ड्रैगन और एलीफैंट टैंगो के दोस्ती को मजबूत करने के लिए 18 अगस्त को भारत आ रहे हैं चीनी विदेश मंत्री वांग यी. दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली में वांग यी, भारतीय एनएसए अजीत डोवल के साथ उच्चस्तरीय वार्ता में हिस्सा लेंगे और भारत-चीन के बीच व्यापक सीमा मुद्दे पर बात करेंगे.
गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद पहली बार चीन के विदेश मंत्री भारत आ रहे हैं. चीनी विदेश मंत्री की भारत यात्रा बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि 31 अगस्त और 1 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी के चीन जाने की संभावना है. वहीं अमेरिका के साथ टैरिफ को लेकर तनातनी के लिहाज से भी भारत-चीन की नजदीकी का भी सामरिक महत्व है.
एलएसी विवाद सुलझाने और संबंध बढ़ाने पर जोर
बताया जा रहा है कि चीन के विदेश मंत्री मुख्य रूप से सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) के अगले दौर की वार्ता के लिए भारत आ रहे हैं. वांग यी चीर की ओर से और एनएसए डोवल भारत की तरफ से सीमा मुद्दे पर वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि नामित हैं.
एलएसी विवाद सुलझाने के लिए दोनों के बीच कई राउंड की वार्ता हो चुकी है. लेकिन दिल्ली में जो वार्ता होने वाली है, वो इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत और चीन दोनों अपने संबंधों को सुधारने पर जोर दे रहे हैं.
पिछले साल रूस के कजान में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात से पहले एलएसी पर तनाव कम हुआ था. 21 अक्टूबर (2024) को हुए समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग के अंतिम दो टकराव प्वाइंट से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद गतिरोध खत्म हो गया है.
एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे पीएम मोदी
चीनी विदेश मंत्री वांग यी की दिल्ली यात्रा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के लिए चीन की निर्धारित यात्रा से पहले हो रही है. पीएम मोदी (31 अगस्त- 1 सितंबर) को चीन के तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन जाएंगे.
प्रधानमंत्री मोदी 7 साल बाद चीन जाएंगे. इस दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी चीन जा सकते हैं. जहां पीएम मोदी, शी जिनपिंग और पुतिन तीनों त्रिपक्षीय मंच की घोषणा कर सकते हैं, जिसको लेकर पिछले कुछ महीनों से सहमति बनाई जा रही है.