इजरायल ने दावा किया है कि जिस स्कूल बिल्डिंग में संयुक्त राष्ट्र का रिफ्यूजी कैंप था वहां से हमास के आंतकी ओपरेट कर रहे थे. इजरायल ने यहां तक दावा किया कि जब बिल्डिंग पर हवाई हमला किया गया वहां कोई महिला या बच्चे मौजूद नहीं थे. हालांकि, फिलिस्तीन का दावा है कि मारे गए 30 से ज्यादा लोगों में पांच बच्चे भी शामिल थे.
गुरुवार की सुबह इजरायली डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने गाजा के नुसरीत शरणार्थी कैंप पर हवाई हमला किया था. हमले में 30-35 लोगों के मारे जाने की खबर है. ये रिफ्यूजी कैंप एक स्कूल बिल्डिंग में स्थापित किया गया था. इस हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र सहित पूरी दुनिया में आलोचना हो रही थी. लेकिन आईडीएफ ने आधिकारिक बयान जारी कर हवाई हमले की पूरी जानकारी साझा की है.
आईडीएफ के प्रवक्ता रियर एडमिरल डेनियल हगारी ने दावा किया है कि “स्कूल बिल्डिंग की तीन क्लास-रुम में हमास के आतंकी छिपे हुए थे.” हगारी के मुताबिक, स्कूल परिसर में महिलाओं और बच्चों के चलते दो बार पहले भी अटैक रोक दिया गया था. लेकिन गुरुवार को जब जानकारी मिली की वहां सिविलियन नहीं है तब आईडीएफ ने इन तीन क्लास रुम में आसमान से प्रेशियन अटैक किए. इस दौरान क्लास रुम में मौजूद हमास के कमांडर सहित 15-20 लोग मारे गए. आईडीएफ प्रवक्ता ने हमले में मारे गए तीन हमास कमांडर की पहचान भी उजागर की है. इजरायल का आरोप है कि ये तीनों कमांडर पिछले साल 7 अक्टूबर के आतंकी हमले में भी शामिल थे.
संयुक्त राष्ट्र ने आईडीएफ की हमले की आलोचना जरूर की है लेकिन इस बात से अनभिज्ञता जाहिर की है कि रिफ्यूजी कैंप में हमास के आतंकियों ने शरण ले रखी थी.
यूएन रिफ्यूजी कैंप (स्कूल बिल्डिंग) पर हुए हमले को लेकर अमेरिका ने कहा है कि इजरायल को पूरा अधिकार है आम नागरिकों पर हमला का लेकिन इस दौरान ये ध्यान रखना जरूरी है कि सिविलियन कम से कम हताहत हों.
इजरायल-हमास युद्ध के दौरान पांचवी बार आईडीएफ ने किसी रिफ्यूजी कैंप पर इसलिए हमला किया है क्योंकि वहां आतंकियों के छिपे होने की पुख्ता जानकारी थी.
पिछले आठ महीन से जारी इजरायल-हमास जंग में 30 हजार से ज्यादा लोगों की जान चुकी है. कतर, मिस्र और अमेरिका जैसे देशों की इजरायल और हमास के बीच सुलह कराने की सभी कोशिशें व्यर्थ हो रही हैं. इजरायल ने साफ कर दिया है जब तक हमास के कैद से उसके 100 से ज्यादा नागरिकों को रिहा नहीं करा लिया जाता, युद्ध जारी रहेगा.