भले ही रूस और यूक्रेन के बीच शांति दूर-दूर तक नहीं पड़ रही है लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने उम्मीद जताई है कि जब दोनों देश युद्धबंदियों की अदला-बदली कर सकते हैं और ब्लैक सी (अनाज) संधि कर सकते हैं तो डिप्लोमेसी के जरिए विवाद को सुलझा भी सकते हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए गुटेरेस ने कहा कि दो दिन पहले यूएन सदस्य देशों ने ‘पैक्ट फॉर द फ्यूचर’ को स्वीकार किया है. इस पैक्ट (संधि) के तहत सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने इंटरनेशनल लॉ (अंतरराष्ट्रीय कानून) को मानने के लिए तैयार हो गए हैं.
गुटेरेस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सभी देशों की ‘संप्रभुता का सम्मान’ करता है और किसी भी सदस्य-देश को जोर-जबरदस्ती के बल पर दूसरे देश की क्षेत्रीय अखंडता और राजनीतिक-स्वतंत्रता का हनन करने की स्वीकृति नहीं देता है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ द फ्यूचर’ को संबोधित करते हुए साफ कहा था कि मानवता की भलाई ‘जंग के मैदान’ में नहीं बल्कि साथ रहने में है.
समिट से इतर, पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात कर पीस-फॉर्मूला सहित दूसरी पीस समिट पर भी खास चर्चा की थी.
यूएन महासचिव ने रूस-यूक्रेन युद्ध के संबंध में कहा कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय विवाद का हल शांति-पूर्वक ही खोजा जाना चाहिए.
फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण (और 2014 में क्रीमिया पर कब्जे) का जिक्र करते हुए गुटेरेस ने कहा कि ये संयुक्त राष्ट्र के कानूनों का उल्लंघन हैं.
गुटेरेस ने बताया कि पिछले ढाई साल में यानी जब से युद्ध शुरू हुआ है यूक्रेन के करीब 11 हजार आम नागरिक मारे जा चुके हैं. साथ ही युद्ध के चलते एक मिलियन यानी करीब एक करोड़ लाख विस्थापित हो चुके हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने सभा को बताया कि युद्ध के दौरान स्कूल-कॉलेज, हॉस्पिटल और सुपरमार्केट को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है ताकि आम लोगों की पीड़ा को बढ़ाया जा सके.
गुटेरेस ने बताया कि यूएन ने यूक्रेन में 6.2 मिलियन (62 लाख) से ज्यादा लोगों को मानवीय सहायता प्रदान की है. लेकिन उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि 15 मिलियन (1.50 करोड़) को अभी भी सहायता प्रदान की जानी है. इस संख्या में आधे से ज्यादा महिलाओं और लड़कियां शामिल हैं. गुटेरेस ने कहा कि सर्दियों में स्थिति खराब हो सकती है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मदद के ले आगे आना चाहिए.
जेपोरेजिया और कुर्स्क न्यूक्लियर प्लांट की सेफ्टी की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए गुटेरेस ने कहा कि रूस और यूक्रेन के लोगों के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए जल्द से जल्द शांति स्थापित करनी होगी.
गुटेरेस ने उम्मीद जताई कि पिछले कुछ समय से रूस और यूक्रेन के बीच डायलॉग को लेकर ज्यादा से ज्यादा देश बात कर रहे हैं. ऐसे में यूएन ऐसे किसी भी प्रयास का समर्थन करता है. (जंग के मैदान में नहीं है मानवता की सफलता: पीएम मोदी)