भारत के खिलाफ मालदीव में क्या कोई खिचड़ी पक रही है ? मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के भारत विरोधी होने की वजह से चीन मौके का फायदा उठा रहा है, तो अब तुर्किए के भी तिकड़ी में शामिल हो गया है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि भारत के खिलाफ हिंद महासागर में ये तीनों देश आखिर क्या साजिश रच रहे हैं ?
हाल ही में मालदीव के तट पर दोबारा चीनी जासूसी जहाज पहुंचा था तो अब तुर्किए (तुर्की या टर्की) की नौसेना का एक युद्धपोत मालदीव पहुंचा है. तुर्किए का युद्धपोत ‘टीसीजी किनालियाडा’ माले के पास खड़ा है. हालांकि मालदीव ने कहा है कि तुर्की का जहाज सद्भावना यात्रा पर मालदीव आया है लेकिन तुर्की के जहाज की मालदीव यात्रा ऐसे वक्त में हो रही है जब भारत और मालदीव के रिश्ते बेहद खराब चल रहे हैं.
तुर्की युद्धपोत का मेजबान मालदीव
मालदीव ऐसे वक्त में तुर्की के युद्धपोत की मेजबानी कर रहा है, जब भारत के विरोध के बाद पड़ोसी देश श्रीलंका ने हिंद महासागर क्षेत्र में विदेशी रिसर्च जहाजों की एंट्री पर एक साल तक के लिए रोक लगा दी है. 1 जनवरी से श्रीलंका में शुरू हुई रोक को भारत के लिए एक कूटनीतिक और रणनीतिक जीत है. क्योंकि रिसर्च के बहाने चीन का जहाज आईओआर के विशाल हिस्से की जासूसी करता था.
श्रीलंका से चीन को मिले झटके के बाद चीन के जहाज ने मालदीव में डेरा डाल लिया. फरवरी महीने में जांच करने के बाद चीन का जासूसी जहाज हाल ही में एक बार फिर मालदीव में लौटा है. 26 अप्रैल के जियांग यांग होंग 03 मालदीव के थिलाफुशी औद्योगिक द्वीप के बंदरगाह पर आया था. मालदीव में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की नेतृत्व वाली नई सरकार ‘इंडिया आउट’ के नारे के साथ सत्ता में आई है. राष्ट्रपति बनने के बाद मालदीव ने तैनात 77 भारतीय सैन्य कर्मियों को भी वापस स्वदेश भेज दिया है.
तुर्की-मालदीव की दोस्ती, भारत सतर्क
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की तरह ही तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन भी भारत विरोधी नेता माने जाते हैं. तुर्की की नजदीकी भी पाकिस्तान जैसे भारत विरोधी देशों से रही है. राष्ट्रपति मुइज्जू ने तुर्की के साथ घनिष्ठ राजनयिक और सैन्य संबंध बनाए हैं. तुर्की ने हाल ही में मालदीव को बेहद ही खतरनाक बायरेक्टर टीबी 2 ड्रोन दिए हैं. हालांकि मालदीव सरकार ने ड्रोन की संख्या का खुलासा नहीं किया था लेकिन ड्रोन खरीद को भारत विरोधी कदम के तौर पर देखा गया है. बताया जाता है कि ड्रोन खरीद के लिए मालदीव ने 570 मिलियन से अधिक खर्च किए.
मालदीव और तुर्की की नजदीकी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सत्ता संभालने के बाद तुर्की ही वो पहला देश था, जहां मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने दौरा किया था. तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन हमेशा से पाकिस्तान का भी पक्ष लेते रहे हैं. 2020 में एर्दोगन ने पाकिस्तान का दौरा करके कश्मीर पर अपना समर्थन दिया था.
साल 2021 में ऐसी खबरें भी आई थीं कि एसएडीएटी नामक तुर्की की निजी सैन्य कंपनी कश्मीर में भाड़े के सैनिकों को भेजने की तैयारी कर रही थी. एसएडीएटी को एर्दोगन की निजी सेना (पैरा-मिलिट्री फोर्स) के रूप में भी जाना जाता है.
इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि तुर्की के भारत के खिलाफ कितने खतरनाक इरादे हैं. ऐसे में भारतीय नौसेना अलर्ट है और हिंद महासागर में मालदीव, तुर्की और चीन की तिगड़ी पर कड़ी नजर रखे हुए है. मालदीव के इरादों को भांप कर रही ही भारत ने लक्षद्वीप में नया नेवल बेस आईएनएस जटायु खड़ा किया है. इसके तहत मालदीव की समुद्री सीमा के बेहद करीब भारत के युद्धपोत और एयरक्राफ्ट तैनात रहेंगे ताकि हर हरकत पर पैनी निगाह रखी जा सके.
जल्द भारत आ रहे हैं मालदीव के विदेश मंत्री
भारत से तनावपूर्ण संबंधों के बीच मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर अगले हफ्ते राजधानी दिल्ली के आधिकारिक दौरे पर आ सकते हैं. माना जा रहा है कि ये यात्रा भारत से राजनयिक संबंधों में बैलेंस बनाने के लिए की जा रही है.
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