इजरायल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध के 9वें दिन ईरानी विदेश मंत्री ने यूएनएचआरसी में अमेरिका और इजरायल पर जमकर हमला बोला है. अब्बास अरागची ने अपने संबोधन में कहा है कि ये जंग, ईरान पर जबरन थोपी गई है. ये हमला उस शासन की ओर से किया जा रहा है जो पिछले दो साल से फिलिस्तीन में भयानक नरसंहार कर रहा है. अगर अमेरिका युद्ध में शामिल हुआ तो हर किसी के लिए ये बेहद खतरनाक होगा.
इजरायल के हमले होने तक अमेरिका से नहीं करेगा ईरान बात: अब्बास अरागची
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक को संबोधित किया है. अब्बास अरागची ने कहा, “अगर अमेरिका इजरायल के साथ चल रहे युद्ध में सक्रिय रूप से शामिल होता है, तो यह “हर किसी के लिए बेहद, बेहद खतरनाक” होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सैन्य हस्तक्षेप पर विचार कर रहे हैं. यह “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” है. अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है.”
ईरान पर जंग जबरन थोपी गई है:अब्बास अरागची
यूएन के मंच पर ईरानी विदेश मंत्री ने कहा, “13 जून शुक्रवार की सुबह से इजरायल ने हमले शुरू किए. इजरायल ने हमारे सैनिकों, विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों और आम लोगों पर हमला किया. हमारे सैंकड़ों नागरिक मारे गए.इजरायल ने रिहायशी इलाकों, अस्पतालों और सार्वजनिक ढांचे पर हमले किए. हमारी शांतिपूर्ण परमाणु सुविधाओं को भी निशाना बनाया गया, जबकि ये आईएईए की निगरानी में है. अरागची बोले, इन पर हमला करना अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार पूरी तरह प्रतिबंधित है. इन पर हमला एक गंभीर युद्ध अपराध है और इससे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक न्यूक्लियर एक्टिव रिसाव हो सकता है.”
हम चुप नहीं रहेंगे, आत्मरक्षा के लिए दुश्मन को जवाब देंगे: अब्बास अरागची
अब्बास अरागची ने कहा, “ईरान,संयुक्त राष्ट्र का एक संस्थापक सदस्य है, उम्मीद करता है कि आप सभी न्याय, कानून और मानवता के मूल सिद्धांतों के पक्ष में खड़े होंगे. हम पर क्रूर हमला हुआ है. ईरान अपने ऊपर हुए इस बर्बर हमले के खिलाफ आत्मरक्षा कर रहा है. हम अपने देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. यह हमारा मूल अधिकार है, जिसे चार्टर के अनुच्छेद 51 में भी स्वीकार किया गया है.”
15 जून को अमेरिका के साथ अहम बैठक थी, राजनयिक प्रक्रिया के दौरान बर्बर हमले हुए: अरागची
अरागची ने कहा, “हम पर उस समय हमला किया गया जब हम एक राजनयिक प्रक्रिया में थे. 15 जून को हमारी अमेरिका के साथ एक अहम बैठक तय थी, ताकि हमारे परमाणु कार्यक्रम पर बने विवादों का शांतिपूर्ण हल निकाला जा सके. इजरायल ने हमला करके कूटनीति के साथ धोखा किया है और अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था को गहरी चोट पहुंचाई है. चुप रहना या कुछ न करना विकल्प नहीं हो सकता. अगर हमने कुछ नहीं किया, तो बाद में पछताना पड़ेगा. इस युद्ध के असर सिर्फ एक देश तक सीमित नहीं रहेंगे, पूरा क्षेत्र और उससे आगे की दुनिया प्रभावित होगी.”