रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग में फ्रांस के एक कदम से मॉस्को का भड़कना तय है. यूक्रेन ने फ्रांस के साथ 10 साल में 100 राफेल जेट्स लेने का लेटर ऑफ इंटेंट साइन किया. सौदे में एयर डिफेंस सिस्टम, बम और ड्रोन भी शामिल हैं. खास बात ये है कि इस खरीद को यूरोप में जमा रूस के पैसे से फंड करने का प्लान किया गया है.
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की है. जेलेंस्की ने मैक्रों से रूस पर दबाव बनाने की पैरवी की है. साथ ही बताया है कि रूस का खतरा सिर्फ यूक्रेन तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे यूरोप पर मंडरा रहा है.
मई के महीने में पाकिस्तान के खिलाफ भारत के सैन्य एक्शन ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रफाल फाइटर जेट ने कमाल दिखाया था. रफाल फाइटर जेट से दागी गई मिसाइलों ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी.
रूस के जब्त पैसों से फ्रांस-यूक्रेन के बीच रफाल जेट का सौदा
यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने फ्रांस के दौरे पर एक बड़ी डील के लिए हामी भरी है. यूक्रेन ने 100 रफाल लड़ाकू विमान लेने के लिए लेटर ऑफ इंटेंट पर हस्ताक्षर किए हैं. लेटर ऑफ इंटेंट यानी एक ऐसा समझौता है, जो खरीद की इच्छा जाहिर करता है लेकिन वास्तविक खरीद बाद में होगी.
बताया जा रहा है कि इस खरीद को यूरोप में जमा रूस के पैसे और संपत्तियों से फंड करने की प्लानिंग है. हालांकि इस योजना को अभी तक यूरोपियन यूनियन ने मंजूरी नहीं दी है.
जेलेंस्की ने रफाल बनाने वाली कंपनी दॉसो सहित फ्रांसीसी हथियार कंपनियों के साथ बैठक भी की. आपको बता दें कि राफेल जेट्स को उड़ाने के लिए पायलटों को लंबे और कठिन ट्रेनिंग से गुजरना होगा.
सिर्फ रफाल नहीं एयर डिफेंस सिस्टम, बम और ड्रोन भी देंगे- इमैनुएल मैक्रों
फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि यूक्रेन के साथ यह सौदा सिर्फ जेट तक सीमित नहीं है. इसमें एयर डिफेंस सिस्टम, बम और ड्रोन भी शामिल हैं. मैक्रों ने माना कि यूक्रेनी सेना को फिर से खड़े होने के लिए 100 राफेल जेट्स जरूरी हैं.
हालांकि मैक्रों ने ये साफ किया कि, ये विमान फ्रांस के मौजूदा स्टॉक से नहीं बेचे जाएंगे, इन्हें नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से सप्लाई किया जाएगा.
गौर करने की बात ये है कि फ्रांस रफाल से पहले ही यूक्रेन को मिराज जेट्स और एस्टर 30 मिसाइलें देने का भी वादा कर चुका है.
30 देशों का गठबंधन बनाने की तैयारी कर रहे फ्रांस-ब्रिटेन
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच नाटो और ईयू सहयोगी फ्रांस और ब्रिटेन ने एक नए गठबंधन बनाने का समर्थन किया है. जो रूस के साथ शांति समझौते के बाद यूक्रेन या उसके पश्चिमी सीमा क्षेत्रों में सेना और सैन्य संसाधन भेज सके, ताकि यूक्रेन पर भविष्य में कोई खतरा न हो. लेकिन रूस पहले ही चेतावनी दे चुका है कि किसी दूसरे देश के सैनिकों को उसकी सीमा के आसपास तैनात नहीं होने दिया जाएगा.
क्या यूक्रेन की ओर से लड़ रहे फ्रांसीसी सैनिक
हाल ही में रूस की खुफिया एजेंसी ने खुलासा किया था कि यूक्रेन की ओर से फ्रेंच और अंग्रेजी बोलने वाले सैनिक लड़ रहे हैं. दरअसल रूस अक्सर ये कहता आया है कि अगर यूक्रेन में नाटो सैनिक तैनात हुए तो युद्ध सीधे यूरोप के देशों से माना जाएगा.
पिछले महीने क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने ये कहकर सनसनी फैला दी थी, कि “यूक्रेन की सेना की ओर से अंग्रेजी और फ्रेंच बोलने वाले सैनिक हैं. दिमित्री ने कहा था, रूस की सेना विदेशी भाषाएं सुन रही है. हम विदेशी सैनिकों के खिलाफ एक्शन भी ले रहे हैं. ऐसे सैनिकों को मार दिया जाएगा.”
दिमित्री ने अपने बयान में कहा था, “रूसी खुफिया सर्विस (एसवीआर) ने पाया है कि पेरिस के 2000 सैनिक कीव की ओर हैं. ये चिंताजनक है.”
वहीं पिछले साल फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अपने सैनिकों के तैनाती की बात भी कही थी, जिसके बाद फ्रांस और रूस में सीधे-सीधे ठन गई थी.

