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मोदी-पुतिन मिले गले, पछताया अमेरिका

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे (4-5 दिसंबर) के बीच अमेरिका ने अपनी नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटेजी जारी की है. खास बात है कि इस स्ट्रेटेजी में अमेरिका ने भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने पर जोर डाला है. साथ ही साउथ चाइना में चीन के खिलाफ अकेले मोर्चा संभालने के बजाए भारत और जापान जैसे देशों के साथ सहयोग करने के लिए कहा गया है.

अमेरिकी ने रिलीज की नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटेजी, भारत से मजबूत संबंधों पर जोर

ऑपरेशन सिंदूर (6-10 मई) के बाद से भारत और अमेरिका के संबंधों में कड़वाहट  आ गई है. नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटेजी-2025 में एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच जंग खत्म करवाने का श्रेय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लिया है.

भारत साफ कर चुका है कि ऑपरेशन सिंदूर को पाकिस्तान के आग्रह पर रोका गया था, ना कि ट्रंप की मध्यस्थता से. ऐसे में ट्रंप ने यूक्रेन जंग के लिए भारत की रूस से नजदीकियों को जिम्मेदार ठहरा दिया था. भारत का रूस से तेल और हथियार खरीदने को लेकर ट्रंप ने नाराजगी जताई थी. गुस्साए ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ थोप दिया था. इसके चलते भारत और अमेरिका के संबंधों में दरार पड़ती दिखाई पड़ी थी.

अमेरिका के गुस्से का भारत ने संयम से जवाब दिया और रूस से भी नजदीकियां बरकरार रखी. पुतिन के दौरे से भारत और रूस के सामरिक संबंध और मजबूत हो गए हैं.

नई नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटेजी से ऐसा दिखाई पड़ता है कि अमेरिका को अपनी गलती समझ आ गई है और भारत से मजबूत संबंध की फिर से कोशिश की जा रही है.

रुस-यूक्रेन जंग समाप्त करना और रूस से स्थिर सामरिक संबंध जरूरी: यूएस रणनीति

यूएस नेशनल स्ट्रेटेजी में यूक्रेन जंग को खत्म करने और रूस के साथ स्थिर सामरिक संबंध बनाने को प्राथमिकता बताया गया है. खास बात है कि अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के रुस के साथ मजबूत सैन्य और व्यापारिक संबंधों को यूक्रेन युद्ध ना रुकने का बड़ा कारण बताया है. ऐसे में अमेरिका की बदली रणनीति से दुनिया हैरान है.

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका को चीन के बढ़ते दबदबे से भी परेशानी महसूस हो रही है. लेकिन अमेरिका को अपने अकेले के दम पर चीन को रोकना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. यही वजह है कि नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटेजी में भारत से सहयोग की अपेक्षा की गई है.

अमेरिका की ताजा रणनीति से दुनिया को इसलिए भी हैरानी है क्योंकि, इसमें यूरोप और नाटो को लेकर भी सवाल खड़े किए गए हैं. स्ट्रटेजी में कहा गया है कि दुनिया को ऐसा नहीं लगना चाहिए कि नाटो अपना ‘एक्सपेंशन’ कर रहा है. 

यूक्रेन पर रुस के आक्रमण का असल कारण दरअसल, नाटो का एक्सपेंशन माना जाता रहा है. पुतिन ने यूक्रेन को नाटो का सदस्य बनाए जाने का विरोध किया था.

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