समुद्री-लुटेरों और आतंकियों से निपटने के लिए भारतीय नौसेना और इंडियन कोस्टगार्ड को अपने रिमोट-गन्स मिलने जा रही हैं. इन स्टेबलाइज्ड रिमोट कंट्रोल गन्स (एसआरसीजी) से युद्धपोतों को लैस किया जाएगा ताकि असिमेट्रिक-वारफेयर से मुकाबला किया जा सके.
रक्षा मंत्रालय ने कानपुर स्थित रक्षा उपक्रम एडवांस वेपन इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (एडब्लूईआईएल) के साथ स्वदेशी 463 रिमोट गन्स (एसआरसीजी) खरीदने का करार किया है. इन गन्स की कुल कीमत 1752.13 करोड़ है. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर प्रोजेक्ट के तहत 12.7 एमएम बोर की इन गन्स में 85 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, एसआरसीजी से भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल की स्माल टारगेट को इंगेज करने की क्षमताएं काफी बढ़ जाएंगी. इन गन्स से दिन-रात दोनों में ही एसिमिट्रिक वातावरण में इस्तेमाल किया जा सकता है.
वर्ष 2020 में एडब्लूईआईएल के अधीन ऑर्डनेंस फैक्ट्री त्रिचापल्ली ने रिमोट गन को डेवलेप किया था. इस गन में सेंसर और कैमरा लगा होता है जिसके कारण इसे ओपरेट करने वाले नौसैनिक को खुले में रहकर फायर करने की जरूरत नहीं होती है. एक सुरक्षित जगह से रिमोट के जरिए इस वेपन को टारगेट पर फायर किया जा सकता है. हालांकि, इस मैन्युअली भी फायर किया जा सकता है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, एसआरसीजी के अधिग्रहण से रक्षा क्षेत्र में 125 स्वदेशी वेंडर्स और डिफेंस पीएसयू (पब्लिक सेक्टर यूनिट) के लिए अगले पांच साल के लिए निर्माण के क्षेत्र में अवसर प्राप्त होंगे.
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