गृहयुद्ध से त्रस्त अफ्रीकी देश कांगो में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. राजधानी किंशासा में लोगों ने अमेरिका और फ्रांस सहित कई देशों के दूतावासों को आग के हवाले कर दिया है. गुस्साए लोगों की मांग है कि ये सभी देश विद्रोही संगठनों से निपटने में कांगो सरकार की मदद करें. खबर है कि प्रदर्शनकारियों ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के ऑफिस को भी निशाना बनाया है.
किंशासा में जिन देशों के दूतावासों को नुकसान पहुंचाया गया है, उनमें अमेरिका, फ्रांस, रवांडा, युगांडा, बेल्जियम और केन्या शामिल हैं. आगजनी स्थानीय प्रदर्शनकारियों ने की, जो विद्रोहियों के खिलाफ दूतावासों से एक्शन लेने की मांग कर रहे थे.
इन दिनों कांगो में रवांडो विद्रोही गुट एम 23 लगातार आगे बढ़ रहा है. सशस्त्र विद्रोहियों ने मुख्य शहर गोमा पर कब्जा करने का दावा किया है. स्थानीय लोगों की मांग है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय मिलकर विद्रोहियों के खिलाफ उनकी रक्षा करें लेकिन मदद न मिलने के बाद लोगों ने कई दूतावासों में आग लगा दी, जिसके बाद टेंशन और बढ़ गई है. हाल ही के दिनों में कांगों में यूएन के 12 से ज्यादा शांति सैनिकों की मौत हुई है. (https://x.com/dwnews/status/1884373388275187852)
अमेरिका, फ्रांस समेत कई विदेशी दूतावास में लगाई गई आग
कांगो में विदेशी दूतावासों पर दोहरा रवैया अपनाने के आरोपों को लेकर स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया. राजधानी किंशासा में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने विदेशी दूतावासों पर अटैक कर दिया और इमारतों में आग लगाने के अलावा लूटपाट की. जिसके बाद पुलिस ने भीड़ पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े.
दरअसल इन दिनों कांगों में रवांडो सेना समर्थित सशस्त्र विद्रोही गुट एम 23 की हिंसा बढ़ गई है. विद्रोहियों के चलते कई एयरपोर्ट बंद कर दिए गए हैं. कांगो के मुख्य केन्द्र गोमा पर एम 23 ने कब्जे की कोशिश की है, कई जगहों पर विद्रोहियों ने कब्जे का दावा भी किया है.
स्थानीय लोगों की मांग है कि अमेरिका, फ्रांस, बेल्जियम समेत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय एम 23 विद्रोहियों पर कार्रवाई करे और रवांडा को हिंसा रोकने के लिए कहे. प्रदर्शनकारियों ने दूतावास को चोर बताते हुए नारेबाजी की और दोहरे रवैये का आरोप लगाते हुए निंदा की. (https://x.com/VOANews/status/1884368357572633047)
कांगो में हालात बिगड़े, गोमा में भारी गोलीबारी
गोमा पूर्वी कांगो का एक प्रमुख व्यापारिक और मानवीय केंद्र है. शहर में 20 लाख लोग रहते हैं, जिनमें हजारों विस्थापित भी शामिल हैं. गोमा में भयंकर गोलीबारी हुई है. लोग दहशत में हैं. रवांडा समर्थित एम 23 विद्रोही लगातार फायरिंग कर रहे हैं. सोमवार को एम 23 विद्रोही और सहयोगी रवांडा सेना गोमा के बाहरी इलाकों में घुस गए, जिसके कारण पूर्वी कांगो के मुख्य शहर गोमा का हवाई अड्डा बंद कर दिया गया है. अब एम 23 ने गोमा शहर के अंदर आने और कब्जा करने का दावा किया है. लेकिन ये साफ नहीं है कि क्या वाकई विद्रोहियों का कब्जा हो गया है. (https://x.com/bonifacemwangi/status/1884214975453188366)
संयुक्त राष्ट्र ने की आपात बैठक, 12 से ज्यादा शांति सैनिकों की मौत
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कांगों के हालात पर एक आपात बैठक की है, बैठक में संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि “एम23 और रवांडा सेना ने गोमा के बाहरी इलाके मुनिगी क्वार्टर में घुसपैठ की है, जिससे लोग दहशत में भाग रहे हैं. विद्रोही आम लोगों को ढाल की तरह से इस्तेमाल कर रहे हैं.” हालात इस कदर बिगड़े हुए हैं कि पिछले 3-4 दिनों में दक्षिण अफ्रीका, उरुग्वे देश के सैनिकों समेत 12 से ज्यादा शांति सैनिकों की मौत हो गई है.
साल 2012 में भी विद्रोही गुट ने गोमा पर अस्थायी रूप से कब्जा कर लिया था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद पीछे हट गया था. साल 2021 के अंत से यह समूह फिर सक्रिय हो गया है. कांगो सरकार और संयुक्त राष्ट्र का आरोप है कि रवांडा इस समूह को हथियार और प्रशिक्षण दे रहा है, हालांकि रवांडा ने आरोपों को खारिज किया है. (https://x.com/UNGeneva/status/1884451440636068325)
कांगो ने रवांडा से बुलाए अपने राजनयिक, बढ़ा तनाव
किंशासा और किगाली (रवांडा की राजधानी) के बीच तनाव बढ़ गया है. कांगो ने रवांडा से अपने राजनयिकों को बुला लिया है, जबकि रवांडा दूतावास के सभी राजनयिक और वाणिज्य दूतावास गतिविधियों को बंद करने के लिए कहा है. रवांडा पर एन 23 विद्रोहियों का समर्थन करने का आरोप लगाया है, जबकि किगाली ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कांगो पर गंभीर आरोप लगाए हैं. रवांडा का आरोप है कि कांगो सेना रवांडा में साल 1994 के नरसंहार के लिए जिम्मेदार है.
गौरतलब है कि अप्रैल 1994 में किगली में हवाई जहाज पर बोर्डिंग के दौरान रवांडा के राष्ट्रपति हेबिअरिमाना और बुरुन्डियान के राष्ट्रपति सिप्रेन की हत्या कर दी गई, जिसके बाद ये संहार शुरू हुआ. करीब 100 दिनों तक चले इस नरसंहार में 5 लाख से लेकर दस लाख लोग मारे गए थे.