझौता करने के बाद मुइज्‍जू सरकार ने तुर्किए से घातक ड्रोन लिया है. मुइज्‍जू सरकार ने टर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान के दामाद की कंपनी बायरेक्टर के साथ 3 करोड़ 70 लाख डॉलर का समझौता किया है. तुर्किए के टीबी 2 ड्रोन आर्मीनिया से लेकर यूक्रेन की जंग में तबाही मचा चुके हैं. पाकिस्तान भी तुर्किए के किलर ड्रोन को इस्तेमाल करता है (पाकिस्तान शुरु करना चाहता है Game of Drones, भारत की क्या है तैयारी !)

समंदर में निगरानी या चीन संग मिलकर साजिश ?
मालदीव की मुइज्‍जू सरकार का दावा है कि कि उसने ड्रोन को समुद्री इलाके की निगरानी करने के लिए खरीदा है. मालदीव के समुद्री किनारों की निगरानी पहले भारत करता था. सैन्य ड्रोन के करार से पहले भारत ने मालदीव को अपने समुद्री तटों की निगरानी के लिए डोर्नियर विमान और हेलीकॉप्टर दिया था. भारत की टेक्निकल टीम इस विमान की देखरेख और रिपेयरिंग का काम करती थी. पर मुइज्जू भारतीय सैनिकों की वापसी के मुद्दे पर ही सत्ता में आए थे. लिहाजा मुइज्जू ने चीन के साथ हाथ मिलाते हुए भारतीय सैनिकों को 15 मार्च तक मालदीव से चले जाने को कहा है. चीन दौरे के बाद मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को वापस जाने का अल्टीमेटम दे दिया. माना जा रहा है कि इसी कमी को पूरा करने के लिए मुइज्‍जू ने टर्की के साथ हाथ मिलाया है और सैन्य ड्रोन खरीद रहा है.

टर्की के ड्रोन ने बढ़ाई भारत की टेंशन
रूस-यूक्रेन युद्ध में टर्की के टीबी 2 ड्रोन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया है. दुनिया में ये ड्रोन बाकी ड्रोन से इसलिए अलग और खतरनाक है, क्योंकि इससे क्रूज मिसाइल दागी जा सकती है. ड्रोन से क्रूज मिसाइल के लॉन्च से भारत की टेंशन बढ़ गई है. पाकिस्तान के पास तुर्की का ये ड्रोन पहले से ही मौजूद था अब मालदीव में भा ड्रोन है. क्रूज मिसाइल को डिटेक्ट करना और मार गिराना काफी मुश्किल माना जाता है, इसलिए टीबी 2 ड्रोन की डिमांड बढ़ी हुई है. तो भारत ने इसका मुकाबला करने के लिए अमेरिका से एमक्यू 9 रीपर ड्रोन का सौदा किया है. (पन्नू नहीं आया MQ-9 डील के आड़े)

हिंद महासागर की निगरानी की बात कहकर टर्की से ड्रोन खरीदना इत्तेफाक नहीं है. यानी चीन और मालदीव में खिचड़ी पक रही है. मालदीव से भारत के बिगड़ते रिश्ते का सीधा-सीधा लाभ चीन को है, क्योंकि हिंद महासागर में चीन अपना दबदबा कायम करना चाहता है. चीन के बल पर ही मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू आए दिन ऊटपटांग और भारत विरोधी बयान दे रहे हैं. चीन से लौटने के बाद मुइज्जू ने यहां तक कह दिया था कि ‘हिंद महासागर किसी एक देश की प्रॉपर्टी नहीं है’. किसी देश से मतलब भारत का था, क्योंकि हिंद महासागर में भारत की तूती बोलती है और इसलिए चीन ने मालदीव को अपना मोहरा बनाया है.  

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