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UN की विश्वसनीयता घटी, भारत जिम्मेदारी संभालने को तैयार: जयशंकर 

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र को संबोधित किया. इस दौरान आतंकवाद के दोहरे रुख और पाकिस्तान को तो जयशंकर ने घेरा ही, साथ ही संयुक्त राष्ट्र की घटती साख पर भी चिंता जाहिर की. जयशंकर ने अपने भाषण में सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में तत्काल सुधार की मांग की. 

यूएन में सुधार की आवश्यकता, सदस्यता का विस्तार हो: जयशंकर

एस जयशंकर ने अपने भाषण में जोर देकर कहा कि “संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता में कमी का मुख्य कारण सुधार का विरोध है. सुरक्षा परिषद की स्थायी और अस्थायी, दोनों सदस्यता का विस्तार किया जाना चाहिए और भारत बड़ी जिम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार है.”

जयशंकर ने कहा, “अधिकांश सदस्य दृढ़ता से बदलाव चाहते हैं, लेकिन प्रक्रिया को ही परिणाम में बाधा बनाया जा रहा है. यह जरूरी है कि हम इस निराशा को दूर करें और सुधार एजेंडे पर सार्थक रूप से काम करें.”

संकट की स्थिति में है यूएन, आतंकवाद पर चुप रहता है:जयशंकर

जयशंकर ने कहा,“संयुक्त राष्ट्र संकट की स्थिति में है. संघर्षों से जब शांति को खतरा पैदा होता है, संसाधनों की कमी के कारण विकास बाधित होता है और आतंकवाद के कारण मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है तब भी संयुक्त राष्ट्र चुप्पी साधे रहता है. आम सहमति बनाने में संयुक्त राष्ट्र के सामर्थ्य के घटने से बहुपक्षवाद में विश्वास भी कम होता है.”

भारत हमेशा वैश्विक मदद के लिए रहता है तैयार:जयशंकर

विदेश मंत्री ने संकट के समय में अपने पड़ोसियों की तत्काल जरूरतों पर भारत की की प्रतिक्रिया के बारे में संयुक्त राष्ट्र के मंच पर बताया. जयशंकर ने कहा,  ” अशांत समय में यह जरूरी है कि हम संकट के क्षणों में आगे बढ़ें. भारत इस संबंध में खासकर अपने आस-पास के क्षेत्रों में हमेशा तत्पर रहा है. चाहे वह वित्त, भोजन, उर्वरक या ईंधन हो, हमने अपने पड़ोसियों की तत्काल जरूरतों को पूरा किया है.”

यूक्रेन और गाजा के संघर्षों का समाधान ढूंढने के लिए आगे आना चाहिए: जयशंकर

यूक्रेन और गाजा में चल रहे संघर्षों पर जयशंकर ने कहा, “संघर्षों के मामले जो सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं, उन्होंने भी इसका प्रभाव महसूस किया है. ऐसे राष्ट्र जो सभी पक्षों को बातचीत के लिए प्रेरित कर सकते हैं, उन्हें समाधान खोजने के लिए आगे आना चाहिए. भारत शत्रुता समाप्त करने का आह्वान करता है और किसी भी पहल का समर्थन करेगा जो शांति बहाल करने में मदद करेगी.”

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