आतंकवादी समूह ‘इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवंत-खोरासान’ (आईएसआईएल-के) को लेकर संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट से भारतीय एजेंसियां सतर्क हो गई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, आईएसआईएस भारत में ‘लोन-वुल्फ’ तैयार कर रहा है.
यूएन की प्रकाशित रिपोर्ट में जो खुलासा किया गया है कि वैश्विक आतंकवादी संगठन ‘आईएसआईएल-के भारत में बड़े पैमाने पर हमले न कर पाने के बावजूद अपने आकाओं के माध्यम से ऐसे लड़ाकों की भर्ती करना चाहता है जो अकेले ही हमलों को अंजाम दे सकें.
भारत के अलावा कई देशों के लिए संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट चिंता बढ़ाने वाली है. आईएसआईएल-के लगातार अपने लड़ाकों की संख्या लगातार बढ़ा रहा है. भर्ती में उन लड़ाकों पर संगठन ज्यादा जोर दे रहा है जो लोन वुल्फ अटैक को अंजाम दे सकते हैं. ताजा आंकड़ों की मानें तो आईएसआईएल-के के आतंकियों की संख्या 4,000 से बढ़कर 6,000 हो गयी है.
भारत में लोन वुल्फ अटैक के लिए आतंकियों की भर्ती की तैयारी !
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. खुलासा ये हुआ है कि ”भारत में बड़े पैमाने पर हमले न कर पाने के बावजूद आईएसआईएल-के देश में अपने आकाओं के जरिए ऐसे लोगों की भर्ती करना चाहता है जो अकेले हमलों को अंजाम दे सके. उसने उर्दू में हिंदू-मुस्लिम द्वेष को बढ़ाने वाली और भारत के संबंध में अपनी रणनीति को बताने वाले एक पुस्तिका जारी की है.”
रिपोर्ट में कहा गया है “आईएसआईएल-के सबसे गंभीर खतरा बना हुआ है, जो अफगानिस्तान से फैल रहा है.”
अफगानिस्तान में पनाह, किसके लिए बनेंगे आतंकी खतरा?
रिपोर्ट में जारी चेतावनी दी गई है कि तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी), तालिबान और भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा के बीच सहयोग बढ़ा है. तीनों, अफगानिस्तान में लड़ाकों और प्रशिक्षण शिविर को मजबूत कर रहे हैं और तहरीक-ए-जिहाद पाकिस्तान (टीजेपी) के बैनर तले अधिक घातक हमले कर रहे हैं. तहरीक-ए-तालिबान के अगर सभी को पनाह देता है को पाकिस्तान, भारत, म्यांमार और बांग्लादेश के खिलाफ खतरा बढ़ा सकता है.”
क्या है आईएस-आईएल?
इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट को आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया), आईएस और दाऐस के नाम से भी जाना जाता है. मूल रूप से इराक में अल कायदा की शाखा और छोटे इराकी सुन्नी विद्रोही समूहों द्वारा बनाया गया था. यह एक संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ द्वारा नामित आतंकवादी संगठन है जिसका उद्देश्य वैश्विक, इस्लामी खिलाफत स्थापित करना और मुसलमानों और गैर-मुसलमानों के बीच हिंसक संघर्ष को बढ़ावा देना है. इराक और सीरिया में आईएसआईएल आतंकियों की संख्या 14000 और 18000 के बीच है. लेकिन यही ग्रुप अब अफगानिस्तान में टीटीपी और दूसरे आतंकियों के साथ मिलकर पांव पसार रहे हैं. जिसे आईएसआईएल-खुरासान का नाम दिया गया है.
आईएसआईएल, अल-कायदा और उससे जुड़े व्यक्तियों और संस्थाओं के बारे में विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी टीम की रिपोर्ट को भारतीय एजेंसियां गंभीरता से ले रही हैं. 34वीं रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि “अफगानिस्तान से पैदा होने वाला आतंकवाद क्षेत्र में असुरक्षा का कारण बनेगा.”