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UN में स्थायी सीट है जयशंकर का लक्ष्य

एस जयशंकर ने एक बार फिर से अपने उसी तेवर में विदेश मंत्रालय ज्वाइन किया है, जिसके लिए वो जाने जाते हैं. विदेश नीति और कूटनीति में माहिर राजनयिक से नेता बने एस जयशंकर आज जब अपने दफ्तर में दोबारा कार्यभार संभाला तो सबसे पहले पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के साथ संबंधों पर प्रतिक्रिया दी. एस जयशंकर ने दोनों ही देशों को लेकर मोदी सरकार की नीति बताई, कहा- “चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ संबंध अलग-अलग हैं और वहां की समस्याएं भी अलग-अलग हैं. वहीं बात अगर पाकिस्तान की है तो मोदी सरकार की नीति एकदम स्पष्ट है.”

चीन के साथ सुलझाएंगे सीमा विवाद: एस जयशंकर
पाकिस्तान और चीन के साथ रिश्तों पर बात करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि “हम विवादों को सुलझाने पर काम करेंगे”. अपने मंत्रालय पहुंचे एस जयशंकर ने मीडिया से बात करते हुए कहा,”किसी देश में खासतौर पर किसी लोकतंत्र में ये बहुत बड़ी बात होती है, जब लगातार तीन बार किसी सरकार को चुना जाता है. इस वजह से दुनिया को जरूर महसूस होगा कि भारत में राजनीतिक स्थिरता है.” एस जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि चीन और पाकिस्तान से समस्याएं अलग अलग हैं. विदेश मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा, “जहां तक चीन और पाकिस्तान की बात है, इन देशों के साथ भारत के रिश्ते थोड़े अलग हैं. इस वजह से समस्याएं भी अलग हैं. चीन के संबंध में हमारा ध्यान सीमा मुद्दों का समाधान खोजने पर होगा और पाकिस्तान के साथ हम वर्षों पुराने सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे का समाधान ढूंढना चाहेंगे.”

मोदी 3.0 में क्या है विदेश मंत्री का प्लान?
यूएन सिक्योरिटी काउंसिल (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सीट के सवाल पर एस जयशंकर ने बेबाकी से जवाब दिया है. एस जयशंकर ने कहा, “दुनिया ने देखा है कि संकट के समय अगर एक देश ग्लोबल साउथ के साथ खड़ा रहा है तो वो भारत है.  सभी को लगता है कि भारत उनका मित्र है. जी-20 की अध्यक्षता के दौरान जिस तरह हमने अफ्रीकी संघ की सदस्यता के लिए कोशिश की, उसने दुनिया के देशों का विश्वास हम पर बढ़ा है. जहां तक यूएनएससी की बात है तो उम्मीद है कि हमारी विदेश नीति काफी सफल होगी. दक्षिण एशिया क्षेत्र में प्राथमिकता को लेकर जयशंकर ने कहा कि “शपथ के दिन से ही हमारी ‘नेबरहुड फर्स्ट’ को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर हो गई है. पीएम मोदी और मेरी खुद सभी पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात और सकारात्मक बातचीत हुई, हमारी पड़ोसी देशों के साथ संबंध विदेश नीति की बड़ी प्राथमिकताओं में से एक होगी.” खास बात ये है कि मोदी 3.0 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संकल्प-पत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के लिए स्थायी सीट पाना मुख्य लक्ष्य रखा गया है. (https://x.com/DrSJaishankar/status/1800378534772306205)

मोदी सरकार के कैबिनेट में संकटमोचक हैं एस जयशंकर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूं ही एस जयशंकर पर भरोसा नहीं जताया है. इसके पीछे एस जयशंकर की तेजतर्रार, बेबाक छवि है. पिछली सरकार में भारत के लिए ऐसे कई मौके आए जब वो चक्रव्यूह में घिरा. एस जयशंकर ने उस चक्रव्यूह को भेद दिया.  चाहे रूस-यूक्रेन का युद्ध में फंसे भारतीय छात्रों को वापस लाने की बात हो. या फिर इजरायल और हमास युद्ध के दौरान भारत का रुख हो. रूस से तेल ना खरीदने के अमेरिकी दबाव को भी एस जयशंकर ने बखूबी झेला और मजबूती से रूस से तेल खरीदकर अमेरिका के दबाव में नहीं आए. हर मौकों पर एस जयशंकर ने खुद को साबित किया है. हालांकि दोबारा मंत्री पद संभालने के दौरान पीओके के सवाल पर एस जयशंकर ने पत्रकारों को कह दिया कि “अपने शब्द मेरे मुंह में नहीं डालें.”

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