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कभी नहीं भूलेंगे! सेना के कमांडर ने पेश की अनूठी मिसाल

भारतीय सेना को मिला है नया वाइस चीफ. भारतीय सेना के नए वाइस चीफ (सह-अध्यक्ष) लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र सिंह ने पदभार संभालने के पहले ही दिन एक ऐसा काम किया है, जिससे वाहवाही की जा रही है. लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र सिंह ने वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों के परिवार वालों को सम्मान दिया है.

थलसेना के सह-सेनाध्यक्ष ने श्रीलंका में एक ऑपरेशन के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों के परिवार वालों के साथ युद्ध-स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की. क्योंकि 36 वर्ष पहले हुए इस ऑपरेशन में खुद लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र सिंह भी शामिल थे और बुरी तरह घायल हो गए थे.

नए वाइस चीफ ने पहले दिन दिया वीर नारियों को सम्मान 

शुक्रवार को ले. जनरल पुष्पेंद्र सिंह ने आर्मी हेडक्वार्टर में पदभार संभालने के बाद राष्ट्रीय समर स्मारक में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान उन पांच सैनिकों की वीर नारियों और परिवार वालों को विशेष रूप से आमंत्रित किया, जो 1987 में लिट्टे (लिबरेशन टाइगर ऑफ तमिल ईलम यानी एलटीटीई) के खिलाफ एक ऑपरेशन में वीरगति को प्राप्त हुए थे. 

वाइस चीफ, उस वक्त एक युवा लेफ्टिनेंट के तौर पर कुछ महीने पहले ही सेना में शामिल हुए थे. ऐसे में थलसेना में नंबर टू पोजीशन पर पहुंचने पर, लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने अपने साथियों को पीछे नहीं छोड़ा और उनके परिवार को याद कर सम्मानित किया.

सेना के एलीट द पैराशूट रेजिमेंट से हैं नए वाइस चीफ

ले. जनरल सिंह, सेना की एलीट द पैराशूट रेजिमेंट की 4 एसएफ (स्पेशल फोर्सेज) से जुड़े हैं. 1 अगस्त जिस दिन वाइस चीफ ने पदभार संभाला उसी दिन 4 पैरा एसएफ रेजिमेंट का स्थापना दिवस भी है, जिसने इसी हफ्ते ऑपरेशन महादेव में पहलगाम नरसंहार में शामिल रहे तीन (03) आतंकियों को ढेर किया था.

मूल रूप से लखनऊ के रहने वाले ले.जनरल सिंह ने 1987 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए), देहरादून से पास-आउट होने के बाद कमीशंड ऑफिसर के तौर पर सेना ज्वाइन की थी. जुलाई 1989 में ले. (अब ले.जनरल) सिंह को श्रीलंका में इंडियन पीस कीपिंग फोर्स (आईपीकेएफ) में शामिल होने का अवसर मिला और जाफना तथा किलिनोची में सेवाएं दी. 

लिट्टे के खिलाफ एक्शन में दिखाई बहादुरी, बुरी तरह से घायल हुए थे

ऑपरेशन पवन के तहत लेफ्टिनेंट सिंह जब एक क्विक रिएक्शन टीम (क्यूआरटी) के साथ इरादा माडु से किलिनोची जा रहे थे, उनके काफिले पर लिट्टे के उग्रवादियों ने हमला कर दिया था.

लिट्टे और ले.सिंह के नेतृत्व में भारतीय सैनिकों के बीच एक बड़ी मुठभेड़ हुई थी. इस ऑपरेशन में लिट्टे के चार उग्रवादियों को ढेर किया गया था और बड़ी संख्या में घायल भी हुए थे. ले.सिंह की टुकड़ी में कुल 13 सैनिक थे, जिनमें से पांच वीरगति को प्राप्त हुए थे. मुठभेड़ में खुद लेफ्टिनेंट सिंह और दो अन्य सैनिक गंभीर रुप से घायल हुए थे.

1 अगस्त को वाइस चीफ का पदभार संभालते ही लेफ्टिनेंट सिंह ने इन पांच वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों के परिवार वालों ने नेशनल वॉर मेमोरियल पर  श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान वॉर मेमोरियल पर जहां इन पांचों सैनिकों के नाम उकेरे गए हैं, वहां भी पहुंचकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए.

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