इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागिरी के खिलाफ अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया ने एक साझा मिलिट्री कमांड बनाने का फैसला लिया है. इस कमांड का मुख्यालय जापान में होगा और चीन के साथ-साथ उत्तर कोरिया और रुस की उत्तेजक सैन्य कार्रवाई पर भी लगाम लाने की कोशिश करेगा.
अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन इनदिनों टोक्यो की आधिकारिक यात्रा पर हैं. इसी दौरान जापान के साथ टू प्लस टू मीटिंग के दौरान इस साझा कमांड बनाए जाने की घोषणा की गई है. दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री भी टोक्यो में ही मौजूद हैं.
अमेरिका का पिछले कई दशक से जापान और दक्षिण कोरिया, दोनों ही देशों में अलग-अलग मिलिट्री कमांड हैं. लेकिन अब जापान में ही तीनों देशों की एक साझा कमांड होगी. फिलहाल, एक थ्री-स्टार जनरल के अंतर्गत इस ट्राई-लेटरल कमांड की कमान होगी. लेकिन निकट भविष्य में एक फॉर-स्टार जनरल को इस कमांड की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.
अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया ने इस ज्वाइंट मिलिट्री कमांड बनाने की घोषणा ऐसे समय में की है जब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी टोक्यो में मौजूद थे. जयशंकर, टोक्यो में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे हैं.
चीन और जापान का प्रशांत महासागर में कई द्वीपों को लेकर लंबा विवाद चल रहा है. साथ ही दक्षिण चीन सागर में चीन का ताइवान से लेकर फिलीपींस से विवाद चल रहा है. ऐसे में अमेरिका चीन के बढ़ती दादागीरी और दबदबे को रोकने की कोशिश कर रहा है.
इसके साथ ही चीन ने प्रशांत महासागर में रुस के साथ मिलकर मिलिट्री एक्सरसाइज को अंजाम देना शुरु कर दिया है. इसके साथ ही चीन और रुस के उत्तर कोरिया से करीबी संबंध बनते जा रहे हैं. उत्तर कोरिया का सनकी तानाशाह किम जोंग उन भी बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु हथियारों के परीक्षण कर दक्षिण कोरिया और जापान के खिलाफ उत्तेजक युद्धाभ्यास करता रहता है. इसके साथ ही दक्षिण कोरिया, जापान और अमेरिका के खिलाफ आग उगलता रहता है. यही वजह है कि तीनों देशों ने मजबूती के साथ चीन, रुस और उत्तर कोरिया का सामना करने के लिए कमर कस ली है. (https://x.com/SecDef/status/1817382732873285766)
पिछले साल ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जापान और दक्षिण कोरिया की तनातनी खत्म कर कैंप डेविड समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार किया था.